मनसबदारी प्रणाली एवं ज़ब्ती व्यवस्था (Mansabdari System & Zabti): medieval History Notes in Hindi| Noble Exam City

मनसबदारी प्रणाली एवं ज़ब्ती व्यवस्था (Mansabdari System & Zabti): medieval History Notes in Hindi| Noble Exam City

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📚 Noble Exam City
भारत की नम्बर 1 स्टडी मटेरियल वेबसाइट – स्मार्ट तैयारी, पक्का चयन
अध्याय 6 • अकबर का शासन
6.2 मनसबदारी प्रणाली एवं ज़ब्ती व्यवस्था – मनसब, जागीर, सैन्य व राजस्व प्रशासन (UPSC/PCS/RO-ARO/UPSSSC/Police)
🎯 ज़ात–सवार, मनसब रैंक, जागीर, दाग–चेहरा, ज़ब्ती, दशसाला, तोदरमल – सभी मुख्य टॉपिक 📝 UPSC, State PCS, RO/ARO, UPSSSC, Police व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु गहन हिंदी नोट्स, Quick Revision व PYQs
🏰 मध्यकालीन भारत अकबर का शासन मनसबदारी एवं ज़ब्ती व्यवस्था
📘 6.2 मनसबदारी प्रणाली एवं ज़ब्ती व्यवस्था – Deep Study Notes
Core प्रशासन – Mughal Exam Favourite
क्यों महत्वपूर्ण? अकबर की मनसबदारी + ज़ब्ती व्यवस्था ने पूरे मुगल प्रशासन, सेना और राजस्व व्यवस्था का ढाँचा तय किया। लगभग हर परीक्षा में इससे सीधे या परोक्ष 2–3 प्रश्न आते हैं।
💡
SMART TRICK: “मनसब = पद + रैंक, जागीर = भुगतान का साधन, ज़ब्ती = लगान की गणना” तीनों को आपस में गड़बड़ मत करो – यही exam में सबसे common confusion है।
📜 मनसबदारी – मूल अवधारणा

“मनसब” का अर्थ है पद, रैंक या दर्जा। अकबर ने पूरे साम्राज्य के अधिकारियों, सेनापतियों और दरबारी उमराओं को एक संगठित रैंक सिस्टम के अंतर्गत रखा, जिसे मनसबदारी कहा जाता है।

  • हर अधिकारी के नाम के साथ एक संख्या जुड़ी – यही उसका मनसब रैंक था।
  • मनसब के आधार पर ही वेतन, प्रतिष्ठा, सैनिक जिम्मेदारी तय होती थी।
  • मनसबदारी पूरी तरह केन्द्र की कृपा पर आधारित थी – वंशानुगत नहीं।
⚖️ ज़ात (Zat) और सवार (Sawar)

अकबर ने मनसब को दो भागों में बाँटा:

  • ज़ात (Zat): अधिकारी की व्यक्तिगत रैंक – उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा, दरबार में स्थान, व्यक्तिगत वेतन आदि इसी पर निर्भर।
  • सवार (Sawar): अधिकारी के पास कितने अश्वारोही (घुड़सवार) होने चाहिए, यह संख्या “सवार” से तय होती थी।
  • कई बार किसी का ज़ात बड़ा, सवार कम या ज़ात कम, सवार बड़ा भी हो सकता था – ज़रूरत के अनुसार।

Exam में अक्सर पूछा जाता है: “ज़ात किससे संबंधित है? सवार किससे?”

📊 मनसब की श्रेणियाँ व सीमा

अकबर के समय मनसब की संख्या लगभग 10 से 5000 (ज़ात) तक थी (कुछ विशेष लोगों को 7000 तक भी); सवार रैंक भी अलग–अलग।

  • छोटी श्रेणी: 10, 20, 50, 100 मनसब।
  • मध्यम: 500, 1000, 1500, 2000 मनसब।
  • उच्च: 3000, 4000, 5000 (राजकुमारों, बड़े अमीरों को)।

मनसब जितना ऊँचा, उतनी अधिक ज़िम्मेदारी, वेतन और राजनीतिक महत्व

🖋️ नियुक्ति, पदोन्नति एवं बर्खास्तगी

मनसबदार की नियुक्ति सीधे बादशाह की ओर से फ़रमान द्वारा होती थी।

  • मनसब किसी की जन्म–आधारित संपत्ति नहीं था – बादशाह जब चाहे बढ़ा या घटा सकता था।
  • योग्यता, युद्ध–सेवा, वफादारी और प्रशासनिक क्षमता के आधार पर पदोन्नति।
  • द्रोह, भ्रष्टाचार या नाकामी की स्थिति में तुरंत डिमोशन या बर्खास्तगी संभव।

इससे केन्द्र के हाथ में पूर्ण नियंत्रण बना रहता था।

💰 वेतन प्रणाली – नकद व जागीर

मनसबदारों का वेतन दो तरीकों से दिया जाता था:

  • नकद वेतन (Naqdi): खज़ाने से सीधे भुगतान।
  • जागीर: किसी क्षेत्र की राजस्व–आय मनसबदार को दे दी जाती, जिससे वह अपना वेतन और सैनिकों का खर्च निकालता।

मनसबदार जागीर का मालिक नहीं होता था, केवल अस्थायी राजस्व–उपभोग का अधिकार मिलता था।

🐎 दाग (Dagh) और चेहरा (Chehra) व्यवस्था

अकबर ने घुड़सवारों की गुणवत्ता व संख्या पर नियंत्रण के लिए दो महत्वपूर्ण व्यवस्थाएँ अपनाईं:

  • दाग व्यवस्था: घोड़ों पर सरकारी निशान (ब्रांड) लगाना, जिससे नकली घोड़ों की आपूर्ति न हो सके।
  • चेहरा व्यवस्था: सैनिकों की हाज़िरी व पहचान के लिए उनके चेहरे का रजिस्टर / विवरण रखना।

ये दोनों कदम धोखाधड़ी रोकने और सेना को सक्षम बनाने के लिए थे।

⚠️ जागीरदारी – लाभ और समस्याएँ

जागीर व्यवस्था ने मनसबदारों को वेतन देना आसान बनाया, परंतु कुछ समस्याएँ भी पैदा हुईं:

  • कुछ जागीरदारों ने किसानों पर अत्यधिक लगान लगाया।
  • जागीरें बदलती रहती थीं – मनसबदार लम्बी अवधि की सुधार योजना कम बनाते थे।
  • केंद्र को लगातार जागीर–बँटवारे पर निगरानी रखनी पड़ती थी।

फिर भी अकबर के समय तक यह व्यवस्था अपेक्षाकृत संतुलित रूप से चलती रही।

🌾 ज़ब्ती व्यवस्था – भूमि राजस्व की रीढ़

“ज़ब्त” का अर्थ है रिकॉर्डेड असेसमेंट – यानी भूमि, फसल, उत्पादन और लगान का संगठित हिसाब।

  • अकबर ने अधिकतर क्षेत्रों में मध्य–माप और औसत पैदावार के आधार पर लगान तय किया।
  • किसानों से लगान प्रायः नकद लिया जाता (कई स्थानों पर उपज का हिस्सा भी)।
  • राजस्व की गणना के लिए गाँव–स्तर तक मौजा–वार रिकॉर्ड तैयार किए गए।

यही व्यवस्था आगे चलकर तोदरमल के दशसाला नियम में परिपक्व रूप में दिखती है।

📏 टोडरमल की दशसाला योजना

राजस्व मंत्री राजा तोदरमल ने अकबर के समय दशसाला (10 वर्ष औसत) योजना लागू की।

  • पिछले 10 वर्षों की औसत पैदावार और दाम के आधार पर लगान दर तय।
  • फसलों, भूमि की उपजाऊ क्षमता और क्षेत्र के अनुसार अलग–अलग दरें
  • लगान सामान्यतः उपज का 1/3 हिस्सा (लगभग) माना जाता है।

इससे राजस्व–आय स्थिर हुई और किसान भी एक तरह की निश्चितता महसूस करने लगे।

📐 भूमि–मापन व वसूली की पद्धतियाँ
  • जरेब मापन: भूमि को नापने के लिए मानकीकृत रस्सियों / मापन–पद्धति का प्रयोग।
  • बटाई पद्धति: उपज का हिस्सा बाँटकर लगान – फसल कटने के बाद।
  • कांकुत / अनुमान: खड़ी फसल देखकर अनुमानित उपज के आधार पर लगान।
  • नकद वसूली: राजस्व प्रायः नकद में, जिससे राज्य को स्थिर आय मिलती थी।

क्षेत्र के अनुसार इन पद्धतियों का मिश्रित प्रयोग होता था – लेकिन ज़ब्ती + दशसाला मुख्य ढांचा था।

🏛️ राजस्व प्रशासन का ढांचा
  • दीवान–ए–आला: केंद्रीय राजस्व प्रमुख (सम्पूर्ण साम्राज्य)।
  • सुबह दीवान: प्रांतों में राजस्व अधिकारी।
  • आमिल / कारकुन: जिला एवं परगना स्तर पर वसूली अधिकारी।
  • क़ानूनगो, पटवारी: भूमि रिकॉर्ड व आँकड़े तैयार करने वाले स्थानीय कर्मचारी।

इसी नेटवर्क के माध्यम से ज़ब्ती व्यवस्था जमीन पर लागू होती थी।

🔍 मनसबदारी + ज़ब्ती – समग्र मूल्यांकन
  • मनसबदारी से केंद्र का नियंत्रण मजबूत – सेना व अधिकारी पूरी तरह बादशाह पर निर्भर।
  • ज़ब्ती–दशसाला से राजस्व–आधार स्थिर, योजनाबद्ध व वैज्ञानिक पद्धति।
  • जागीरदारी और उच्च लगान के कारण कुछ क्षेत्रों में किसानों की स्थिति कठिन भी रही।
  • लम्बे समय में यही संरचना आगे मुगल–पतन के समय जागीर–संकट का भी कारण बनती है।
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EXAM POINTER: Descriptive / Mains में अक्सर प्रश्न आता है – “अकबर की प्रशासनिक सफलता का आधार – मनसबदारी व ज़ब्ती।” ऊपर दिए बिंदुओं को प्रस्तावना–मुख्य–निष्कर्ष में बाँटकर उत्तर लिख सकते हैं।
Quick Smart Revision – मनसबदारी एवं ज़ब्ती
Last Minute Turbo Revision

परीक्षा से पहले 5–7 मिनट में पूरा टॉपिक दोहराने के लिए यह सेक्शन तैयार किया गया है। इसे 2–3 बार रिवाइज करने से मनसबदारी–ज़ब्ती से जुड़े अधिकांश MCQs कवर हो जाते हैं।

📌 मनसब – मूल तथ्य
  • “मनसब” = रैंक / पद।
  • परिचय: अकबर के समय पूर्ण रूप से विकसित।
  • रेंज: लगभग 10 से 5000 (कुछ को 7000)।
  • वेतन, प्रतिष्ठा, सैनिक जिम्मेदारी – सब मनसब पर आधारित।
⚖️ ज़ात बनाम सवार
  • ज़ात = व्यक्तिगत रैंक, वेतन, दरबार में स्थान।
  • सवार = घुड़सवारों की संख्या की जिम्मेदारी।
  • एक ही व्यक्ति का ज़ात और सवार अलग–अलग हो सकता है।
👑 मनसबदारी की विशेषताएँ
  • वंशानुगत नहीं – पूरी तरह बादशाह की मर्जी।
  • युद्ध–सेवा व वफादारी पर आधारित पदोन्नति।
  • केन्द्र के लिए नियंत्रण का मजबूत साधन।
💰 वेतन एवं जागीर
  • नकद वेतन + जागीर–आय।
  • जागीर = राजस्व का स्रोत, भूमि का मालिकाना हक़ नहीं।
  • जागीरें स्थानांतरित – स्थायी जमींदारी नहीं बन पाई।
🐎 दाग और चेहरा
  • दाग = घोड़ों पर सरकारी निशान।
  • चेहरा = सैनिकों का रजिस्टर / हाज़िरी।
  • उद्देश्य – फर्जी घोड़े व काल्पनिक सैनिकों पर रोक।
🌾 ज़ब्ती व्यवस्था – मुख्य बिंदु
  • भूमि व उत्पादन का नियमित रिकॉर्ड।
  • लगान मुख्यतः नकद – उपज के अनुपात में।
  • मौजा–वार आँकड़ों के आधार पर निर्धारण।
📏 दशसाला योजना
  • राजा तोदरमल द्वारा विकसित।
  • पिछले 10 वर्षों की औसत उपज व दाम पर आधारित।
  • लगान लगभग उपज का 1/3 हिस्सा।
“10 वर्ष औसत” = दशसाला
📐 राजस्व पद्धतियाँ
  • जरेब–मापन (भूमि नाप)।
  • बटाई (फसल बाँटकर वसूली)।
  • कांकुत (अनुमान आधारित वसूली)।
🏛️ राजस्व प्रशासन
  • दीवान–ए–आला – केन्द्रीय राजस्व प्रमुख।
  • सुबह दीवान – प्रांतीय राजस्व अधिकारी।
  • क़ानूनगो, पटवारी, आमिल – स्थानीय राजस्व ढाँचा।
💡 Exam Smart Tips
  • “ज़ात–सवार–जागीर–दशसाला” – चारों के बीच अंतर साफ़ रखें।
  • अधिकांश MCQ सीधे definition या Pair–matching पर आधारित होते हैं।
  • 1–2 प्रश्न विश्लेषणात्मक – “अकबर की सफलता का आधार” पर आते हैं।
PYQs व एक पंक्ति प्रश्न (30+ Qs with Explanation)
UPSC / PCS / RO-ARO / UPSSSC / Police
इस सेक्शन में लगभग 30 महत्वपूर्ण प्रश्न दिए गए हैं। हर प्रश्न के बाद उत्तर + 2–3 पंक्ति की व्याख्या है। पहले स्वयं सोचें, फिर “उत्तर देखें” बटन पर क्लिक करें।
1. “मनसब” शब्द का सामान्य अर्थ क्या है?
उत्तर: पद, दर्जा या रैंक।
व्याख्या: अकबर के प्रशासन में “मनसब” से तात्पर्य किसी अधिकारी के रैंक से है, जिसके आधार पर उसकी वेतन, प्रतिष्ठा व सैन्य जिम्मेदारी तय होती थी।
2. मनसबदारी प्रणाली किस मुगल शासक के समय पूर्ण रूप से विकसित मानी जाती है?
उत्तर: अकबर के समय।
व्याख्या: प्रारंभिक रूप से विचार हुमायूँ के काल में दिखते हैं, परंतु इसे संगठित, विस्तृत और साम्राज्य–व्यापी रूप अकबर ने ही दिया।
3. मनसबदारी में “ज़ात” किससे संबंधित है?
उत्तर: अधिकारी की व्यक्तिगत रैंक और वेतन से।
व्याख्या: ज़ात–रैंक से ही अधिकारी की सामाजिक प्रतिष्ठा, दरबार में स्थान और व्यक्तिगत वेतन निर्धारित होता था – यह व्यक्तिगत status को दर्शाता है।
4. मनसबदारी में “सवार” किस बात को दर्शाता है?
उत्तर: मनसबदार के अधीन रखे जाने वाले घुड़सवारों की संख्या।
व्याख्या: सवार–रैंक से यह निर्धारित होता था कि अधिकारी को अपने साथ कितने अश्वारोही सैनिक बनाए रखने हैं, जिनकी जांच दाग–चेहरा से होती थी।
5. क्या मनसब वंशानुगत (Hereditary) पद था?
उत्तर: नहीं, यह पूर्ण रूप से बादशाह की कृपा पर निर्भर पद था।
व्याख्या: मनसब किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति नहीं थी; बादशाह चाहे तो बढ़ा, घटा या समाप्त कर सकता था – इससे केन्द्र का नियंत्रण मजबूत रहता था।
6. अकबर के समय सामान्यतः मनसब की रेंज कितनी से कितनी मानी जाती है?
उत्तर: लगभग 10 से 5000 (कुछ विशिष्ट के लिए 7000 तक)।
व्याख्या: निचली श्रेणी के अमीलों से लेकर बड़े उमराओं व राजकुमारों तक अलग–अलग मनसब निर्धारित किए गए थे, जो बाद में बदलाव के साथ बढ़ते भी रहे।
7. मनसबदारों को वेतन किस दो मुख्य रूपों में दिया जाता था?
उत्तर: नकद वेतन और जागीर की आय के रूप में।
व्याख्या: बहुत–से मनसबदारों को सीधे खज़ाने से नकद वेतन मिलता था, जबकि कई को किसी क्षेत्र की राजस्व–आय (जागीर) दे दी जाती, जिससे वे अपना व सैनिकों का खर्च उठाएँ।
8. क्या मनसबदार जागीर की भूमि का मालिक होता था?
उत्तर: नहीं, उसे केवल राजस्व–उपभोग का अस्थायी अधिकार मिलता था।
व्याख्या: जागीर वास्तव में राज्य की भूमि थी; मनसबदार को केवल वहाँ से आय लेने का अधिकार था, जिससे स्थायी जमींदारी वर्ग तैयार न हो सके और भूमि पर अंतिम नियंत्रण राज्य के पास रहे।
9. “दाग व्यवस्था” (Dagh System) किससे संबंधित है?
उत्तर: घोड़ों पर सरकारी निशान (ब्रांड) लगाने से।
व्याख्या: मनसबदार यदि कमज़ोर या नकली घोड़े दिखाकर वेतन ले लें, इसे रोकने के लिए सरकारी निशान (दाग) लगाया जाता था, ताकि घोड़ों की पहचान हमेशा बनी रहे।
10. “चेहरा व्यवस्था” का उद्देश्य क्या था?
उत्तर: सैनिकों की वास्तविक संख्या व पहचान दर्ज करना।
व्याख्या: चेहरा व्यवस्था के अंतर्गत सैनिकों का विवरण व हाज़िरी–रजिस्टर रखा जाता, ताकि मनसबदार काल्पनिक सैनिक दिखाकर सरकार से अधिक वेतन न ले सकें।
11. “ज़ब्ती” शब्द का राजस्व प्रशासन में क्या अर्थ है?
उत्तर: भूमि व उत्पादन का दर्ज–शुदा आकलन और उसके आधार पर लगान निर्धारण।
व्याख्या: ज़ब्ती व्यवस्था के तहत भूमि, फसल, पैदावार, लगान आदि का लिखित रिकॉर्ड तैयार किया जाता था, जिससे राजस्व–वसूली वैज्ञानिक और स्थिर बन सके।
12. दशसाला (Ten-year) राजस्व योजना किसके नाम से जुड़ी है?
उत्तर: राजा तोदरमल।
व्याख्या: अकबर के राजस्व मंत्री तोदरमल ने पिछले 10 वर्षों की औसत उपज व कीमत के आधार पर लगान निर्धारण की पद्धति विकसित की, जिसे दशसाला योजना कहा जाता है।
13. दशसाला योजना में लगान निर्धारण का मुख्य आधार क्या था?
उत्तर: पिछले 10 वर्षों की औसत पैदावार और दाम।
व्याख्या: अचानक बढ़–घट से बचने के लिए लंबी अवधि की औसत ली गई, जिससे राज्य को स्थिर आय और किसानों को अनुमानित बोझ दोनों सुनिश्चित हों।
14. अकबर के समय सामान्यतः लगान को उपज के किस हिस्से के बराबर माना जाता है (औसत रूप से)?
उत्तर: लगभग एक–तिहाई (1/3) के आसपास।
व्याख्या: अलग–अलग क्षेत्रों व फसलों के लिए दरें अलग थीं, लेकिन सामान्य तौर पर लगान उपज के लगभग एक–तिहाई भाग के आसपास माना जाता है।
15. “जरेब” शब्द किससे संबंधित है?
उत्तर: भूमि–मापन की मानकीकृत पद्धति से।
व्याख्या: जरेब के अंतर्गत मानकीकृत रस्सियों/मापकों से खेतों को नापा जाता, ताकि भूमि के आकार के अनुसार सही लगान निर्धारित किया जा सके।
16. बटाई पद्धति किस प्रकार की राजस्व वसूली से संबंधित है?
उत्तर: फसल काटने के बाद उपज का हिस्सा बाँटकर लगान लेना।
व्याख्या: बटाई में किसान और राज्य / जमींदार के हिस्से स्पष्ट तय रहते, और कटाई के बाद वास्तविक उपज के आधार पर हिस्सा बाँटा जाता था।
17. कांकुत पद्धति क्या थी?
उत्तर: खड़ी फसल देखकर अनुमानित उपज पर आधारित लगान–निर्धारण पद्धति।
व्याख्या: जहाँ भौतिक बटाई कठिन हो, वहाँ अधिकारी खेतों का निरीक्षण कर उपज का अनुमान लगाते और उसी के अनुसार लगान तय करते थे।
18. अकबर के समय केन्द्रीय राजस्व प्रमुख को क्या कहा जाता था?
उत्तर: दीवान–ए–आला।
व्याख्या: दीवान–ए–आला पूरे साम्राज्य की आय–व्यय, लगान–व्यवस्था और राजस्व–नीति का प्रमुख अधिकारी था, जो सीधे बादशाह के प्रति उत्तरदायी रहता था।
19. प्रांतीय स्तर पर राजस्व प्रमुख को क्या कहा जाता था?
उत्तर: सुबह दीवान।
व्याख्या: हर सूबे में एक दीवान होता था, जो उस प्रांत की राजस्व–व्यवस्था का प्रभारी और केंद्र के दीवान–ए–आला के अधीन होता।
20. मनसबदारी प्रणाली का सबसे बड़ा राजनीतिक लाभ क्या था?
उत्तर: केंद्र के हाथ में सेना व अधिकारियों पर सीधा नियंत्रण।
व्याख्या: मनसबदारी ने सभी बड़े–छोटे सैनिक–अधिकारी वर्ग को बादशाह पर निर्भर बना दिया, जिससे प्रांतीय स्वायत्तता व विद्रोह की संभावना कम हुई।
21. जागीर व्यवस्था की एक प्रमुख कमी क्या मानी जाती है?
उत्तर: कई जागीरदारों द्वारा किसानों पर अत्यधिक लगान–दबाव।
व्याख्या: जागीर से अधिकतम आय निकालने की होड़ में कुछ जागीरदार किसानों पर भारी बोझ डालते, जिससे ग्रामीण जीवन पर नकारात्मक असर पड़ता था।
22. मनसबदारी और ज़ब्ती व्यवस्था का संयुक्त प्रभाव अकबर के शासन पर क्या पड़ा?
उत्तर: मजबूत केंद्रीकृत प्रशासन और स्थिर राजस्व–आधार।
व्याख्या: सेना और अधिकारी वर्ग मनसब से नियंत्रित, जबकि ज़ब्ती–दशसाला से स्थिर राजस्व – यही संयोजन अकबर की दीर्घकालिक राजनीतिक सफलता का आधार बना।
23. “मनसबदार = सैनिक + प्रशासक” कथन का क्या अर्थ है?
उत्तर: मनसबदार के पास सैन्य व राजस्व–प्रशासन दोनों प्रकार की जिम्मेदारियाँ होती थीं।
व्याख्या: उन्हें एक ओर सैनिकों को बनाए रखना होता था, दूसरी ओर जिसके अधीन क्षेत्र या जागीर होती, वहाँ प्रशासन व वसूली पर भी निगरानी करनी पड़ती।
24. मनसबदारी प्रणाली में भ्रष्टाचार रोकने के लिए कौन–सी दो प्रमुख व्यवस्थाएँ लागू की गई थीं?
उत्तर: दाग व्यवस्था और चेहरा व्यवस्था।
व्याख्या: घोड़ों पर सरकारी निशान (दाग) और सैनिकों का चेहरा–रजिस्टर रखने से नकली घोड़े व काल्पनिक सैनिक दिखाकर अधिक वेतन लेने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगा।
25. दशसाला योजना को “वैज्ञानिक राजस्व–विधि” क्यों कहा जाता है?
उत्तर: यह केवल अनुमान पर नहीं, दीर्घकालीन आँकड़ों और औसत पर आधारित थी।
व्याख्या: पिछले 10 वर्षों के रिकॉर्ड, कीमतों और उत्पादन के आधार पर लगान तय करना आधुनिक आँकड़ा–आधारित नीति के समान था, इसीलिए इसे अपेक्षाकृत वैज्ञानिक माना जाता है।
26. अकबर के राजस्व सुधारों में स्थानीय कर्मचारियों जैसे क़ानूनगो व पटवारी की क्या भूमिका थी?
उत्तर: भूमि–रिकॉर्ड, फसल व लगान से जुड़े आँकड़े संकलित और संरक्षित करना।
व्याख्या: क़ानूनगो व पटवारी ही गाँव–परगना स्तर पर ज़ब्ती–दशसाला के लिए आवश्यक डेटा तैयार करते थे, जिससे ऊपरी स्तर पर नीति बनाना संभव हो पाता था।
27. मनसबदारी प्रणाली के कारण मुगल साम्राज्य की सेना में क्या खास विशेषता विकसित हुई?
उत्तर: केन्द्रीय रूप से नियंत्रित लेकिन क्षेत्रीय रूप से फैला हुआ सैनिक ढाँचा।
व्याख्या: मनसबदार अलग–अलग क्षेत्रों में रहते हुए भी सीधे बादशाह से जुड़े सैनिक–कमांडर थे, जिससे किसी भी क्षेत्र में जल्दी सैनिक एकत्र करना संभव हुआ।
28. अकबर के काल में मनसबदारी व ज़ब्ती व्यवस्था ने किस वर्ग की सबसे अधिक आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया?
उत्तर: किसानों (कृषक वर्ग) की।
व्याख्या: लगान की दर, वसूली की पद्धति, जागीरदारों का व्यवहार – सबका सीधा असर खेत–किसानों पर पड़ता था; इसलिए इन व्यवस्थाओं की सफलता–विफलता का पैमाना भी किसान की स्थिति से जुड़ता है।
29. क्या मनसबदारी और ज़ब्ती व्यवस्था बाद के मुगल शासकों के समय भी ज्यों–की–त्यों बनी रही?
उत्तर: मूल ढाँचा तो रहा, पर कई विकृतियाँ भी उत्पन्न हुईं।
व्याख्या: जहाँ अकबर के समय यह अपेक्षाकृत संतुलित थी, वहीं आगे चलकर मनसबों की अत्यधिक वृद्धि, जागीर–संकट और भ्रष्टाचार से यही व्यवस्थाएँ मुगल–पतन की प्रक्रिया में भी योगदान देती हैं।
30. परीक्षा की दृष्टि से मनसबदारी एवं ज़ब्ती पढ़ते समय किन प्रमुख शीर्षकों पर विशेष ध्यान देना चाहिए?
उत्तर: मनसब की परिभाषा, ज़ात–सवार, दाग–चेहरा, जागीर, ज़ब्ती, दशसाला और तोदरमल।
व्याख्या: पिछले वर्षों के प्रश्न–पत्रों में बार–बार यही keywords दोहराए गए हैं, इसलिए objective व descriptive दोनों प्रकार के प्रश्नों के लिए इन्हें पक्के तरीके से याद रखना चाहिए।

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