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जैन धर्म व अन्य समकालीन संप्रदाय (Full Magic Notes)
महावीर का जीवन व उपदेश, त्रिरत्न, पंच महाव्रत, संप्रदाय (दिगंबर–श्वेतांबर), तीर्थंकर, जैन साहित्य, परिषदें तथा अन्य समकालीन श्रमण/दार्शनिक संप्रदाय – UPSC / State PSC / SSC के लिये विशेष।
🧭 Ancient India – Religion & Philosophy
🎯 Target: UPSC / UPPSC / PCS / SSC /UPSSSC / Railway
📚 Jainism + Contemporary Sects
🕉️ जैन धर्म : मूल परिचय व उत्पत्ति
‘जैन’ शब्द जीना / जेतुम (संस्कृत धातु) से –
जिसका अर्थ है इंद्रियों व मन पर विजय प्राप्त करने वाला (विजेता) →
जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करे वही जिन, उसके अनुयायी जैन कहलाते हैं।
- जैन धर्म की परम्परा के अनुसार यह अत्यन्त प्राचीन है, जिसकी शुरुआत पहले तीर्थंकर ऋषभदेव (आदिनाथ) से मानी जाती है।
- ऐतिहासिक रूप से परीक्षा में प्रायः 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ व 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी के समय से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं।
🧘♂️ श्रमण परंपरा
- छठी–पाँचवीं शती ई.पू. में गंगा घाटी में श्रमण आंदोलन – वैदिक कर्मकांड के विरोध में।
- इसी श्रमण परम्परा से जैन, बौद्ध, आजीवक, आज्ञानिक, लोकायत (चार्वाक) आदि धाराएँ उभरीं।
🧿 जैन धर्म की विशिष्टताएँ
- अहिंसा परमो धर्मः – विचार, वाणी, कर्म – तीनों स्तर पर अहिंसा।
- सापेक्षवाद / अनेकान्तवाद – सत्य को अनेक दृष्टियों से देखने की प्रवृत्ति।
- आत्मा व कर्म सिद्धांत – कर्म–बंधन से मुक्ति ही मोक्ष।
👣 भगवान महावीर : जीवन-कथा (Life Sketch)
📍 जन्म व परिवार
- जन्म : परम्परागत रूप से 540 ई.पू. (कहीं-कहीं 599 ई.पू. भी), स्थान – कुंडग्राम / कुंडपुर (वैशाली के निकट)।
- पिता – सिद्धार्थ (ज्ञात्रिक/लिच्छवि क्षत्रिय कुल), माता – त्रिशला / प्रजावती।
- पत्नी – यशोदा, पुत्री – अनोया / प्रियदर्शना (स्रोत भिन्न-भिन्न)।
🕊️ संन्यास व ज्ञान
- 30 वर्ष की आयु में गहन वैराग्य → संन्यास।
- 12 वर्ष कठोर तपस्या (भिक्षाटन, निःवस्त्र अवस्था, ध्यान)।
- केवलज्ञान (सर्वज्ञता) : 42 वर्ष की आयु में, ऋजुपालिका नदी के किनारे, Jrimbhikgram के पास।
🪔 महावीर की मृत्यु (महापरिनिर्वाण)
- स्थान : पावापुर (पावापुरी), मगध – वर्तमान बिहार।
- आयु : परम्परा के अनुसार 72 वर्ष।
- तिथियाँ :
- जैन परम्परा – 527 ई.पू. के आसपास महापरिनिर्वाण।
- आधुनिक इतिहासकार – लगभग 468 ई.पू. भी स्वीकारते हैं।
- दीपावली को कई जैन सम्प्रदाय महावीर निर्वाण-दिवस के रूप में मनाते हैं।
🏞️ 24 तीर्थंकर : प्रमुख तथ्य
📌 मूल बातें
- जैन धर्म में 24 तीर्थंकर – जो तीर्थ (मार्ग) स्थापित करते हैं।
- प्रथम तीर्थंकर : ऋषभदेव / आदिनाथ – इन्हें कृषि, लिपि, नगरी-जीवन आदि के आरम्भ से जोड़ते हैं।
- 23वाँ तीर्थंकर : पार्श्वनाथ – काषाय व्रत (4 व्रत) के उपदेशक।
- 24वाँ तीर्थंकर : महावीर स्वामी – पंच महाव्रत, त्रिरत्न का व्यवस्थित प्रतिपादन।
🔍 परीक्षा में प्रायः पूछे जाने वाले बिंदु
- ऋषभदेव का प्रतीक चिन्ह – प्रायः बैल/वृषभ।
- पार्श्वनाथ – प्रतीक सर्प, जन्म–स्थान : वाराणसी।
- महावीर – प्रतीक सिंह, जन्म–स्थान : कुंडग्राम।
- तीर्थंकरों की संख्या 24 – अक्सर अन्य धर्मों के अवतारों/प्रवर्तकों से कनफ्यूज़न।
📜 जैन सिद्धांत : त्रिरत्न, पंच महाव्रत व अन्य
💎 त्रिरत्न (Three Jewels)
- सम्यक दर्शन – सही दृष्टि / ईश्वर व सत्य के प्रति आस्था।
- सम्यक ज्ञान – सही / निर्मल ज्ञान (मिथ्या ज्ञान से मुक्त)।
- सम्यक चरित्र – सही आचरण, व्रतों का पालन।
- इन तीनों के समन्वय से ही मोक्ष संभव – केवल ज्ञान, केवल श्रद्धा या केवल आचरण पर्याप्त नहीं।
✋ पंच महाव्रत (साधुओं के लिए)
- अहिंसा – किसी भी जीव को मन, वचन, कर्म से आघात न करना।
- सत्य – असत्य भाषण से बचना, हितकर सत्य बोलना।
- अस्तेय – जो दिया न गया हो, उसे न लेना।
- ब्रह्मचर्य – इन्द्रिय संयम / पूर्ण ब्रह्मचर्य।
- अपरिग्रह – संग्रह-वृत्ति का त्याग, आवश्यकता से अधिक वस्तु न रखना।
🏠 श्रावक (गृहस्थ) के लिये व्रत
- गृहस्थों के लिये इन्हीं व्रतों का लघुरूप – अनुव्रत रूप में पालन अनिवार्य।
- इसके अतिरिक्त गुणव्रत व शिक्षाव्रत मिलाकर कुल 12 व्रत – परीक्षा में पूछे जाते हैं।
- मुख्य उद्देश्य – धीरे-धीरे संसारिक बंधनों को घटाते हुए साधु-जीवन की ओर बढ़ना।
🎯 कर्म व मोक्ष सिद्धांत
- कर्म को जैन दर्शन में सूक्ष्म पदार्थ माना गया है जो आत्मा से चिपकते हैं।
- संसार में जन्म–मरण का कारण – कर्मबंधन।
- तप, संयम, व्रत, ज्ञान के द्वारा कर्म का क्षय → मोक्ष (कर्म–बंधन से पूर्ण मुक्ति)।
⚖️ अनेकान्तवाद व स्याद्वाद
- अनेकान्तवाद – सत्य अनेक कोणों से देखा जा सकता है; किसी एक दृष्टि से पूर्ण सत्य नहीं।
- स्याद्वाद – ‘किसी दृष्टि से’, ‘एक अर्थ में’ – कथन को सापेक्ष बताने के लिये स्यात् का प्रयोग।
- परीक्षा में इसे Relativistic / Non-Absolutist दर्शन के रूप में भी पूछा जाता है।
🏛️ जैन संघ, जैन साहित्य व जैन परिषदें
👥 जैन संघ (संगठन)
- महावीर ने चार-गुणीय संघ की परिकल्पना की :
- साधु (भिक्षु)
- साध्वी (भिक्षुणी)
- श्रावक (गृहस्थ पुरुष अनुयायी)
- श्राविका (गृहस्थ स्त्री अनुयायी)
- सभाएँ व गण – संघ का प्रशासनिक ढाँचा, आचार्य व गणधर नेतृत्व करते थे।
📚 जैन साहित्य (संक्षेप में)
- प्रारंभिक जैन साहित्य का माध्यम – प्राकृत (अर्धमागधी, शौरसेनी)।
- आगम / सिद्धान्त – जैन धर्मग्रंथों का सामूहिक नाम।
- श्वेतांबर परम्परा में – 12 अंग (द्वादशाङ्ग), जिनमें से 12वाँ दृष्टिवाद लुप्त माना जाता है।
🏛️ जैन परिषदें (Jain Councils)
- प्रथम जैन परिषद – पाटलिपुत्र
- स्थान : पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना)।
- समय : लगभग 3री शती ई.पू., श्वेतांबर परम्परा के अनुसार।
- संरक्षक / अध्यक्षता : प्रायः स्तुलिभद्र का नाम आता है।
- उद्देश्य : बिखरते हुए जैन आगमों का संकलन व एकरूपता।
- द्वितीय जैन परिषद – वल्लभी (गुजरात)
- स्थान : वल्लभी, गुजरात।
- समय : लगभग 5वीं–6वीं शती ई.।
- अध्यक्षता : देवर्धि क्षमाश्रमण।
- महत्त्व : जैन आगमों का लिखित रूप में लिप्यांकन, आज के श्वेतांबर शास्त्रों का मुख्य आधार।
⚖️ दिगंबर व श्वेतांबर : मुख्य अंतर (Exam-Point)
🟧 दिगंबर
- अर्थ – दिग् + अंबर → दिशा ही वस्त्र (निःवस्त्र साधु)।
- महावीर को – प्रारम्भ से निःवस्त्र मानते हैं।
- स्त्रियों के लिए – कहते हैं कि वे पूर्ण दिगंबर व्रत निभा नहीं सकतीं, अतः स्त्री का मोक्ष असंभव (कुछ व्याख्याएँ)।
- मूल क्षेत्र : दक्षिण भारत में अधिक प्रभाव, जैसे श्रवणबेलगोला (कर्नाटक)।
⬜ श्वेतांबर
- अर्थ – श्वेत (सफ़ेद) + अंबर (वस्त्र) → श्वेत वस्त्रधारी साधु।
- महावीर को – आरंभिक जीवन में वस्त्रयुक्त, बाद में संयमित जीवन वाला मानते हैं।
- स्त्रियों का मोक्ष – संभव मानते हैं, चेलना / चंदना जैसी साध्वी उदाहरण।
- उत्तर–पश्चिम भारत (गुजरात, राजस्थान आदि) में अधिक प्रभाव।
❗ Common Confusion (MCQs में)
- कौन सा संप्रदाय किस क्षेत्र में प्रमुख? – दिगंबर (दक्षिण), श्वेतांबर (पश्चिम)।
- नग्नता को लेकर प्रश्न – दिगंबर साधु प्रायः निःवस्त्र, श्वेतांबर साधु – श्वेत वस्त्र।
- स्त्री मोक्ष – ज्यादातर प्रश्न दिगंबर–श्वेतांबर के मतभेद पर।
👑 जैन धर्म के संरक्षक व प्रसार
🏰 उत्तर भारत
- मगध के शासक – बिम्बिसार, अजातशत्रु – जैन व बौद्ध दोनों के संरक्षक।
- चंद्रगुप्त मौर्य (परम्परा) – बाद के जीवन में जैन भिक्षु भद्रबाहु के साथ श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) में तपस्या के लिये गए।
- कालींग (ओडिशा) के राजा खारवेल – जैन धर्म के बड़े संरक्षक (हाथीगुंफा अभिलेख)।
🌏 प्रसार व तीर्थ
- पावापुरी, राजगृह, गिरनार, शत्रुंजय, श्रवणबेलगोला – प्रमुख जैन तीर्थ।
- व्यापारी समुदाय के माध्यम से पश्चिम भारत व दक्षिण भारत तक व्यापक प्रसार।
- जैन समुदाय ने दान–धर्म, शिक्षा, व्यापार व नगर–संस्कृति को प्रोत्साहित किया।
🧩 अन्य समकालीन संप्रदाय (Jainism ke साथ-साथ पूछे जाने वाले)
🌀 आजीवक संप्रदाय
- संस्थापक के रूप में – मक्खलि गोशाल (Makkhali Gosala) का नाम।
- नियतिवाद (Fatalism) – सब कुछ पूर्वनिर्धारित, प्रयत्न व्यर्थ।
- जैन व बौद्ध दोनों ग्रंथों में आजीवकों का उल्लेख एक प्रतिद्वंद्वी संप्रदाय के रूप में।
❓ आज्ञानिक / संदेहवादी (Skeptics)
- इनके अनुसार कुछ निश्चित नहीं कहा जा सकता – न ईश्वर, न आत्मा, न मोक्ष पर स्पष्ट मत।
- नैतिक प्रश्नों पर भी ‘अज्ञेय’ या ‘निर्णय असंभव’ का रुख।
- UPSC/PCS में इन्हें Ajñana / Sceptics के नाम से पूछा जाता है।
🔥 लोकायत / चार्वाक
- पूरी तरह भौतिकवादी (Materialist) दर्शन।
- केवल प्रत्यक्ष अनुभव (Perception) को ही प्रमाण मानते हैं।
- स्वर्ग–नर्क, पुनर्जन्म, कर्म–मोक्ष – सबको अस्वीकार।
- सुखवादी (Hedonist) तत्व – “यावत् जीवेत् सुखं जीवेत्” जैसे वाक्य प्रचलित।
☸ बौद्ध धर्म से तुलना (संक्षेप में)
- दोनों – वैदिक यज्ञ व पशुबलि के विरोधी, अहिंसा के पक्षधर।
- जैन – अत्यधिक शारीरिक तप, कठोर व्रत; बौद्ध – मध्यम मार्ग।
- जैन – आत्मा स्थायी; बौद्ध – अनात्मवाद (स्थायी आत्मा को न मानना)।
🔁 Tip (UPSC/PCS): Jainism के साथ-साथ हमेशा Ajivika, Charvaka, Ajñana व Buddhism के अंतर को भी रिवाइज़ करें – कई MCQ सीधे “Pair Matching / Statement Based” होते हैं।
⚡ Quick Revision : Jain Dharma in 2–3 Minutes
24 Tirthankaras
Mahavira’s Life
Triratna & 5 Vows
Digambar vs Shvetambar
Jain Councils
Ajivika / Charvaka
1️⃣ उत्पत्ति व प्रकृति
▪ ‘जैन’ = जिन के अनुयायी (जिन = विजेता)।
▪ धारा – श्रमण परम्परा, वैदिक कर्मकांड व यज्ञ पर आलोचनात्मक दृष्टि।
▪ मुख्य आधार – अहिंसा, अपरिग्रह, संयम, अनेकान्तवाद।
▪ ‘जैन’ = जिन के अनुयायी (जिन = विजेता)।
▪ धारा – श्रमण परम्परा, वैदिक कर्मकांड व यज्ञ पर आलोचनात्मक दृष्टि।
▪ मुख्य आधार – अहिंसा, अपरिग्रह, संयम, अनेकान्तवाद।
2️⃣ महावीर – त्वरित तथ्य
▪ जन्म – कुंडग्राम (वैशाली के निकट), पिता सिद्धार्थ, माता त्रिशला।
▪ 30 वर्ष में संन्यास, 12 वर्ष कठोर तप।
▪ 42 वर्ष में केवलज्ञान, 72 वर्ष की आयु में पावापुरी में महापरिनिर्वाण।
▪ 24वें तीर्थंकर – पूर्ववर्ती पार्श्वनाथ 23वें, ऋषभदेव 1st।
▪ जन्म – कुंडग्राम (वैशाली के निकट), पिता सिद्धार्थ, माता त्रिशला।
▪ 30 वर्ष में संन्यास, 12 वर्ष कठोर तप।
▪ 42 वर्ष में केवलज्ञान, 72 वर्ष की आयु में पावापुरी में महापरिनिर्वाण।
▪ 24वें तीर्थंकर – पूर्ववर्ती पार्श्वनाथ 23वें, ऋषभदेव 1st।
3️⃣ त्रिरत्न (Three Jewels)
▪ सम्यक दर्शन + सम्यक ज्ञान + सम्यक चरित्र = मोक्ष मार्ग।
▪ केवल सिद्धांत या केवल ज्ञान से नहीं, तीनों के संतुलन से मुक्ति।
▪ सम्यक दर्शन + सम्यक ज्ञान + सम्यक चरित्र = मोक्ष मार्ग।
▪ केवल सिद्धांत या केवल ज्ञान से नहीं, तीनों के संतुलन से मुक्ति।
4️⃣ पंच महाव्रत (साधुओं के लिये)
1. अहिंसा 2. सत्य 3. अस्तेय 4. ब्रह्मचर्य 5. अपरिग्रह।
▪ गृहस्थों के लिये – इन्हीं का अनुव्रत रूप + गुणव्रत + शिक्षाव्रत = 12 व्रत।
1. अहिंसा 2. सत्य 3. अस्तेय 4. ब्रह्मचर्य 5. अपरिग्रह।
▪ गृहस्थों के लिये – इन्हीं का अनुव्रत रूप + गुणव्रत + शिक्षाव्रत = 12 व्रत।
5️⃣ जैन दर्शन की खास अवधारणाएँ
▪ अनेकान्तवाद – सत्य बहुआयामी, एक दृष्टि से पूर्ण नहीं।
▪ स्याद्वाद – ‘किसी दृष्टि से’ – सापेक्ष कथन की शैली।
▪ आत्मा + कर्म सिद्धांत – कर्म को सूक्ष्म पदार्थ मानते हैं।
▪ अनेकान्तवाद – सत्य बहुआयामी, एक दृष्टि से पूर्ण नहीं।
▪ स्याद्वाद – ‘किसी दृष्टि से’ – सापेक्ष कथन की शैली।
▪ आत्मा + कर्म सिद्धांत – कर्म को सूक्ष्म पदार्थ मानते हैं।
6️⃣ दिगंबर – श्वेतांबर अंतर (Exam Favourite)
▪ दिगंबर – निःवस्त्र साधु, दक्षिण भारत, स्त्री मोक्ष पर शंका।
▪ श्वेतांबर – श्वेत वस्त्र, पश्चिम भारत, स्त्री मोक्ष स्वीकार।
▪ दोनों ही महावीर व तीर्थंकरों को मानते, पर परम्परा व अभ्यास अलग।
▪ दिगंबर – निःवस्त्र साधु, दक्षिण भारत, स्त्री मोक्ष पर शंका।
▪ श्वेतांबर – श्वेत वस्त्र, पश्चिम भारत, स्त्री मोक्ष स्वीकार।
▪ दोनों ही महावीर व तीर्थंकरों को मानते, पर परम्परा व अभ्यास अलग।
7️⃣ जैन परिषदें
▪ 1st Council – पाटलिपुत्र, लगभग 3री शती ई.पू., स्तुलिभद्र, उद्देश्य – आगमों का संकलन।
▪ 2nd Council – वल्लभी (गुजरात), 5–6वीं शती ई., देवर्धि क्षमाश्रमण, उद्देश्य – आगमों का लिप्यांकन (लिखित रूप)।
▪ 1st Council – पाटलिपुत्र, लगभग 3री शती ई.पू., स्तुलिभद्र, उद्देश्य – आगमों का संकलन।
▪ 2nd Council – वल्लभी (गुजरात), 5–6वीं शती ई., देवर्धि क्षमाश्रमण, उद्देश्य – आगमों का लिप्यांकन (लिखित रूप)।
8️⃣ प्रमुख संरक्षक व तीर्थ
▪ चंद्रगुप्त मौर्य – भद्रबाहु के साथ श्रवणबेलगोला।
▪ खारवेल (कलींग) – हाथीगुंफा अभिलेख, जैन धर्म के समर्थक।
▪ पावापुरी, गिरनार, शत्रुंजय, श्रवणबेलगोला – महत्त्वपूर्ण जैन तीर्थ।
▪ चंद्रगुप्त मौर्य – भद्रबाहु के साथ श्रवणबेलगोला।
▪ खारवेल (कलींग) – हाथीगुंफा अभिलेख, जैन धर्म के समर्थक।
▪ पावापुरी, गिरनार, शत्रुंजय, श्रवणबेलगोला – महत्त्वपूर्ण जैन तीर्थ।
9️⃣ समकालीन संप्रदाय (1 लाइन याद रखें)
▪ आजीवक – नियतिवाद (सब पूर्वनिर्धारित), मक्खलि गोशाल।
▪ आज्ञानिक – संदेहवादी, “कुछ निश्चय से नहीं कह सकते” वाला मत।
▪ लोकायत/चार्वाक – भौतिकवादी, प्रत्यक्ष ही प्रमाण, कर्म–मोक्ष अस्वीकार।
▪ बौद्ध – मध्यम मार्ग, अनात्मवाद, चार आर्य सत्य।
▪ आजीवक – नियतिवाद (सब पूर्वनिर्धारित), मक्खलि गोशाल।
▪ आज्ञानिक – संदेहवादी, “कुछ निश्चय से नहीं कह सकते” वाला मत।
▪ लोकायत/चार्वाक – भौतिकवादी, प्रत्यक्ष ही प्रमाण, कर्म–मोक्ष अस्वीकार।
▪ बौद्ध – मध्यम मार्ग, अनात्मवाद, चार आर्य सत्य।
🔟 Common Confusions (MCQ में)
▪ पार्श्वनाथ – सर्प चिह्न, वाराणसी; महावीर – सिंह चिह्न, कुंडग्राम।
▪ 24 तीर्थंकर – अवतारों से न मिलाएँ।
▪ Council पाटलिपुत्र/वल्लभी often Jumbled with Buddhist Councils – नाम व स्थल साफ रखें।
▪ पार्श्वनाथ – सर्प चिह्न, वाराणसी; महावीर – सिंह चिह्न, कुंडग्राम।
▪ 24 तीर्थंकर – अवतारों से न मिलाएँ।
▪ Council पाटलिपुत्र/वल्लभी often Jumbled with Buddhist Councils – नाम व स्थल साफ रखें।
❓ PYQs & Practice MCQs (Jainism + Contemporary Sects)
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पहले स्वयं उत्तर सोचने की आदत बनाएँ – यही Smart Preparation, Sure Selection है।
Q1. ‘जैन’ शब्द का मूल अर्थ क्या है?
✔ जिन (स्वयं पर विजय प्राप्त करने वाला) के अनुयायी।
‘जिन’ = जो इंद्रियों व मन पर विजय प्राप्त करे, उसी से ‘जैन’ शब्द बना है।
‘जिन’ = जो इंद्रियों व मन पर विजय प्राप्त करे, उसी से ‘जैन’ शब्द बना है।
Q2. जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर किसे माना जाता है?
✔ ऋषभदेव (आदिनाथ)।
इन्हें कृषि, लिपि, नगरी-जीवन आदि के आरंभ से जोड़ा जाता है।
इन्हें कृषि, लिपि, नगरी-जीवन आदि के आरंभ से जोड़ा जाता है।
Q3. ऐतिहासिक दृष्टि से जैन धर्म के दो सबसे महत्त्वपूर्ण तीर्थंकर कौन माने जाते हैं?
✔ पार्श्वनाथ (23वें) और महावीर स्वामी (24वें)।
इन्हीं दो के समय से जैन धर्म की ऐतिहासिकता स्पष्ट मिलती है।
इन्हीं दो के समय से जैन धर्म की ऐतिहासिकता स्पष्ट मिलती है।
Q4. महावीर स्वामी का जन्म कहाँ हुआ था?
✔ कुंडग्राम / कुंडपुर (वैशाली के निकट)।
बिहार के वैशाली जिले के निकट स्थित इस स्थान को पारंपरिक रूप से महावीर की जन्मभूमि माना जाता है।
बिहार के वैशाली जिले के निकट स्थित इस स्थान को पारंपरिक रूप से महावीर की जन्मभूमि माना जाता है।
Q5. महावीर के पिता व माता के नाम क्या थे?
✔ पिता – सिद्धार्थ, माता – त्रिशला / प्रजावती।
वे ज्ञात्रिक/लिच्छवि क्षत्रिय कुल से सम्बन्धित थे।
वे ज्ञात्रिक/लिच्छवि क्षत्रिय कुल से सम्बन्धित थे।
Q6. महावीर ने कितनी आयु में संन्यास ग्रहण किया था?
✔ लगभग 30 वर्ष की आयु में।
तत्पश्चात 12 वर्ष तक कठोर तपस्याएँ कीं।
तत्पश्चात 12 वर्ष तक कठोर तपस्याएँ कीं।
Q7. महावीर को केवलज्ञान (केवलज्ञाना) किस आयु में प्राप्त हुआ?
✔ लगभग 42 वर्ष की आयु में।
ऋजुपालिका नदी के किनारे, जृम्भिकग्राम के समीप, गहन ध्यान के पश्चात।
ऋजुपालिका नदी के किनारे, जृम्भिकग्राम के समीप, गहन ध्यान के पश्चात।
Q8. महावीर की मृत्यु (महापरिनिर्वाण) कहाँ हुई?
✔ पावापुरी (मगध, आधुनिक बिहार) में।
यहीं पर महावीर का निर्वाण-स्थान है, जो आज प्रमुख जैन तीर्थ है।
यहीं पर महावीर का निर्वाण-स्थान है, जो आज प्रमुख जैन तीर्थ है।
Q9. जैन धर्म के अनुसार तीर्थंकरों की कुल संख्या कितनी है?
✔ कुल 24 तीर्थंकर।
अक्सर UPSC/PCS में अवतार / तीर्थंकर / बोधिसत्व को आपस में मिलाकर पूछते हैं।
अक्सर UPSC/PCS में अवतार / तीर्थंकर / बोधिसत्व को आपस में मिलाकर पूछते हैं।
Q10. त्रिरत्न (Three Jewels) में कौन-कौन से तत्व शामिल हैं?
✔ सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चरित्र।
ये तीनों मिलकर मोक्ष मार्ग का आधार बनते हैं।
ये तीनों मिलकर मोक्ष मार्ग का आधार बनते हैं।
Q11. पंच महाव्रत में ब्रह्मचर्य को किसने जोड़ा माना जाता है?
✔ मुख्यतः महावीर स्वामी द्वारा।
पार्श्वनाथ ने चार व्रत बताए थे, महावीर ने ब्रह्मचर्य को जोड़कर पाँच व्रत कर दिए।
पार्श्वनाथ ने चार व्रत बताए थे, महावीर ने ब्रह्मचर्य को जोड़कर पाँच व्रत कर दिए।
Q12. जैन धर्म का सर्वोच्च नैतिक सिद्धांत किस सूत्र से व्यक्त होता है?
✔ अहिंसा परमो धर्मः।
यह वाक्य जैन और बौद्ध दोनों से जुड़ा दिखता है, पर जैन धर्म में इसका अनुपालन अत्यधिक कठोर रूप में होता है।
यह वाक्य जैन और बौद्ध दोनों से जुड़ा दिखता है, पर जैन धर्म में इसका अनुपालन अत्यधिक कठोर रूप में होता है।
Q13. दिगंबर शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या है?
✔ दिग् (दिशाएँ) + अंबर (वस्त्र) → दिशा ही वस्त्र (निःवस्त्र साधु)।
दिगंबर साधु प्रायः निःवस्त्र रहते हैं, यह इनके संप्रदाय की विशेषता है।
दिगंबर साधु प्रायः निःवस्त्र रहते हैं, यह इनके संप्रदाय की विशेषता है।
Q14. श्वेतांबर संप्रदाय की प्रमुख पहचान क्या है?
✔ साधु श्वेत वस्त्र धारण करते हैं।
इसी से “श्वेतांबर” नाम पड़ा – श्वेत वस्त्र पहनने वाले।
इसी से “श्वेतांबर” नाम पड़ा – श्वेत वस्त्र पहनने वाले।
Q15. किस जैन संप्रदाय के अनुसार स्त्रियाँ भी मोक्ष प्राप्त कर सकती हैं?
✔ श्वेतांबर संप्रदाय।
दिगंबर संप्रदाय स्त्रियों के मोक्ष के प्रति अधिक शंकालु रुख रखता है।
दिगंबर संप्रदाय स्त्रियों के मोक्ष के प्रति अधिक शंकालु रुख रखता है।
Q16. ‘अनेकान्तवाद’ किस धर्म का महत्त्वपूर्ण दार्शनिक सिद्धांत है?
✔ जैन धर्म का।
यह बताता है कि सत्य को अनेक कोणों से देखना चाहिए; किसी एक दृष्टि से पूर्ण सत्य नहीं।
यह बताता है कि सत्य को अनेक कोणों से देखना चाहिए; किसी एक दृष्टि से पूर्ण सत्य नहीं।
Q17. ‘स्याद्वाद’ किस सिद्धांत से जुड़ा हुआ शब्द है?
✔ जैनों के सापेक्षवाद (Relativism) से।
‘स्यात्’ = “किसी दृष्टि से” – कथन को सापेक्ष बनाने हेतु प्रयुक्त।
‘स्यात्’ = “किसी दृष्टि से” – कथन को सापेक्ष बनाने हेतु प्रयुक्त।
Q18. जैन संघ के चार अंग कौन-कौन से हैं?
✔ साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका।
इसे ही जैनों का चार-गुणीय संघ कहा जाता है।
इसे ही जैनों का चार-गुणीय संघ कहा जाता है।
Q19. जैन साहित्य की भाषा मुख्यतः क्या रही?
✔ विभिन्न प्राकृत भाषाएँ (विशेषतः अर्धमागधी)।
बाद में संस्कृत व अपभ्रंश साहित्य भी विकसित हुआ।
बाद में संस्कृत व अपभ्रंश साहित्य भी विकसित हुआ।
Q20. श्वेतांबर परम्परा में जैन आगमों के कितने अंग (अंग) माने जाते हैं?
✔ 12 अंग (द्वादशाङ्ग)।
इनमें 12वाँ दृष्टिवाद लुप्त माना जाता है।
इनमें 12वाँ दृष्टिवाद लुप्त माना जाता है।
Q21. प्रथम जैन परिषद कहाँ आयोजित मानी जाती है (श्वेतांबर परम्परा अनुसार)?
✔ पाटलिपुत्र में।
लगभग 3री शती ई.पू. – आगमों के संकलन के लिए।
लगभग 3री शती ई.पू. – आगमों के संकलन के लिए।
Q22. द्वितीय जैन परिषद कहाँ हुई मानी जाती है?
✔ वल्लभी (गुजरात) में।
देवर्धि क्षमाश्रमण की अध्यक्षता में – जैन आगमों का लिखित रूप में संकलन।
देवर्धि क्षमाश्रमण की अध्यक्षता में – जैन आगमों का लिखित रूप में संकलन।
Q23. श्रवणबेलगोला किस धर्म से सम्बद्ध महत्त्वपूर्ण तीर्थ है?
✔ जैन धर्म से।
चंद्रगुप्त मौर्य व भद्रबाहु की कथा इसी स्थान से जुड़ी है; यह दिगंबर जैनों का प्रमुख तीर्थ है।
चंद्रगुप्त मौर्य व भद्रबाहु की कथा इसी स्थान से जुड़ी है; यह दिगंबर जैनों का प्रमुख तीर्थ है।
Q24. हाथीगुंफा अभिलेख में किस जैन-समर्थक राजा का उल्लेख मिलता है?
✔ खारवेल (कलींग का राजा) का।
यह ओडिशा क्षेत्र के जैन धर्म–संरक्षण का प्रमुख साक्ष्य है।
यह ओडिशा क्षेत्र के जैन धर्म–संरक्षण का प्रमुख साक्ष्य है।
Q25. पार्श्वनाथ का जन्म कहाँ माना जाता है और उनका प्रतीक-चिह्न क्या है?
✔ जन्म – वाराणसी, प्रतीक – सर्प।
अक्सर UPSC/PCS में “Tirthankara – Symbol” matching में पूछा जाता है।
अक्सर UPSC/PCS में “Tirthankara – Symbol” matching में पूछा जाता है।
Q26. महावीर स्वामी का प्रतीक-चिह्न क्या माना जाता है?
✔ सिंह (Lion)।
जैन प्रतिमा-विज्ञान (Iconography) में यह महत्वपूर्ण प्रश्न है।
जैन प्रतिमा-विज्ञान (Iconography) में यह महत्वपूर्ण प्रश्न है।
Q27. जैन दर्शन में कर्म को किस प्रकार देखा जाता है?
✔ सूक्ष्म भौतिक कण के रूप में, जो आत्मा से चिपकते हैं।
तप व संयम से इनका क्षय कर मोक्ष प्राप्त होता है।
तप व संयम से इनका क्षय कर मोक्ष प्राप्त होता है।
Q28. जैन संघ की कल्पना किसने की मानी जाती है (चार-गुणीय संघ)?
✔ महावीर स्वामी ने।
इसी संघ ने जैन धर्म को संगठित रूप दिया।
इसी संघ ने जैन धर्म को संगठित रूप दिया।
Q29. किस संप्रदाय का प्रमुख सिद्धांत नियतिवाद (Fatalism) था – सब कुछ पूर्वनिर्धारित है?
✔ आजीवक संप्रदाय का।
इसके प्रमुख प्रवर्तक मक्खलि गोशाल माने जाते हैं।
इसके प्रमुख प्रवर्तक मक्खलि गोशाल माने जाते हैं।
Q30. “मक्खलि गोशाल” किस सम्प्रदाय से जुड़े हैं?
✔ आजीवक संप्रदाय से।
ये जैन व बौद्ध दोनों के समकालीन श्रमण परम्परा के नेता थे।
ये जैन व बौद्ध दोनों के समकालीन श्रमण परम्परा के नेता थे।
Q31. चार्वाक / लोकायत दर्शन केवल किस प्रकार के प्रमाण को मान्यता देता है?
✔ केवल प्रत्यक्ष (Perception) को।
अनुमान, उपमान, शास्त्र आदि को प्रमाण नहीं मानता – इसलिए भौतिकवादी कहा जाता है।
अनुमान, उपमान, शास्त्र आदि को प्रमाण नहीं मानता – इसलिए भौतिकवादी कहा जाता है।
Q32. कौन-सा संप्रदाय “सुखवादी भौतिकवाद” का प्रतिपादक माना जाता है – Eat, Drink & Be Merry-type विचार?
✔ लोकायत / चार्वाक।
यह परलोक, पुनर्जन्म, कर्म–फल आदि को अस्वीकार करता है।
यह परलोक, पुनर्जन्म, कर्म–फल आदि को अस्वीकार करता है।
Q33. “कुछ भी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता” – ऐसा मानने वाले किस श्रेणी में रखे जाते हैं?
✔ आज्ञानिक / Skeptics।
ये सत्य, ईश्वर आदि विषयों पर निर्णय को असंभव मानते थे।
ये सत्य, ईश्वर आदि विषयों पर निर्णय को असंभव मानते थे।
Q34. जैन धर्म और बौद्ध धर्म में कौन-सी समानता सबसे अधिक प्रमुख है?
✔ दोनों ने वैदिक यज्ञ व पशुबलि का विरोध किया और अहिंसा को महत्व दिया।
यही कारण है कि इन्हें श्रमण परम्परा की समान धारा माना जाता है।
यही कारण है कि इन्हें श्रमण परम्परा की समान धारा माना जाता है।
Q35. जैन व बौद्ध दर्शन में आत्मा के विषय में मुख्य अंतर क्या है?
✔ जैन – आत्मा को स्थायी व वास्तविक मानते हैं; बौद्ध – अनात्मवाद (स्थायी आत्मा नहीं)।
यह दार्शनिक स्तर पर दोनों के बीच सबसे बड़ा भेद है।
यह दार्शनिक स्तर पर दोनों के बीच सबसे बड़ा भेद है।
Q36. जैन धर्म में मोक्ष की प्राप्ति कहाँ मानी जाती है (लोक संरचना के अनुसार)?
✔ लोक के सर्वोच्च भाग “सिद्ध शिला” पर।
जहाँ मुक्त आत्माएँ (सिद्ध) निवास करती हैं।
जहाँ मुक्त आत्माएँ (सिद्ध) निवास करती हैं।
Q37. किस महाजनपद / क्षेत्र में जैन व बौद्ध दोनों की शुरुआत व प्रसार मुख्य रूप से हुआ?
✔ मुख्यतः मगध व वैशाली (गंगा घाटी) क्षेत्र में।
यहीं श्रमण आंदोलन सबसे मजबूत था।
यहीं श्रमण आंदोलन सबसे मजबूत था।
Q38. चंद्रगुप्त मौर्य के जीवन के उत्तरार्ध में किस धर्म से जुड़ने की परम्परा मिलती है?
✔ जैन धर्म से – विशेषकर भद्रबाहु के साथ श्रवणबेलगोला में निवास की कथा।
कर्नाटक की जैन परंपरा इसे प्रबलता से मानती है।
कर्नाटक की जैन परंपरा इसे प्रबलता से मानती है।
Q39. ‘अपरिग्रह’ व्रत का मुख्य उद्देश्य क्या है?
✔ अतिसंग्रह व लोभ का त्याग – आवश्यक से अधिक वस्तुओं का संचय न करना।
मानसिक व आर्थिक दोनों स्तर पर सरल जीवन को प्रोत्साहन।
मानसिक व आर्थिक दोनों स्तर पर सरल जीवन को प्रोत्साहन।
Q40. UPSC/PCS में “Jainism – Contemporary Sects” पर प्रश्न किस प्रकार अधिक पूछे जाते हैं?
✔ Statement / Assertion-Reason, Matching (Tirthankara–Symbol, Sect–Doctrine, Council–Place) के रूप में।
इसलिए छोटे-छोटे fact (symbol, place, doctrine) को टेबल / चार्ट की तरह याद रखना उपयोगी रहता है।
इसलिए छोटे-छोटे fact (symbol, place, doctrine) को टेबल / चार्ट की तरह याद रखना उपयोगी रहता है।
