हुमायूँ और शेरशाह सूरी Notes in Hindi | Administration, Road–Post, Rupiya Reforms | UPSC PCS RO ARO UPSSSC Police

हुमायूँ और शेरशाह सूरी Notes in Hindi | Administration, Road–Post, Rupiya Reforms | UPSC PCS RO ARO UPSSSC Police

0
📚 Noble Exam City
भारत की नम्बर 1 स्टडी मटेरियल वेबसाइट – स्मार्ट तैयारी, पक्का चयन
अध्याय 5 • मुगल साम्राज्य की स्थापना
5.2 हुमायूँ और शेरशाह सूरी – संघर्ष, निर्वासन, सड़क–डाक–मुद्रा सुधार (UPSC/PCS/RO-ARO/UPSSSC/Police)
⚔️ चाऊसा, कन्नौज, निर्वासन, सूर वंश, GT Road, रुपया, डाक व राजस्व सुधार 📝 यूपीएससी, PCS, RO/ARO, UPSSSC, Police हेतु गहन हिंदी नोट्स + Quick Revision + PYQs
🏰 मध्यकालीन भारत मुगल साम्राज्य हुमायूँ व शेरशाह सूरी
📘 5.2 हुमायूँ और शेरशाह सूरी – Deep Study Notes
Foundation से Mature Administration तक
Exam Focus: हुमायूँ का उत्थान–पतन, चाऊसा–कन्नौज, शेरशाह के प्रशासनिक सुधार, GT Road, डाक व रुपया – ये सब UPSC/PCS/RO-ARO/UPSSSC व Police परीक्षा में बार–बार पूछे जाते हैं।
💡
सीरीज़ ट्रिक: “चा–क–नि–श–व” ⇒ चाऊसा (1539) → कन्नौज (1540) → निर्वासन → शेरशाह का शासन → हुमायूँ की वापसी इसी क्रम से पूरे टॉपिक को दिमाग में बैठाया जा सकता है।
👑 हुमायूँ का गद्दी पर बैठना (1530)

बाबर की मृत्यु के बाद 1530 ई. में हुमायूँ गद्दी पर बैठा। स्वभाव से उदार, साहित्य–प्रेमी, लेकिन निर्णय क्षमता में कमजोर माना जाता है।

  • अंदरूनी चुनौती: भाई – कामरान, अस्करी, हिंदाल की महत्वाकांक्षा।
  • बाहरी चुनौती: अफ़गान सरदार (विशेषकर शेरखाँ), गुजरात का बहादुर शाह, राजपूत शक्तियाँ।
  • खज़ाना सीमित, पर प्रशासनिक अनुभव कम – यही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी बनी।
🛡️ शेरशाह सूरी – आरंभिक जीवन व उपाधि

शेरशाह का मूल नाम फ़रीद खान था। उसने एक बार शिकार में अकेले ही शेर मार दिया, इसी से उसे “शेरखाँ” कहा जाने लगा।

  • बिहार के अफ़गान ज़मींदार परिवार से संबंध।
  • जागीर–प्रबंधन, राजस्व व स्थानीय प्रशासन का गहरा अनुभव।
  • धीरे–धीरे बिहार व बंगाल के अफ़गानों का नेता बन गया।
⚖️ बहादुर शाह गुजरात के साथ संघर्ष

हुमायूँ ने शेरखाँ की शक्ति बढ़ते समय गुजरात के बहादुर शाह पर अधिक ध्यान दे दिया, जो उसकी रणनीतिक भूल मानी जाती है।

  • बहादुर शाह – मालवा व गुजरात को मिलाकर शक्तिशाली राज्य बना रहा था।
  • हुमायूँ ने उसे हराकर गुजरात पर अस्थायी नियंत्रण बनाया।
  • लेकिन इस लड़ाई में समय व संसाधन खर्च हुए और शेरखाँ को मजबूत होने का मौका मिला।
🎯
Exam Tip: हुमायूँ की सबसे बड़ी गलती – “मुख्य खतरा शेरखाँ था, पर वह गुजरात में उलझ गया” – यह कथन कई बार पूछ लिया जाता है।
⚔️ चाऊसा का युद्ध – 1539 ई.

स्थान: गंगा किनारा, बक्सर के निकट (वर्तमान बिहार–UP सीमा)

  • हुमायूँ की सेना नदी के किनारे कठिन स्थिति में डेरा डाले थी।
  • बरसात, बाढ़, अव्यवस्था – सैनिकों का मनोबल कम।
  • रात्रि–आक्रमण और धावा – हुमायूँ की सेना हड़बड़ा गई।
  • हुमायूँ किसी तरह नाव के सहारे बच निकला, उसके कई सेनानायक डूब गए।

परिणाम: शेरखाँ को निर्णायक प्रतिष्ठा मिली और उसने “शेरशाह” की उपाधि ग्रहण की।

🔥 कन्नौज का युद्ध – 1540 ई.

चाऊसा के बाद भी हुमायूँ ने एक बार फिर शेरशाह से निर्णायक युद्ध का जोखिम लिया, परन्तु तैयारी व रणनीति दोनों कमजोर रहीं।

  • हुमायूँ के भाई–बंधु पूर्ण रूप से साथ नहीं थे।
  • सेना का अनुशासन कमजोर, नेतृत्व ढुलमुल।
  • शेरशाह ने सुव्यवस्थित अफ़गान सेना से निर्णायक विजय प्राप्त की।

परिणाम: हुमायूँ की पूर्ण पराजय, दिल्ली–आगरा पर शेरशाह का अधिकार, और मुगल सत्ता अस्थायी रूप से समाप्त; सूर वंश की स्थापना।

🌍 हुमायूँ का निर्वासन (1540–1555)

कन्नौज की हार के बाद हुमायूँ का जीवन लगभग 15 वर्ष तक निर्वासन में बीता।

  • सिंध, थार मरुस्थल, जेसलमेर, उमरकोट आदि क्षेत्रों में भटकना।
  • कठिन परिस्थितियों में 1542 ई. में अकबर का जन्म – उमरकोट (सिंध)।
  • बाद में ईरान पहुँचा – शाह तहमास्प से सैन्य सहायता प्राप्त की।
  • कंधार व काबुल पर पुनः अधिकार बनाकर उसने अपनी शक्ति पुनर्निर्मित की।
🏰 सूर वंश – शेरशाह का शासन (1540–1545)

शेरशाह ने दिल्ली की गद्दी सँभालकर एक कुशल, अनुशासित और व्यावहारिक शासन स्थापित किया। उसका शासनकाल भले छोटा रहा, पर सुधार गहरे और दीर्घकालिक सिद्ध हुए।

  • शेरशाह के बाद – इस्लाम शाह (1545–1554)
  • फिर कमजोर शासक (फ़िरोज़ शाह, आदिल शाह आदि), जिनके समय अफ़गान सत्ता बिखरने लगी।
📜 शेरशाह का प्रशासनिक ढाँचा

शेरशाह ने प्रशासन को स्पष्ट स्तरों में बाँटा:

  • राज्य → सर्कारपरगनागाँव
  • सर्कार स्तर पर – शिकार (सैनिक), मुंसिफ, शहना आदि अधिकारी।
  • गाँव स्तर पर – मुखिया/मुखद्दम, पटवारी, चौकीदार।
  • केंद्र में – वजीर, दीवान, सिपहसालार, न्याय अधिकारी आदि।
🌾 भूमि–मापन व राजस्व व्यवस्था

शेरशाह की सबसे बड़ी उपलब्धि – व्यवस्थित भूमि–मापन और लगान निर्धारण

  • खेती योग्य भूमि का मापन – नाप–जोख के आधार पर।
  • फसल की औसत उपज के आधार पर लगान तय – किसान को शोषण से कुछ हद तक राहत मिली।
  • लगान अक्सर फसल का 1/3 भाग के आसपास माना जाता है (औसत)।
🌱
Exam Pointer: शेरशाह की राजस्व नीति को कई इतिहासकार “Akbar की व्यवस्था का पूर्वरूप” मानते हैं।
🛣️ सड़कें, सराय व सुरक्षा – GT Road

शेरशाह ने प्राचीन उत्तरापथ को सुधारकर सोनारगाँव (बांग्ला) से कंधार / काबुल तक लंबी सड़क बनवाई, जिसे बाद में ग्रांड ट्रंक रोड (GT Road) कहा गया।

  • हर दो कोस पर सराय – यात्रियों व व्यापारियों के लिए पड़ाव।
  • दोनों ओर वृक्ष – छाया व मार्ग–चिह्न के रूप में।
  • सुरक्षा के लिए चौकीदार व सिपाही तैनात।
📨 डाक व संचार तंत्र

शेरशाह ने प्रशासनिक नियंत्रण के लिए तेज़ डाक–व्यवस्था विकसित की।

  • हर सराय पर घुड़सवार डाक–वाहक व घोड़े तैयार।
  • राज्य के विभिन्न भागों से राजधानी तक समाचार शीघ्र पहुँचने लगे।
  • जासूसी व सूचना–तंत्र मजबूत हुआ।
💰 मुद्रा सुधार – “रुपया”

शेरशाह ने धातु–आधारित, मानकीकृत सिक्का व्यवस्था लागू की।

  • चाँदी का “रुपया” – निश्चित भार का सिक्का।
  • सोने व ताँबे के सिक्के भी चलन में – व्यापार में सुविधा।
  • नकली सिक्कों, मिलावट व अव्यवस्था पर काफी हद तक नियंत्रण।
⚖️ न्याय, क़ानून व पुलिस

शेरशाह का शासन कठोर लेकिन अपेक्षाकृत न्यायपूर्ण माना जाता है।

  • चोरी–डकैती पर कड़ी सज़ा, परंतु निर्दोष को बचाने की कोशिश।
  • मार्गों पर डकैती होने पर – क्षेत्रीय अधिकारी भी जवाबदेह।
  • धर्म–आधारित अत्याचार अपेक्षाकृत कम, प्रशासनिक दक्षता पर अधिक जोर।
🔍 “अकबर का पूर्वगामी” क्यों?

कई इतिहासकार शेरशाह को “Akbar का forerunner” कहते हैं, क्योंकि:

  • भूमि–मापन व लगान निर्धारण की व्यवस्थित नीति।
  • प्रशासनिक इकाइयों का स्पष्ट ढाँचा – सर्कार, परगना, गाँव।
  • सड़क, डाक, संरक्षण प्रणाली – एकीकृत साम्राज्य की अवधारणा।
🔄 हुमायूँ की वापसी (1555) व मृत्यु (1556)

सूर वंश के कमजोर पड़ते ही हुमायूँ ने ईरानी सहायता से दिल्ली–आगरा पुनः जीत लिया।

  • शेरशाह की मृत्यु (1545) के बाद – इस्लाम शाह, फिर कमजोर सूर शासक।
  • अराजकता व गृह–कलह के बीच मुगल–वापसी संभव हुई।
  • 1556 में पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिरने से हुमायूँ की मृत्यु – अकबर को 14 वर्ष की आयु में गद्दी मिली।
Quick Smart Revision – 5.2 हुमायूँ व शेरशाह
Last Minute Turbo Notes

परीक्षा से पहले 5–7 मिनट में पूरा टॉपिक रिवाइज करने के लिए उपयुक्त। 2–3 बार दोहराने से हुमायूँ–शेरशाह से जुड़े ज़्यादातर MCQs कवर हो जाते हैं।

⏱️ मुख्य तिथियाँ
  • बाबर की मृत्यु – 1530
  • चाऊसा – 1539
  • कन्नौज – 1540
  • शेरशाह की मृत्यु – 1545
  • हुमायूँ की वापसी – 1555
  • हुमायूँ की मृत्यु – 1556
⚔️ युद्ध सार
  • चाऊसा – हुमायूँ की पहली बड़ी हार
  • कन्नौज – निर्णायक पराजय, मुगल सत्ता समाप्त
  • दोनों में विजेता – शेरशाह सूरी
🛣️ शेरशाह – Infrastructure
  • GT Road – पूर्व से पश्चिम तक
  • सराय – हर दो कोस पर
  • डाक–चौकी – तेज़ संचार
💰 राजस्व व मुद्रा
  • भूमि–मापन पर आधारित लगान
  • रैयत–केंद्रित नीति
  • चाँदी का रुपया – मानकीकृत सिक्का
👀 Exam Smart Tips
  • “रुपया किसने जारी किया?” – लगभग हर लेवल पर पूछा गया प्रश्न।
  • कन्नौज = हुमायूँ का अंतिम पतन + सूर वंश की स्थापना।
  • हुमायूँ–निर्वासन–वापसी की टाइमलाइन को 2–3 बार कंठस्थ कर लो।
PYQs व एक पंक्ति प्रश्न (40+ with Explanation)
UPSC / PCS / RO-ARO / UPSSSC / Police
प्रत्येक प्रश्न के साथ उत्तर + 2–3 पंक्ति की संक्षिप्त व्याख्या दी गई है। पहले स्वयं सोचें, फिर “उत्तर देखें” पर क्लिक करके मिलान करें।
1. बाबर के पश्चात दिल्ली की गद्दी पर कौन बैठा? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: हुमायूँ।
व्याख्या: 1530 ई. में बाबर की मृत्यु के बाद उसका पुत्र हुमायूँ मुगल गद्दी पर बैठा, पर उसे प्रारंभ से ही अंदरूनी व बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
2. शेरशाह सूरी का मूल नाम क्या था? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: फ़रीद खान।
व्याख्या: एक शेर का अकेले शिकार करने पर उसे “शेरखाँ” की उपाधि मिली, बाद में सत्ता में आने पर “शेरशाह सूरी” के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
3. चाऊसा का युद्ध कब हुआ? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: 1539 ई.।
व्याख्या: चाऊसा (बक्सर के पास) में 1539 ई. को हुमायूँ व शेरखाँ के बीच युद्ध हुआ, जिसमें हुमायूँ की बुरी तरह हार हुई और शेरखाँ की प्रतिष्ठा बढ़ी।
4. चाऊसा के युद्ध में विजयी होने के बाद शेरखाँ ने कौन–सी उपाधि धारण की? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: शेरशाह।
व्याख्या: चाऊसा की विजय के बाद शेरखाँ ने “शेरशाह” की उपाधि ली और भारत के प्रमुख अफ़गान नेता के रूप में उभरा।
5. कन्नौज / बिलग्राम का युद्ध किस–किस के बीच लड़ा गया? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: हुमायूँ और शेरशाह सूरी के बीच।
व्याख्या: 1540 ई. का कन्नौज युद्ध निर्णायक साबित हुआ – इसमें हुमायूँ पराजित हुआ और उत्तर भारत पर शेरशाह का अधिकार हो गया।
6. कन्नौज के युद्ध के बाद मुगल साम्राज्य की क्या स्थिति हुई? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: मुगल सत्ता अस्थायी रूप से समाप्त हो गई।
व्याख्या: हुमायूँ की हार के बाद दिल्ली–आगरा पर सूर वंश का अधिकार हो गया और हुमायूँ निर्वासन के लिए विवश हो गया।
7. हुमायूँ को निर्वासन के दौरान किस विदेशी शासक से सहायता मिली? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: ईरान के शाह तहमास्प से।
व्याख्या: हुमायूँ ईरान पहुँचकर शाह तहमास्प से सैन्य सहायता प्राप्त करता है, जिसकी मदद से वह आगे कंधार–काबुल और फिर दिल्ली–आगरा वापस हासिल कर पाता है।
8. अकबर का जन्म किस स्थान पर हुआ था? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: उमरकोट (सिंध)।
व्याख्या: निर्वासन के दौरान हुमायूँ व उसकी पत्नी हमीदा बानो बेगम के यहाँ 1542 ई. में उमरकोट (आज के सिंध क्षेत्र) में अकबर का जन्म हुआ।
9. शेरशाह सूरी किस वंश का संस्थापक था? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: सूर वंश।
व्याख्या: कन्नौज में हुमायूँ को पराजित कर शेरशाह ने सूर वंश की स्थापना की और लगभग 15 वर्ष तक (उसके उत्तराधिकारियों सहित) अफ़गान सत्ता का प्रभुत्व रहा।
10. शेरशाह का शासनकाल लगभग कब से कब तक माना जाता है? (दिल्ली पर) 👁️उत्तर देखें
उत्तर: 1540 ई. से 1545 ई. तक।
व्याख्या: कन्नौज की विजय (1540) के बाद शेरशाह दिल्ली का वास्तव में शासक बना और 1545 में कालिंजर की घेराबंदी के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।
11. शेरशाह की मृत्यु किस स्थान की घेराबंदी के समय हुई? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: कालिंजर (किला)।
व्याख्या: कालिंजर किले की घेराबंदी के दौरान बारूद–भंडार में विस्फोट से शेरशाह बुरी तरह जल गया और उसकी मृत्यु हो गई।
12. शेरशाह के बाद सूर वंश का अगला शासक कौन बना? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: इस्लाम शाह सूरी।
व्याख्या: शेरशाह के बाद उसका पुत्र इस्लाम शाह गद्दी पर बैठा, जिसने कुछ समय तक प्रशासन को संभाला, पर उसके बाद सूर वंश तेजी से कमजोर होने लगा।
13. शेरशाह द्वारा बनाई गई प्रमुख सड़क, जो आगे चलकर GT Road के नाम से प्रसिद्ध हुई, किन क्षेत्रों को जोड़ती थी? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: बंगाल (सोनारगाँव/ढाका) से लेकर कंधार/काबुल तक।
व्याख्या: यह सड़क पूर्व–पश्चिम दिशा में लम्बी व्यापारिक व सामरिक धुरी बन गई, जिसे बाद में ग्रांड ट्रंक रोड कहा गया।
14. शेरशाह ने डाक व्यवस्था मजबूत करने के लिए क्या प्रमुख कदम उठाए? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: सरायों पर घुड़सवार डाक–वाहक व घोड़े तैनात किए।
व्याख्या: हर सराय को डाक–चौकी के रूप में भी उपयोग किया जाता था, जिससे समाचार व आदेश तेजी से राजधानी तक पहुँच जाते थे।
15. “रुपया” नामक चाँदी का सिक्का पहली बार किस शासक ने जारी किया माना जाता है? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: शेरशाह सूरी।
व्याख्या: शेरशाह ने वजन–मानक पर आधारित चाँदी का रुपया प्रचलन में लाया, जिसे बाद में मुगल व औपनिवेशिक काल में भी अपनाया गया।
16. शेरशाह की राजस्व नीति मुख्यतः किस पर आधारित थी? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: भूमि–मापन व फसल की औसत उपज पर।
व्याख्या: उसने भूमि को मापकर, फसल की उपज का अनुमान लगाकर लगान तय किया, जिससे मनमाना कर–शोषण कुछ हद तक घटा।
17. हुमायूँ की सबसे बड़ी व्यक्तिगत कमजोरी किस रूप में मानी जाती है? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: निर्णय क्षमता व राजनीतिक कठोरता की कमी।
व्याख्या: वह उदार व भावुक था, पर सही समय पर कठोर निर्णय न ले पाने के कारण शेरशाह जैसे प्रतिद्वंद्वियों के सामने कमजोर सिद्ध हुआ।
18. हुमायूँ की मृत्यु कैसे हुई? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिरने से।
व्याख्या: दिल्ली में शेरमंडल (पुस्तकालय) की सीढ़ियों से गिरकर 1556 ई. में उसकी मृत्यु हुई, जिसके बाद अकबर ने गद्दी संभाली।
19. किस शासक को “Akbar का पूर्वगामी” कहा जाता है – उसके प्रशासनिक सुधारों के कारण? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: शेरशाह सूरी।
व्याख्या: भूमि–मापन, राजस्व, सड़क, डाक आदि सुधारों ने आगे चलकर अकबर के अधिक विकसित प्रशासन के लिए आधार तैयार किया।
20. चाऊसा व कन्नौज – दोनों युद्धों में क्या समानता है? (एक पंक्ति में) 👁️उत्तर देखें
उत्तर: दोनों में हुमायूँ पराजित हुआ और शेरशाह विजयी रहा।
व्याख्या: चाऊसा ने शेरखाँ को “शेरशाह” बनाया, जबकि कन्नौज ने मुगल सत्ता को पूरी तरह समाप्त कर दिया – दोनों युद्ध उसकी असफलताओं का प्रतीक हैं।
21. शेरशाह ने अपने राज्य को किस–किस प्रशासनिक इकाई में बाँटा था? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: सर्कार → परगना → गाँव।
व्याख्या: शेरशाह ने प्रशासनिक इकाइयों को तीन मुख्य स्तरों में बाँटा – ऊपर सर्कार, उसके नीचे परगना और सबसे नीचे गाँव, जिससे नियंत्रण व कर वसूली में आसानी हुई।
22. शेरशाह के समय सर्कार स्तर पर मुख्य अधिकारी कौन–कौन होते थे? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: शिकार (सैनिक अधिकारी), मुंसिफ (न्याय/राजस्व), शहना आदि।
व्याख्या: सर्कार स्तर पर सैनिक, राजस्व और कानून–व्यवस्था के लिए अलग–अलग अधिकारी नियुक्त थे ताकि स्थानीय स्तर पर भी प्रशासन कारगर रहे।
23. गाँव स्तर पर शेरशाह की प्रशासनिक व्यवस्था में कौन–कौन से स्थानीय पद महत्वपूर्ण थे? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: मुखद्दम/मुखिया, पटवारी, चौकीदार।
व्याख्या: मुखिया गाँव के नेतृत्वकर्ता, पटवारी भूमि व राजस्व अभिलेखों के प्रभारी और चौकीदार सुरक्षा–व्यवस्था देखता था – यह ढाँचा आगे चलकर मुगल व अंग्रेज़ी शासन में भी जारी रहा।
24. शेरशाह ने व्यापार व यात्रा सुगम बनाने के लिए कौन–सा प्रमुख साधन विकसित किया? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: लंबी सड़कों का जाल व सराय–व्यवस्था (GT रोड सहित)।
व्याख्या: उसने प्रमुख मार्गों पर सड़कें, सराय, कुएँ व पेड़ लगवाकर व्यापार, प्रशासन और यात्रियों की सुविधा को बढ़ाया।
25. शेरशाह द्वारा स्थापित सरायों का मुख्य उद्देश्य क्या था? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: यात्रियों–व्यापारियों को विश्राम, सुरक्षा और डाक–चौकी की सुविधा देना।
व्याख्या: सरायें केवल विश्राम–स्थान नहीं थीं, इन्हें डाक–व्यवस्था और राज्य–निगरानी के केन्द्र के रूप में भी प्रयोग किया जाता था।
26. शेरशाह ने सड़क के दोनों ओर पेड़ लगवाने का क्या लाभ था? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: यात्रियों को छाया और सड़क की पहचान में सुविधा।
व्याख्या: पेड़ों से गर्मी में राहत, मार्ग–चिह्न, और दूर से सड़क की दिशा पहचानने में मदद मिलती थी – यह पर्यावरणीय व व्यावहारिक दोनों दृष्टि से उपयोगी था।
27. शेरशाह की न्याय–व्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता क्या मानी जाती है? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: अपराध होने पर केवल अपराधी ही नहीं, क्षेत्रीय अधिकारी भी जिम्मेदार।
व्याख्या: यदि मार्ग पर डकैती होती, तो उस क्षेत्र के अधिकारी से भी जवाब तलब होता, जिससे प्रशासनिक सतर्कता बढ़ती थी।
28. शेरशाह की मुद्रा–व्यवस्था ने किस क्षेत्र को सबसे अधिक प्रभावित किया? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: व्यापार और बाज़ार–व्यवस्था।
व्याख्या: निश्चित भार वाले रुपया–सिक्कों से विश्वास बढ़ा, निवेश, लेन–देन और लंबी दूरी के व्यापार को बढ़ावा मिला।
29. शेरशाह की भूमि राजस्व–व्यवस्था किस वर्ग के लिए अपेक्षाकृत लाभकारी मानी जाती है? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: कृषक वर्ग (रैयत) के लिए।
व्याख्या: माप–जोख व औसत उपज के आधार पर लगान निर्धारण से मनमाने कर में कमी आई, हालांकि व्यवहार में कहीं–कहीं अधिकारियों की कठोरता भी रही।
30. किस मुगल शासक के प्रशासनिक सुधारों की तुलना शेरशाह की व्यवस्था से की जाती है? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: अकबर।
व्याख्या: अकबर की भूमि–राजस्व नीति (टोडरमल की व्यवस्था), प्रशासनिक इकाइयाँ और संचार–तंत्र शेरशाह की नीतियों से काफी प्रेरित माने जाते हैं।
31. हुमायूँ की गुजरात नीति को इतिहासकार कैसे देखते हैं? 👁️उत्तर देखें