औरंगज़ेब की नीतियाँ व विद्रोह | Aurangzeb’s Policies, Revolts & Decline – UPSC/PCS/RO-ARO/UPSSSC/Police

औरंगज़ेब की नीतियाँ व विद्रोह | Aurangzeb’s Policies, Revolts & Decline – UPSC/PCS/RO-ARO/UPSSSC/Police

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📚 Noble Exam City
भारत की नम्बर 1 स्टडी मटेरियल वेबसाइट – स्मार्ट तैयारी, पक्का चयन
अध्याय 7 • जहाँगीर, शाहजहाँ एवं औरंगज़ेब (Later Mughals – Core)
7.2 औरंगज़ेब की नीतियाँ एवं विद्रोह – मराठा, सिख, जाट, राजपूत विद्रोह, धार्मिक नीति व पतन के कारण (UPSC/PCS/RO-ARO/UPSSSC/Police)
⚔️ मराठा, सिख, जाट, राजपूत, सतनामी, बुंदेला विद्रोह, धार्मिक नीति, जज़िया, दक्कन युद्ध, साम्राज्य का पतन 📝 UPSC, State PCS, RO/ARO, UPSSSC, Police व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु विस्तृत हिंदी Notes + Quick Revision + PYQs
🏰 मध्यकालीन भारत Later Mughals औरंगज़ेब की नीतियाँ एवं विद्रोह
📘 7.2 औरंगज़ेब की नीतियाँ एवं विद्रोह – Deep Study Notes
Core Topic – बार–बार पूछे जाने वाले प्रश्न
क्यों महत्वपूर्ण? औरंगज़ेब का शासनकाल (1658–1707) मुगल साम्राज्य के विस्तार + पतन दोनों से जुड़ा है। मराठा, सिख, जाट, राजपूत विद्रोह और धार्मिक नीति पर लगभग हर परीक्षा में प्रश्न आते हैं।
💡
SMART TRICK – विद्रोहों का क्रम याद रखने के लिए:
“रा–जा–सि–म–बु–सत–अफ”
रा = राजपूत • जा = जाट • सि = सिख • म = मराठा • बु = बुंदेला सत = सतनामी • अफ = अफ़गान (पठान) (यही क्रम अक्सर Matching / Arrange in Order में घुमा–फिराकर पूछा जाता है।)
📜 1. औरंगज़ेब – संक्षिप्त परिचय व पृष्ठभूमि
👑 गद्दी पर आगमन
  • पूरा नाम: अबुल मुज़फ्फर मुहिउद्दीन मोहम्मद औरंगज़ेब आलमगीर
  • शाहजहाँ का पुत्र; दारा शिकोह, शुजा, मुराद बख़्श उसके भाई।
  • उत्तराधिकार युद्ध (1657–1658) में दारा शिकोह को पराजित कर गद्दी पर बैठा।
  • शाहजहाँ को आगरा के किले में नज़रबंद किया – यह तथ्य परीक्षाओं में अक्सर पूछा जाता है।

औरंगज़ेब का शासन 1658 से 1707 तक लगभग 49 वर्ष चला – मुगल इतिहास में सबसे लंबा शासन।

🧭 सरकार की सामान्य दिशा
  • बहुत ही परंपरावादी सुन्नी दृष्टिकोण, स्वयं सादा जीवन और धार्मिक कर्मकांडों का पालन।
  • राजनीति में केंद्रीकरण + सैन्य विस्तार + शरीअत–आधारित शासन पर जोर।
  • दक्कन और दक्षिण भारत की ओर लम्बे समय तक युद्ध; इसी में अधिक धन, सेना और समय खर्च।

यहीं से साम्राज्य का अतिविस्तार (Over–extension) शुरू होता है, जो आगे चलकर पतन का कारण बनता है।

☪️ 2. औरंगज़ेब की धार्मिक नीति – मुख्य बिंदु
📖 (A) धार्मिक दृष्टिकोण
  • खुद को “ज़ाहिद” (धर्मनिष्ठ शासक) के रूप में प्रस्तुत करता था।
  • दैनिक जीवन में सादगी – संगीत, नृत्य और दरबारी शानो–शौकत से दूरी।
  • फ़तावा–ए–आलमगीरी नामक इस्लामी कानून–संग्रह संकलित करवाया।
  • दरबार में उलेमाओं (धर्मगुरुओं) का प्रभाव बढ़ा।
⚖️ (B) जज़िया, मंदिर व गैर–मुस्लिम नीति
  • अकबर द्वारा समाप्त जज़िया कर को 1679 ई. में पुनः लगाया।
  • कुछ प्रमुख मंदिरों (जैसे काशी, मथुरा) पर कार्रवाई; कई स्थानों पर मंदिर टूटने / कर बढ़ने का उल्लेख।
  • कई हिंदू मनसबदार, राजपूत राजाओं को पद–जागीर देना जारी रहा, पर नीति में विश्वास की कमी दिखी।
  • शराब, जुए, कुछ कर–माफ़ी जैसे “इस्लामी एंगल” से सुधार के कदम भी उठाए।
🎯
Exam Tip: प्रश्न अक्सर तुलना के रूप में आता है – अकबर “सुलह–ए–कुल” बनाम औरंगज़ेब “शरीअत–आधारित” नीति। सीधे “एक उदार, एक कट्टर” लिखने की बजाय नीति के उदाहरण लिखें।
🛕 (C) सिखों के साथ टकराव – गुरु तेग बहादुर
  • गुरु हर राय, गुरु हरकिशन के समय से ही मुगल–सिख सम्बन्ध तनावपूर्ण हो चुके थे।
  • गुरु तेग बहादुर ने कश्मीरी पंडितों आदि की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए मुगल नीति का विरोध किया।
  • औरंगज़ेब के आदेश पर गुरु तेग बहादुर को दिल्ली में शहीद किया गया (चाँदनी चौक)।
  • इसके बाद गुरु गोविंद सिंह के नेतृत्व में सिखों की नीति और अधिक सैन्य–मुखी हो गई।
🛡️ 3. राजपूत नीति और विद्रोह
🤝 (A) प्रारंभिक नीति – समझौता और सहयोग
  • शासन के शुरुआती वर्षों में कई राजपूतों (विशेषकर आमेर) से अच्छे सम्बन्ध बनाए रखे।
  • अकबर की नीति के अनुसार ही राजपूत मनसबदारों को उच्च पद दिए जाते रहे।
  • परंतु आगे चलकर मारवाड़–मेवाड़ नीति से तनाव शुरू हुआ।
🏰 (B) मारवाड़ (जोधपुर) – जसवंत सिंह प्रकरण
  • राव जसवंत सिंह की मृत्यु (1678) के बाद उत्तराधिकार–विवाद पैदा हुआ।
  • औरंगज़ेब ने मारवाड़ को सीधे मुगल सूबे के रूप में लेने की कोशिश की।
  • जसवंत सिंह के उत्तराधिकारी अजित सिंह और उनकी समर्थक रानी ने इसका विरोध किया।
  • मारवाड़ में लम्बा विद्रोह चला; कई स्थानों पर “गुरिल्ला” शैली का प्रतिरोध।
⚔️ (C) मेवाड़–मारवाड़ संयुक्त प्रतिरोध
  • मेवाड़ के शासक (राणा राज सिंह) ने मारवाड़ का साथ दिया।
  • राजपूत–मुगल संघर्ष ने कई वर्षों तक औरंगज़ेब की सेना व धन को उलझाए रखा।
  • इससे राजपूत–मुगल विश्वास स्थाई रूप से कमजोर हो गया।

परीक्षा में अक्सर पूछा जाता है कि “औरंगज़ेब की किस नीति ने राजपूतों को स्थायी रूप से दूर किया?” उत्तर: मारवाड़ उत्तराधिकार में हस्तक्षेप + मेवाड़ पर दबाव।

🐎 4. मराठा नीति – शिवाजी से लेकर दक्कन युद्ध
🗡️ (A) शिवाजी का उदय व मुगल–संघर्ष
  • शिवाजी (मराठा शक्ति के नेता) ने दक्षिण–पश्चिमी भारत में मुगल व आदिलशाही दोनों को चुनौती दी।
  • औरंगज़ेब के समय मराठा–मुगल संबंध लगातार संघर्षपूर्ण रहे।
  • शाइस्ता ख़ाँ पर हमला, सूरत पर आक्रमण – प्रमुख घटनाएँ।
📜 (B) पुरंदर की संधि (1665) व आगरा प्रसंग
  • मुगल सेनानायक जयसिंह द्वारा घेराबंदी के बाद पुरंदर की संधि हुई।
  • शिवाजी ने कुछ क़िले सौंपे, बदले में कुछ क्षेत्र व मनसब स्वीकार किए।
  • आगरा दरबार में शिवाजी का अपमानजनक व्यवहार; बाद में वह कैद से निकलकर भागने में सफल रहा।
  • इसके बाद मुगल–मराठा सम्बन्ध फिर से बिगड़ गए।
🔥 (C) शिवाजी के बाद – दक्कन का कीचड़
  • शिवाजी के बाद संभाजी और अन्य मराठा सरदारों ने संघर्ष जारी रखा।
  • औरंगज़ेब स्वयं दक्कन आकर वर्षों तक अभियान चलाता रहा।
  • बीजापुर, गोलकुंडा जैसे दक्कनी सुल्तनतों को समाप्त कर दिया – पर क्षेत्र पर नियंत्रण कठिन रहा।
  • लम्बे दक्कन युद्धों में अपार धन, सेना और समय नष्ट हुआ – यह पतन का प्रमुख कारण बना।
📌
Exam Pointer: “सूत्र–वाक्य” याद रखें – “औरंगज़ेब ने साम्राज्य को बढ़ाया भी, और उसी बढ़े हुए बोझ ने उसे तोड़ा भी।” (दक्कन युद्ध = Over–expansion + Financial drain)
🚩 5. सिख, जाट, सतनामी, बुंदेला व अन्य विद्रोह
🛡️ (A) सिख विद्रोह – गुरु तेग बहादुर से गुरु गोविंद सिंह
  • गुरु तेग बहादुर की शहादत ने सिख समुदाय में गहरा आक्रोश पैदा किया।
  • गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना (1699) की – अनुशासित योद्धा समुदाय।
  • मुगल–सिख टकराव बढ़ते–बढ़ते 18वीं सदी में आगे भी चलता रहा।
🌾 (B) जाट विद्रोह – पश्चिमी उत्तर प्रदेश
  • क्षेत्र: मथुरा, आगरा, भरतपुर के आस–पास।
  • नेता: शुरुआती चरण में गोकुल, बाद में राजा राम और अन्य।
  • कारण: भूमि कर–दबाव, स्थानीय अधिकारियों की क्रूरता, धार्मिक–आर्थिक असंतोष।
  • आगे चलकर जाट एक संगठित शक्ति बनकर उभरते हैं (भरतपुर राज्य आदि)।
⚔️ (C) सतनामी, बुंदेला व अन्य
  • सतनामी विद्रोह (1672) – हरियाणा क्षेत्र में; किसान–समाज–आधारित धार्मिक समूह।
  • कर–दबाव व स्थानीय अत्याचार के खिलाफ सैन्य प्रतिरोध; मुगल सेना से टकराव।
  • बुंदेला विद्रोह – राजा छत्रसाल (बुंदेलखंड) – धीरे–धीरे स्वतंत्र शक्ति बनना।
  • अफ़गान (पठान) क्षेत्रों में भी अलग–अलग विद्रोह।

ये सभी छोटे–छोटे विद्रोह मिलकर मुगल सत्ता की जड़ों को कमजोर करते हैं – कर–संग्रह घटता है, सेना का बोझ बढ़ता है।

📉 6. आर्थिक–प्रशासनिक संकट व साम्राज्य का पतन
💰 (A) आर्थिक स्थिति
  • लगातार युद्ध (विशेषकर दक्कन) में अपार धन खर्च – राजकोष पर भारी दबाव।
  • कर–दबाव बढ़ाने से किसान, जमींदार, स्थानीय समूहों में असंतोष।
  • जागीर–संकट (Jagirdari crisis) – योग्य लोगों को देने के लिए पर्याप्त उपजाऊ जागीरें नहीं बचीं।
  • मनसबदार–जागीरदार असंतुष्ट; कई स्थानों पर भ्रष्टाचार, अत्याचार, कर–लूट बढ़ी।
🏛️ (B) प्रशासनिक बोझ
  • इतना बड़ा साम्राज्य – उत्तर से दक्कन तक – नियंत्रित करना कठिन।
  • औरंगज़ेब का अधिक समय दक्कन में; उत्तर भारत के कामकाज पर सीधा ध्यान कम।
  • केंद्र और प्रांतों के बीच समन्वय में कमी; प्रांतीय गवर्नरों की “स्वतंत्रता” बढ़ती गई।
🔍 (C) साम्राज्य के पतन के मुख्य कारण (सार)
  • लम्बे दक्कन युद्ध – आर्थिक व सैन्य थकान।
  • मराठा, सिख, जाट, राजपूत, बुंदेला, सतनामी आदि का लगातार प्रतिरोध।
  • धार्मिक नीति से अनेक वर्गों में अविश्वास व असंतोष।
  • जागीर–मनसब संकट, भ्रष्ट प्रशासन, कर–दबाव।
  • औरंगज़ेब के बाद कमजोर उत्तराधिकारी – बहादुर शाह–प्रथम के बाद तेजी से विघटन।
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Answer Framework (Mains / Descriptive के लिए):
यदि पूछा जाए – “औरंगज़ेब की नीतियों ने मुगल साम्राज्य के पतन में क्या भूमिका निभाई?” तो उत्तर को चार headings में लिखें: (1) धार्मिक नीति (2) दक्कन–नीति (3) विद्रोह (4) आर्थिक–प्रशासनिक संकट हर heading के नीचे 3–4 ठोस बिंदु लिखने से उत्तर स्वतः “High–Score” बन जाएगा।
🎓 7. परीक्षा उपयोगी त्वरित तथ्य (Aurangzeb Special)
तथ्य–संग्रह (1)
  • सबसे लंबा शासनकाल वाला मुगल – औरंगज़ेब
  • जज़िया पुनः लगाने वाला बादशाह – औरंगज़ेब (1679)
  • फ़तावा–ए–आलमगीरी संकलित – औरंगज़ेब के समय।
  • गुरु तेग बहादुर की शहादत – औरंगज़ेब के शासन में।
📌 तथ्य–संग्रह (2)
  • सतनामी विद्रोह – 1672 (औरंगज़ेब)।
  • जाट विद्रोह – गोकुल, राजा राम (औरंगज़ेब)।
  • छत्रसाल – बुंदेला नेता, बुंदेलखंड में विद्रोह।
  • खालसा पंथ – 1699, गुरु गोविंद सिंह (औरंगज़ेब काल)।
Quick Smart Revision – औरंगज़ेब की नीतियाँ एवं विद्रोह
Last Minute Turbo Revision

इस सेक्शन को 2–3 बार दोहराने से औरंगज़ेब की धार्मिक नीति, मराठा–सिख–जाट–राजपूत विद्रोह और पतन के कारणों से जुड़े अधिकतर MCQs कवर हो जाते हैं।

⏱️ बुनियादी तथ्य
  • पूरा नाम: अबुल मुज़फ़्फर मुफ्फख्खरुद्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब आलमगीर
  • शासनकाल: 1658–1707 ई.
  • उपाधि: आलमगीर (दुनिया को जीतने वाला)
  • अंतिम “प्रमुख” या “क्लासिकल” मुगल सम्राट माना जाता है।
🧭 राजधानी व दक्षिणी नीति
  • शुरुआत में राजधानी: दिल्ली
  • दक्षिण भारत पर लंबे अभियानों के लिए बाद में औरंगाबाद को कार्यकारी राजधानी बनाया।
  • बीजापुर (1686) और गोलकुंडा (1687) पर विजय – दक्कन पर मुगल प्रभुत्व।
  • परिणाम: लम्बे युद्ध, भारी व्यय, साम्राज्य थकान (Exhaustion)।
☪️ धार्मिक नीति – मुख्य बिंदु
  • जज़िया कर पुनः लागू: 1679 ई.
  • कुछ मंदिरों का ध्वंस / पूजा स्थलों पर पाबंदी (विशेषकर विद्रोह/राजनीतिक कारणों से)।
  • गैर–सुन्नी मुसलमानों (शिया, सूफी परंपरा) पर भी कठोर दृष्टि के उदाहरण।
  • कुल मिलाकर नीति: अपेक्षाकृत कठोर, पर पूरी तरह सिर्फ “धर्म” से प्रेरित नहीं; राजनीतिक कारण भी जुड़े थे।
🏹 मराठा संघर्ष – लम्बा गृहयुद्ध जैसा
  • शिवाजी के साथ संघर्ष – पुरंधर संधि, बाद में वारंगल/दक्कन में झड़पें।
  • शिवाजी के बाद – संभाजी, राजाराम, तराबाई आदि के साथ दीर्घकालीन युद्ध।
  • मराठा गुरिल्ला युद्ध (छापामार) – मुगल सेना के लिए चुनौती।
  • दक्षिण में 25+ वर्ष की राजनीति – ने साम्राज्य की ऊर्जा व संसाधन खत्म कर दिए।
🛡️ सिख संघर्ष
  • गुरु तेगबहादुर की शहादत (1675) – दिल्ली में शहीद।
  • गुरु गोबिंद सिंह व खालसा की स्थापना – सिख शक्ति का सैन्य रूप।
  • मुगल–सिख संबंध अत्यधिक तनावपूर्ण – आगे चलकर 18वीं सदी में सिख शक्ति प्रबल।
🌾 जाट, राजपूत विद्रोह
  • जाट विद्रोह – गोकुला, राजाराम, चूरामन जैसे नेताओं के नेतृत्व में।
  • राजस्थान में – आमेर/मेवाड़ के साथ टकराव, मारवाड़ उत्तराधिकार विवाद (अजित सिंह)।
  • राजपूतों से संघर्ष ने मुगल–राजपूत गठबंधन को कमजोर किया, जो अकबर के समय से साम्राज्य की ताकत था।
🔥 सतनामी, पठान, अन्य विद्रोह
  • सतनामी विद्रोह (1672) – हरियाणा/नारनौल क्षेत्र, कृषक–समुदाय आधारित।
  • पठान व अन्य स्थानीय सरदारों के विद्रोह – अफ़गान क्षेत्र में।
  • लगातार छोटे–बड़े विद्रोह → प्रशासनिक नियंत्रण कमजोर।
📉 पतन के मुख्य कारण – Short List
  • लंबे दक्कन युद्ध – सैन्य व आर्थिक थकान।
  • धार्मिक/सांप्रदायिक कठोरता – कई समूहों का अलगाव।
  • मराठा, सिख, जाट, राजपूत विद्रोह – बहु–केंद्रीय प्रतिरोध।
  • राजस्व व्यवस्था पर अत्यधिक दबाव – क्षेत्र तो बड़ा, पर नियंत्रण ढीला।
💡 Exam Smart Tips
  • हर विद्रोह के लिए – समूह + नेता + क्षेत्र + वर्ष (लगभग) याद करें।
  • जज़िया पुनः लागू करने का वर्ष – 1679 – बार–बार पूछा जाता है।
  • “पतन के कारण” पर अक्सर 2 या 3 स्टेटमेंट वाले Assertion–Reason प्रश्न आते हैं।
PYQs व एक पंक्ति प्रश्न – औरंगज़ेब की नीतियाँ एवं विद्रोह
UPSC / PCS / RO-ARO / UPSSSC / Police
इस सेक्शन में 40+ महत्वपूर्ण प्रश्न दिए गए हैं। हर प्रश्न के बाद उत्तर + 2–3 पंक्ति की व्याख्या दी गई है। पहले स्वयं सोचें, फिर “👁️ View Answer” पर क्लिक करें।
1. औरंगज़ेब किस मुगल शासक का पुत्र था?
उत्तर: शाहजहाँ का पुत्र।
व्याख्या: जहाँगीर के बाद शाहजहाँ और शाहजहाँ के पुत्रों में युद्ध के बाद औरंगज़ेब विजयी होकर गद्दी पर बैठा। उस समय दारा शिकोह, शुजा, मुराद आदि उसके प्रतिद्वंदी थे।
2. औरंगज़ेब का राज्याभिषेक (ताजपोशी) कब हुआ माना जाता है?
उत्तर: 1658–1659 ई. के बीच (औपचारिक रूप से 1659 ई.)।
व्याख्या: दारा शिकोह आदि भाइयों पर विजय के बाद औरंगज़ेब ने गद्दी संभाली। कई किताबों में 1658 को कब्ज़ा व 1659 को औपचारिक ताजपोशी के रूप में माना जाता है, इसलिए वर्ष सीमा को याद रखना बेहतर है।
3. औरंगज़ेब की धार्मिक नीति को अक्सर किस रूप में वर्णित किया जाता है?
उत्तर: अपेक्षाकृत कट्टर सुन्नी नीति (Orthodox Sunni Policy)।
व्याख्या: अकबर के “सुलह–ए–कुल” के विपरीत औरंगज़ेब को शरीयत–आधारित शासन, कुछ मंदिर–विध्वंस, जज़िया पुनः लागू करने आदि के कारण अपेक्षाकृत कट्टर माना जाता है। फिर भी व्यावहारिक राजनीति में कई बार लचीले कदम भी दिखते हैं।
4. जज़िया कर को औरंगज़ेब ने किस वर्ष पुनः लागू किया?
उत्तर: 1679 ई.।
व्याख्या: अकबर ने जज़िया समाप्त कर दिया था। लगभग एक शताब्दी बाद औरंगज़ेब ने 1679 में इसे पुनः लागू किया, जो उसकी धार्मिक नीति के संदर्भ में बार–बार परीक्षाओं में पूछा जाता है।
5. औरंगज़ेब के समय मराठा आंदोलन का सबसे प्रमुख नेता कौन था?
उत्तर: शिवाजी महाराज।
व्याख्या: शिवाजी ने महाराष्ट्र क्षेत्र में स्वराज की अवधारणा के साथ मुगल सत्ता को चुनौती दी। औरंगज़ेब के साथ उसकी संघर्ष–श्रृंखला (पुरंदर संधि, आगरा प्रकरण, रायगढ़ ताजपोशी) अक्सर पूछी जाती है।
6. शिवाजी की ताजपोशी (राज्याभिषेक) कब और कहाँ हुई?
उत्तर: 1674 ई., रायगढ़ किले पर।
व्याख्या: 1674 में शिवाजी का विधिवत राज्याभिषेक हुआ और वह “छत्रपति” के रूप में प्रतिष्ठित हुए। यह घटना मराठा–मुगल संघर्ष की दिशा बदलने वाली मानी जाती है।
7. औरंगज़ेब के समय सिखों के किस गुरु को दिल्ली में शहीद किया गया?
उत्तर: गुरु तेग बहादुर।
व्याख्या: 1675 ई. में कश्मीरी पंडितों की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के मुद्दे पर गुरु तेग बहादुर को दिल्ली (चांदनी चौक) में शहीद किया गया। इसी से आगे चलकर खालसा की स्थापना व सिख–मुगल संघर्ष तेज़ होता है।
8. खालसा पंथ की स्थापना कब और किसने की? (औरंगज़ेब के समय)
उत्तर: 1699 ई., गुरु गोविंद सिंह ने।
व्याख्या: आनंदपुर साहिब में वैशाखी के अवसर पर गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की, जिससे सिख समुदाय एक सैन्य–धार्मिक संगठन के रूप में उभरा और आगे चलकर मुगल सत्ता के विरुद्ध शक्तिशाली शक्ति बना।
9. जाट विद्रोह का प्रारंभिक नेतृत्व किसने किया माना जाता है?
उत्तर: गोकुला (जाट नेता)।
व्याख्या: मथुरा–आगरा क्षेत्र में जाट किसानों ने मुगल ज़ुल्म, कर–दबाव और धार्मिक–आर्थिक कारणों से विद्रोह किया। प्रारंभिक चरण में गोकुला का नाम प्रमुखता से आता है, आगे चलकर सूरज मल आदि जाट शक्ति को संगठित करते हैं।
10. औरंगज़ेब के समय किस समुदाय ने “सतनामी विद्रोह” किया था?
उत्तर: सतनामी संप्रदाय के अनुयायियों ने।
व्याख्या: 1672 के आसपास हरियाणा क्षेत्र (नारनौल आदि) में सतनामी समुदाय ने मुगल प्रशासन के अत्याचार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह किया, जिसे औरंगज़ेब ने बलपूर्वक दबाया।
11. किस मुगल शासक के समय राजपूत–मुगल संबंध सबसे अधिक बिगड़े माने जाते हैं?
उत्तर: औरंगज़ेब के समय।
व्याख्या: अकबर ने राजपूतों के साथ समझौता–नीति अपनाई थी, पर औरंगज़ेब के समय विशेषकर मारवाड़–मेवाड़ के प्रश्न पर तनाव और युद्ध की स्थिति बनी रही (जैसे दुरगादास राठौर का संघर्ष)।
12. मारवाड़ के शासक जसवंत सिंह की मृत्यु के बाद उत्तराधिकार प्रश्न पर किसका संघर्ष औरंगज़ेब से हुआ?
उत्तर: दुरगादास राठौर व मारवाड़ के राजपूतों का।
व्याख्या: जसवंत सिंह की मृत्यु के बाद मारवाड़ की गद्दी के प्रश्न पर औरंगज़ेब ने प्रत्यक्ष नियंत्रण की कोशिश की, जिसे दुरगादास आदि ने लंबे संघर्ष के रूप में चुनौती दी।
13. औरंगज़ेब ने संगीत के संबंध में कौन–सा महत्वपूर्ण प्रतिबंध लगाया था?
उत्तर: दरबार में संगीत–प्रदर्शन पर रोक (औपचारिक प्रतिबंध) लगाया।
व्याख्या: कहा जाता है कि औरंगज़ेब ने दरबार से शास्त्रीय संगीत को हटाया, हालांकि व्यावहारिक स्तर पर संगीत पर पूरी तरह रोक नहीं लग पाई। यह प्रश्न उसकी धार्मिक नीति से जोड़कर पूछा जाता है।
14. औरंगज़ेब ने किस महत्वपूर्ण विधि–ग्रंथ को संकलित करवाया था जो इस्लामी कानून (शरीयत) पर आधारित था?
उत्तर: फतावा–ए–आलमगीरी।
व्याख्या: फतावा–ए–आलमगीरी इस्लामी विधि का संकलन है, जिसे औरंगज़ेब के आदेश पर विद्वानों ने तैयार किया। यह उसकी शरीयत–आधारित शासन नीति का प्रतीक माना जाता है।
15. औरंगज़ेब की मृत्यु कहाँ और कब हुई?
उत्तर: 1707 ई., अहमदनगर के पास (महानगर क्षेत्र) में।
व्याख्या: लंबे दक्कनी अभियानों के दौरान ही उसकी मृत्यु हुई और यहीं उसके शासन के साथ–साथ मुगल साम्राज्य के पतन की प्रक्रिया तेज हो गई।
16. मराठों के साथ औरंगज़ेब का सबसे बड़ा सैन्य–राजनीतिक संघर्ष किस क्षेत्र के कारण लम्बा खिंचा?
उत्तर: दक्कन क्षेत्र (विशेषतः महाराष्ट्र–कर्नाटक बेल्ट)।
व्याख्या: औरंगज़ेब के शासन का बड़ा हिस्सा दक्कन में बीता, जहाँ मराठों, बीजापुर, गोलकुंडा आदि के साथ लगातार युद्ध चलते रहे और साम्राज्य के संसाधन अत्यधिक खर्च हुए।
17. किस मुगल शासक के समय मुगल साम्राज्य का क्षेत्रीय विस्तार सर्वाधिक माना जाता है, परन्तु स्थिरता न्यूनतम थी?
उत्तर: औरंगज़ेब के समय।
व्याख्या: मानचित्र के अनुसार औरंगज़ेब के समय मुगल साम्राज्य सबसे विस्तृत था, परन्तु निरंतर युद्ध, विद्रोह और प्रशासनिक दबाव के कारण स्थिरता व नियंत्रण कमजोर होता गया।
18. “मुगल साम्राज्य के पतन की शुरुआत किस शासक के समय से मानी जाती है?” – सामान्यतः परीक्षाओं में क्या उत्तर अपेक्षित होता है?
उत्तर: औरंगज़ेब के समय से।
व्याख्या: औपचारिक अंत तो 1857 के बाद होता है, परन्तु बुनियादी कमजोरी – अधिक विस्तार, विद्रोह, धार्मिक तनाव, प्रशासनिक थकान – औरंगज़ेब के लम्बे युद्धकाल में ही शुरू हो जाती है।
19. जज़िया पुनः लगाने के निर्णय का तत्कालीन प्रतिक्रिया के रूप में कौन–से वर्ग सबसे अधिक असंतुष्ट हुए?
उत्तर: हिंदू व्यापारी, शहरी मध्यम वर्ग व कुछ राजपूत–मराठा नेतृत्व।
व्याख्या: जज़िया एक गैर–मुस्लिम पर लगाया जाने वाला टैक्स था, जो विशेष रूप से शहरी–समृद्ध वर्ग पर आर्थिक दबाव बनाता था और राजनीतिक असंतोष भी बढ़ाता था।
20. औरंगज़ेब की नीतियों के संदर्भ में “Religious Intolerance vs Political Compulsion” के आधार पर प्रश्न पूछे जाते हैं – इसका सार क्या है?
उत्तर (संक्षेप): उसकी कई नीतियाँ धार्मिक आधार पर कठोर दिखती हैं, पर उसमें राजनीतिक–प्रशासनिक मजबूरियाँ भी शामिल थीं।
व्याख्या: मंदिर–विध्वंस, जज़िया, संगीत–प्रतिबंध आदि से वह कट्टर दिखता है, पर दूसरी ओर कई हिंदू अधिकारियों को उच्च पद देना, कुछ जगह समझौते करना आदि उसके “Mixed Pattern” को दिखाते हैं। Exam में संतुलित दृष्टि अपेक्षित रहती है।
21. पुरंदर की संधि (Treaty of Purandar) किसके बीच हुई थी और इसका औरंगज़ेब से क्या संबंध है?
उत्तर: शिवाजी और जयसिंह (मुगल प्रतिनिधि) के बीच; यह औरंगज़ेब के शासनकाल की घटना है।
व्याख्या: 1665 ई. में पुरंदर की संधि के तहत शिवाजी ने कुछ किले छोड़ने व मुगल अधीनता स्वीकार की, बदले में उन्हें मनसब और जागीरें मिलीं। यह दिखाता है कि मराठा–मुगल संबंध केवल युद्ध नहीं, समझौते पर भी आधारित थे।
22. आगरा दरबार में शिवाजी के साथ हुआ विवाद किस मुगल शासक के समय का है और उसका परिणाम क्या हुआ?
उत्तर: औरंगज़ेब के समय; शिवाजी ने अपमानित महसूस कर कैद से पलायन किया।
व्याख्या: शिवाजी को आगरा बुलाकर सम्मानित करने की बजाय अपेक्षाकृत पीछे खड़ा किया गया, जिससे विवाद हुआ। बाद में वह चतुराई से कैद से भाग निकले, जिसने मराठों की प्रतिष्ठा और औरंगज़ेब की छवि दोनों को प्रभावित किया।
23. औरंगज़ेब ने दक्षिण के किन दो प्रमुख मुस्लिम राज्यों को समाप्त कर दिया था?
उत्तर: बीजापुर और गोलकुंडा।
व्याख्या: दक्कन नीति के अंतर्गत औरंगज़ेब ने आदिलशाही (बीजापुर) और कुतुबशाही (गोलकुंडा) सल्तनतों को नष्ट किया। इससे विस्तार तो हुआ, पर लम्बे युद्धों के कारण मुगल साम्राज्य आर्थिक रूप से कमजोर हुआ।
24. बीजापुर और गोलकुंडा को समाप्त करने की नीति के क्या दूरगामी परिणाम हुए?
उत्तर (संक्षेप): मुगल क्षेत्र बढ़ा, पर संसाधन थक गए और मराठा शक्ति को खाली स्थान मिला।
व्याख्या: दक्षिण के मध्यस्थ मुस्लिम राज्यों के हटने से मराठों को उभरने का अवसर मिला, जबकि मुगलों को नए क्षेत्रों में प्रशासन व सेना पर भारी खर्च करना पड़ा। इसका परिणाम दीर्घकाल में मुगल पतन के रूप में सामने आया।
25. सिख–मुगल संघर्ष के तीव्र होने का मूल कारण औरंगज़ेब के समय किस घटना को माना जाता है?
उत्तर: गुरु तेग बहादुर की शहादत (1675 ई.)।
व्याख्या: गुरु तेग बहादुर की शहादत के बाद सिख समुदाय में मुगल सत्ता के प्रति गहरा आक्रोश पैदा हुआ, जिसे गुरु गोविंद सिंह ने सैन्य संगठन (खालसा) के रूप में दिशा दी। इससे सिख–मुगल संघर्ष स्थायी रूप से तीव्र हो गया।
26. जाट विद्रोह का प्रमुख सामाजिक–आर्थिक कारण क्या था?
उत्तर: अत्यधिक कर–दबाव, स्थानीय मुगल अधिकारियों की ज्यादती और धार्मिक–राजनीतिक असंतोष।
व्याख्या: ब्रज क्षेत्र के जाट किसानों पर लगान, जबरन वसूली, मंदिरों व धार्मिक प्रतीकों पर दख़ल आदि कारणों से असंतोष बढ़ा, जो विद्रोह के रूप में प्रकट हुआ।
27. “Religious Policy of Aurangzeb” पर पूछे जाने वाले प्रश्नों में अक्सर किस उदाहरण का उल्लेख जज़िया के अतिरिक्त किया जाता है?
उत्तर: कुछ प्रमुख मंदिरों का विध्वंस / धार्मिक संस्थानों पर नियंत्रण।
व्याख्या: वाराणसी, मथुरा आदि के कुछ मंदिरों के विध्वंस या उन पर राजनीतिक नियंत्रण के उदाहरण इतिहास–ग्रंथों में मिलते हैं, जिन्हें उसकी धार्मिक नीति के कठोर पक्ष के रूप में दिखाया जाता है।
28. औरंगज़ेब की दक्कन नीति की सबसे बड़ी प्रशासनिक–सैन्य कमजोरी क्या मानी जाती है?
उत्तर: लम्बे समय तक स्वयं दक्कन में रहकर उत्तर भारत के प्रशासन की उपेक्षा।
व्याख्या: लगभग 25–26 वर्ष दक्कन में कैंप जीवन बिताने से केंद्र (दिल्ली–आगरा) से दूरी बढ़ी, सूबेदारों व मनसबदारों पर निगरानी कम हुई, जिससे प्रांतीय स्वायत्तता व भ्रष्टाचार बढ़ गया।
29. किस विद्रोह को “Peasant–Religious Revolt” की श्रेणी में रखा जाता है – Satnami, Jat या Maratha? (Conceptual MCQ)
उत्तर: मुख्यतः Satnami विद्रोह।
व्याख्या: सतनामी आंदोलन में सामाजिक–धार्मिक तत्व मजबूत थे और विद्रोहियों का बड़ा हिस्सा किसान–कर्मकार समुदाय से आता था, इसलिए इसे अक्सर “Peasant–Religious Revolt” कहा जाता है।
30. औरंगज़ेब की नीतियों के कारण राजपूत–मुगल संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: विश्वास–संकट, युद्ध और दीर्घकालिक तनाव, विशेषकर मारवाड़–मेवाड़ के साथ।
व्याख्या: अकबर की समय की साझेदारी–नीति के विपरीत उत्तराधिकार प्रश्नों में हस्तक्षेप और धार्मिक–राजनीतिक कठोरता से राजपूत–मुगल गठबंधन में दरारें गहरी हो गईं।
31. किस विद्रोह को “Farmer–Tax Resistance” के रूप में भी देखा जाता है – विशेष रूप से उत्तर–भारत में?
उत्तर: जाट विद्रोह।
व्याख्या: जाटों का आंदोलन केवल धार्मिक नहीं था; वह भारी लगान, जबरन वसूली, ज़मींदार–अधिकारी अत्याचार के खिलाफ किसान–आधारित प्रतिरोध भी था, जो आगे चलकर राजनीतिक शक्ति (भरतपुर राज्य) में बदला।
32. औरंगज़ेब के समय में “जमींदारों की स्वायत्तता” क्यों बढ़ गई?
उत्तर: केंद्र की निगरानी कम, लगातार युद्ध, राजस्व–संकट और स्थानीय शक्ति–संतुलन।
व्याख्या: लंबे युद्धों और प्रशासनिक दबाव के कारण सूबेदार–मनसबदार जमींदारों पर पूरी तरह नियंत्रण नहीं रख पाए, जिससे वे स्थानीय स्तर पर अधिक स्वतंत्र और कई जगह विद्रोही हो गए।
33. औरंगज़ेब के काल में “मनसबदारी प्रणाली” पर क्या दबाव आया?
उत्तर: मनसबदारों की संख्या बढ़ी, पर जागीरें सीमित; असंतोष एवं भ्रष्टाचार बढ़ा।
व्याख्या: लम्बे युद्धों के लिए अधिक मनसबदार नियुक्त किए गए, पर उनके लिए पर्याप्त, उत्पादक जागीरें नहीं थीं। परिणामस्वरूप बे–तोल नियुक्ति, फर्जी सवार, राजस्व–दुरुपयोग जैसी समस्याएँ बढ़ीं।
34. “Fiscal Crisis” (आर्थिक संकट) शब्द को अक्सर किस मुगल शासक के उत्तरार्ध से जोड़ा जाता है?
उत्तर: औरंगज़ेब।
व्याख्या: लगान वसूलना कठिन, विद्रोह, युद्ध, मनसबदारी बोझ, दक्कन अभियानों पर भारी खर्च– इन सबके कारण राजकोष पर अत्यधिक दबाव पड़ा, जो आगे चलकर साम्राज्य–पतन का आर्थिक आधार बना।
35. “Aurangzeb: Expansion without Integration” – इस कथन का सार क्या है? (Conceptual)
उत्तर (संक्षेप): क्षेत्र तो बढ़ा, पर राजनीतिक–प्रशासनिक समावेशन कमजोर रहा।
व्याख्या: दक्कन, दक्षिण और सीमांत क्षेत्रों को जीतने के बाद भी वहाँ स्थिर प्रशासन, स्थानीय सहयोग और सांस्कृतिक–राजनीतिक समावेशन पर्याप्त नहीं हो पाया, जिससे साम्राज्य ढीला–ढाला हो गया।
36. औरंगज़ेब की नीतियों की आलोचना में “Akbar vs Aurangzeb” तुलना क्यों महत्वपूर्ण मानी जाती है?
उत्तर: क्योंकि अकबर ने समावेशी–सुलह–ए–कुल नीति से साम्राज्य मज़बूत किया, जबकि औरंगज़ेब की कठोर नीतियों से गठबंधन कमजोर हुए।
व्याख्या: Exam में अक्सर प्रश्न आता है कि “अकबर की नीति ने जो गठबंधन बनाये, औरंगज़ेब ने उन्हें कैसे तोड़ा या कमजोर किया?” यह तुलना मुगल साम्राज्य के उभार–पतन को समझने की कुंजी है।
37. “औरंगज़ेब के समय साम्राज्य के पतन की ‘Psychological Cost’ क्या थी?” – वैचारिक प्रश्न के रूप में इसका आशय क्या है?
उत्तर: प्रजाजनों, कुलीनों व प्रांतीय शक्तियों में मुगल–सत्ता के प्रति सम्मान और विश्वास का क्षरण।
व्याख्या: निरंतर युद्ध, धार्मिक तनाव, कर–दबाव और दमन के कारण लोगों के मन से “सर्वमान्य बादशाह” की छवि कमजोर हुई, जिससे विद्रोह और वैकल्पिक शक्तियों का हौसला बढ़ा।
38. औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद उत्तराधिकार–संकट ने मुगल साम्राज्य को कैसे प्रभावित किया?
उत्तर: लगातार गद्दी–संघर्ष ने केंद्र की प्रतिष्ठा व प्रशासनिक एकता को तोड़ दिया।
व्याख्या: 1707 के बाद जल्दी–जल्दी बादशाह बदलते रहे, जिनकी शक्ति मनसबदारों व सूबेदारों पर निर्भर थी। इससे प्रांतीय स्वायत्तता, नवाब–राज्य और यूरोपीय शक्तियों के लिए रास्ता खुला।
39. “Aurangzeb as a Tragic Figure” – आधुनिक इतिहास–लेखन का यह दृष्टिकोण क्या संकेत देता है?
उत्तर: वह व्यक्तिगत रूप से मेहनती व ईमानदार था, पर उसकी नीतियाँ अनजाने में साम्राज्य के पतन को तेज कर गईं।
व्याख्या: कुछ इतिहासकार मानते हैं कि औरंगज़ेब व्यक्तिगत जीवन में सादगी, इबादत और न्यायप्रियता की कोशिश करता था, पर उसके राजनीतिक–धार्मिक फैसले समय की जटिलताओं के कारण उल्टा परिणाम दे गए।
40. परीक्षा–दृष्टि से “Aurangzeb & Decline of Mughal Empire” टॉपिक को कैसे पढ़ना अधिक उपयोगी है?
उत्तर (Study Tip): केवल तथ्य नहीं, “Causes + Consequences + Comparison with Akbar” तीनों फ्रेम में पढ़ें।
व्याख्या: MCQ के साथ–साथ Mains/Descriptive में भी प्रश्न आते हैं, जैसे – “मुगल पतन के लिए केवल औरंगज़ेब को दोष देना एकांगी दृष्टि है। विवेचना करें।” इसलिए नीतियाँ, विद्रोह, आर्थिक संकट, मनसबदारी, दक्कन युद्ध, राजपूत–मराठा–सिख–जाट–सतनामी सभी को जोड़कर पढ़ना चाहिए।

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