स्वर, व्यंजन व मात्रा (Swar Vyanjan & Matra) Notes in Hindi | देवनागरी मात्रा, उच्चारण — UP Police SI, UPSSSC, TET

स्वर, व्यंजन व मात्रा (Swar Vyanjan & Matra) Notes in Hindi | देवनागरी मात्रा, उच्चारण — UP Police SI, UPSSSC, TET

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अध्याय – वर्ण एवं ध्वनि विचार (भाग 3 : स्वर, व्यंजन एवं मात्रा पहचान व प्रयोग)
उत्तर प्रदेश पुलिस उपनिरीक्षक, यूपीपीएससी आरओ/एआरओ, यूपीएसएसएससी एएसओ/एआरओ, लेखपाल, पुलिस, टीईटी/सुपर टीईटी, टीजीटी/पीजीटी एवं अन्य सभी प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु
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🖋️ सामान्य हिन्दी अध्याय – वर्ण एवं ध्वनि विचार भाग 3 – स्वर, व्यंजन एवं मात्रा
📘 भाग – 1 : Deep Smart Notes – स्वर, व्यंजन एवं मात्रा पहचान व प्रयोग
Noble Exam City – Concept + MCQ ओरिएंटेड
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🗣️ 1. स्वर – परिभाषा, संख्या एवं प्रकार

स्वर वह ध्वनि है जो स्वतंत्र रूप से उच्चरित हो सकती है, जिसके उच्चारण में किसी अन्य वर्ण (विशेषतः व्यंजन) का सहारा न लेना पड़े। देवनागरी में सामान्यतः 13 स्वर माने जाते हैं।
  • १३ स्वर – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ॠ (कुछ में अलग), ए, ऐ, ओ, औ, अं (अनुस्वार सहित) – परीक्षा में प्रायः ११ या १३ स्वर का विकल्प आता है, प्रश्न को ध्यान से पढ़ें।
  • स्वर अकेले भी शब्द बना सकते हैं – जैसे “आ”, “ओ”, “ऐ!” आदि।
1️⃣ 1.1 ह्रस्व स्वरों का समूह
  • अ, इ, उ, ऋ – कम समय में बोले जाने वाले स्वर।
  • इन्हें अक्सर एक मात्रा की ध्वनि माना जाता है।
  • उदाहरण – अग्नि, ऋषि, सुगंध, इकट्ठा आदि।
2️⃣ 1.2 दीर्घ स्वरों का समूह
  • आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ – अपेक्षाकृत लंबा समय लेकर बोला जाने वाला स्वर।
  • इन्हें दो मात्राओं की ध्वनि माना जाता है (सामान्य व्याकरण स्तर पर)।
  • उदाहरण – आग, ईमान, फूल, देश, नौका आदि।
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एग्ज़ाम टिप (स्वर):
“अ–इ–उ–ऋ = ह्रस्व” और “आ–ई–ऊ–ए–ऐ–ओ–औ = दीर्घ” – इस लाइन को दो बार लिखकर याद कर लो; ह्रस्व–दीर्घ पर आने वाले सभी MCQ हो जाते हैं।

🔡 2. व्यंजन – परिभाषा, संख्या एवं वर्गीकरण

व्यंजन वह ध्वनि है जो स्वर के बिना पूर्ण उच्चरित नहीं हो सकती। देवनागरी में लगभग ३३ व्यंजन (या ३६, ३९ – भिन्न–भिन्न मत) माने जाते हैं, पर प्रतियोगी परीक्षाओं में सामान्यतः ३३ व्यंजन ही पूछे जाते हैं।
📚 2.1 वर्गानुसार व्यंजन (क, च, ट, त, प)
  • क–वर्ग – क, ख, ग, घ, ङ
  • च–वर्ग – च, छ, ज, झ, ञ
  • ट–वर्ग – ट, ठ, ड, ढ, ण
  • त–वर्ग – त, थ, द, ध, न
  • प–वर्ग – प, फ, ब, भ, म
🧩 2.2 अर्धस्वर एवं ऊष्म व्यंजन
  • अर्धस्वर (य, र, ल, व) – स्वर और व्यंजन के बीच का रूप।
  • ऊष्म व्यंजन (श, ष, स, ह) – उच्चारण में ऊष्मा/सांस अधिक प्रकट होती है।
  • परीक्षा–प्रश्न – “कौन–से व्यंजन अर्धस्वर कहलाते हैं?” या “ऊष्म व्यंजन की संख्या कितनी है?”

⚖️ 3. स्वर और व्यंजन – अंतर (Exam Friendly Points)

🔍 3.1 तुलना – एक नजर में
  • स्वर – स्वयं उच्चरित, स्वतंत्र; व्यंजन – स्वर के साथ उच्चरित।
  • स्वर – ध्वनि का मुख्य आधार; व्यंजन – ध्वनि का आंशिक अवरोध
  • स्वर – संख्या प्रायः ११ या १३; व्यंजन – प्रायः ३३।
  • स्वर – मात्राओं के रूप में लिखे जाते हैं; व्यंजन – अक्षर रूप में (क, ख, ग...)।
🎯 3.2 Objective Point
  • प्रश्न – “भाषा की आत्मा किसे कहा जाता है?” → स्वर।
  • प्रश्न – “किसके बिना व्यंजन पूर्ण उच्चरित नहीं हो सकते?” → स्वर।
  • प्रश्न – “किसके सहारे व्यंजन ध्वनि बनाते हैं?” → स्वर के सहारे।
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Exam Line – Noble Exam City:
“स्वर ध्वनि का आधार हैं और व्यंजन स्वर का सहारा लेकर ध्वनि बनाते हैं” – यह एक वाक्य लिख दोगे तो स्वर–व्यंजन का पूरा अंतर स्पष्ट हो जाता है।

🧷 4. मात्रा – पहचान और प्रतीक

व्यंजनों के साथ स्वर जब जुड़ते हैं, तो वे प्रायः मात्रा के रूप में लिखे जाते हैं। इसलिए मात्रा पहचान और प्रयोग अध्याय को स्वर–व्यंजन के साथ ही पढ़ना सबसे सही तरीका है।
📌 4.1 स्वर – मात्रा रूप (सिंपल मैपिंग)
  • अ – (कोई मात्रा नहीं) → क
  • आ – ा → का
  • इ – ि → कि
  • ई – ी → की
  • उ – ु → कु
  • ऊ – ू → कू
  • ऋ – ृ → कृ
  • ए – े → के
  • ऐ – ै → कै
  • ओ – ो → को
  • औ – ौ → कौ
🔎 4.2 मात्रा पहचान – दो–तीन मुख्य नियम
  • “ि” मात्रा – व्यंजन के पहले (कि, पि, भि)।
  • “ी” मात्रा – व्यंजन के बाद (की, पी, भी)।
  • “ु” – व्यंजन के नीचे छोटी टेढ़ी रेखा (कु, सु)।
  • “ू” – नीचे लंबी रेखा (कू, सू)।
  • “े,ै,ो,ौ” – व्यंजन के ऊपर/आगे की ओर जुड़ती हैं।

✒️ 5. मात्रा प्रयोग – सही–गलत उदाहरण (Exam Favourite)

सामान्यतः MCQ में दो–तीन शब्दों की वर्तनी दी जाती है और पूछा जाता है – “शुद्ध वर्तनी/सही वर्तनी कौन–सी है?” – इसका आधार अधिकांश बार मात्रा का सही या गलत प्रयोग ही होता है।
5.1 सही रूप
  • विद्यालय, नीति, सूचना, आदेश, निर्णय, मित्र, दीन, पुण्य, श्रम, स्वतंत्रता।
  • कृपा, कृत्रिम, वृक्ष – ऋ स्वर की मात्रा “ृ” का सही प्रयोग।
  • चिंता, गुण, भक्ति – नासिक्य ध्वनि + मात्रा का मिश्रित प्रयोग।
5.2 प्रायः मिलने वाले गलत रूप
  • “विधालय” (×), “नीती” (×), “आदेस” (×), “सुसना” (×)
  • “फुल” (×) – मानक: “फूल” (✓)
  • “बिद्यालय” (×) – मानक: “विद्यालय” (✓)
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एग्ज़ाम टिप – मात्रा:
जहाँ उच्चारण में आवाज लंबी सुनाई दे (नी–ति, सू–चना, वी–णा) वहाँ दीर्घ मात्रा; जहाँ आवाज छोटी
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भाग – 2 : क्विक स्मार्ट रिवीजन – स्वर, व्यंजन एवं मात्रा
दो–तीन मिनट की त्वरित पुनरावृत्ति
यह भाग विशेष रूप से सामान्य हिन्दी की वस्तुनिष्ठ परीक्षाओं में स्वर–व्यंजन एवं मात्रा आधारित प्रश्नों को तेज़ी से हल करने के लिए तैयार किया गया है।
1️⃣ स्वर की झलक
  • स्वर वही जो अकेले भी उच्चरित हो सके।
  • स्वर ध्वनि का आधार माने जाते हैं।
  • ह्रस्व – अ, इ, उ, ऋ।
  • दीर्घ – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।
2️⃣ व्यंजन की झलक
  • व्यंजन स्वर के बिना पूर्ण नहीं हो सकते।
  • क, च, ट, त, प – पाँच वर्ग।
  • य, र, ल, व – अर्धस्वर।
  • श, ष, स, ह – ऊष्म व्यंजन।
3️⃣ स्वर–व्यंजन का अंतर
  • स्वर – स्वतंत्र ध्वनि; व्यंजन – सहायक ध्वनि।
  • स्वर – मात्रा बनकर भी जुड़ते हैं।
  • व्यंजन – स्वर मिलाकर अक्षर बनाते हैं।
  • स्वर अधिकतम तेरह, व्यंजन लगभग तैंतीस।
4️⃣ मात्रा पहचान के सूत्र
  • छोटी इ – व्यंजन के पहले (कि, पि)।
  • बड़ी ई – व्यंजन के बाद (की, पी)।
  • छोटा उ – नीचे छोटी रेखा (कु)।
  • बड़ा ऊ – नीचे लंबी रेखा (कू)।
  • ऊपर लगी रेखाएँ – ए, ऐ, ओ, औ की मात्राएँ।
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स्मरण–सूत्र (स्वर–व्यंजन–मात्रा):
“स्वर अपने बल पर, व्यंजन स्वर के बल पर, और मात्रा दोनों को मिलाकर शब्दों को सही रूप देती है।” यह एक ही पंक्ति पूरा अध्याय याद करा देती है।
स्वर–व्यंजन त्वरित पुनरावृत्ति मात्रा पहचान अभ्यास सामान्य हिन्दी संक्षिप्त नोट्स
भाग – 3 : 20 Important One Liner PYQs – स्वर, व्यंजन एवं मात्रा
👁️ View Answer / 🙈 Hide Answer + व्याख्या
यहाँ स्वर, व्यंजन और मात्रा पहचान तथा प्रयोग से जुड़े २० महत्वपूर्ण एक–लाइन प्रश्न दिए गए हैं। प्रत्येक प्रश्न के साथ स्तर/पैटर्न का संकेत दिया गया है, ताकि आप समझ सकें कि यह किस प्रकार की परीक्षा के अनुरूप है।
Q1. वह ध्वनि जो स्वतंत्र रूप से उच्चरित की जा सके, क्या कहलाती है?
उत्तर: स्वर।
पैटर्न: सामान्य हिन्दी – पुलिस/क्लर्क स्तर व्याख्या: स्वर के उच्चारण में किसी व्यंजन का सहारा अनिवार्य नहीं होता।
Q2. वह ध्वनि जो स्वर के बिना पूर्ण उच्चरित न हो सके, क्या कहलाती है?
उत्तर: व्यंजन।
पैटर्न: UP Police SI, UPSSSC व्याख्या: व्यंजन स्वर के सहारे ही स्पष्ट ध्वनि बनाते हैं।
Q3. सामान्यतः हिन्दी में कितने स्वर माने जाते हैं – 11 या 13?
व्याख्या–आधारित उत्तर: परंपरागत रूप से 11 मुख्य स्वर (अ से औ तक); कुछ व्याकरणों में ऋ, ॠ, ॡ आदि जोड़कर 13 या उससे अधिक माने जाते हैं।
पैटर्न: TGT/PGT स्तर नोट: वस्तुनिष्ठ परीक्षा में प्रश्न के अनुसार ही विकल्प चुनें।
Q4. क, ख, ग, घ, ङ – किस वर्ग के व्यंजन कहलाते हैं?
उत्तर: क–वर्ग के व्यंजन।
पैटर्न: UPSSSC PET, VDO व्याख्या: यह पाँचों मिलकर पहला व्यंजन–वर्ग बनाते हैं।
Q5. य, र, ल, व – किस नाम से जाने जाते हैं?
उत्तर: अर्धस्वर।
पैटर्न: UP Police SI, RO/ARO व्याख्या: इनका स्वर और व्यंजन दोनों से मिलता–जुलता स्वभाव है, इसलिए अर्धस्वर कहा जाता है।
Q6. श, ष, स, ह – किस प्रकार के व्यंजन हैं?
उत्तर: ऊष्म व्यंजन।
पैटर्न: शिक्षक भर्ती, TET/PGT व्याख्या: इनके उच्चारण में ऊष्मा/सांस अधिक प्रकट होती है।
Q7. “अ, इ, उ, ऋ” किस प्रकार के स्वर हैं – ह्रस्व या दीर्घ?
उत्तर: ह्रस्व स्वर।
पैटर्न: UPSSSC PET, Police व्याख्या: इनका उच्चारण अपेक्षाकृत कम समय में होता है।
Q8. “आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ” किस प्रकार के स्वर हैं?
उत्तर: दीर्घ स्वर।
पैटर्न: सामान्य हिन्दी – सभी परीक्षाएँ व्याख्या: ह्रस्व की अपेक्षा अधिक समय लेकर बोले जाते हैं।
Q9. “ि” मात्रा किस स्वर का संकेत देती है और व्यंजन के किस ओर लिखी जाती है?
उत्तर: “इ” स्वर की मात्रा; व्यंजन के पहले लिखी जाती है (कि, पि)।
पैटर्न: UP Police, UPSSSC व्याख्या: यह मात्रा पहचान का सर्वाधिक पूछा जाने वाला नियम है।
Q10. “ी” मात्रा किस स्वर का संकेत देती है और व्यंजन के किस ओर लिखी जाती है?
उत्तर: “ई” स्वर की मात्रा; व्यंजन के बाद लिखी जाती है (की, पी)।
पैटर्न: TET, Super TET व्याख्या: यदि “ि” और “ी” का स्थान बदल जाए तो शब्द और अर्थ दोनों बदल सकते हैं।
Q11. “कु” और “कू” में मात्रा–अंतर क्या है?
उत्तर: “कु” में छोटी उ की मात्रा (ु), “कू” में बड़ी ऊ की मात्रा (ू) प्रयोग होती है।
पैटर्न: सामान्य वस्तुनिष्ठ प्रश्न व्याख्या: दोनों मात्राएँ व्यंजन के नीचे बनती हैं, पर लम्बाई में अंतर होता है।
Q12. “विद्यालय” शब्द की सही वर्तनी के बारे में कौन–सा कथन ठीक है?
विश्लेषण: सही रूप “विद्यालय” है; “विधालय” या “बिद्यालय” मात्रा और व्यंजन–लेखन की दृष्टि से अशुद्ध हैं।
पैटर्न: UPSSSC PET, VDO व्याख्या: यह शब्द “विद्या” + “आलय” से बना है; अतः “द्या” और “आलय” दोनों की दीर्घ मात्राएँ सही होंगी।
Q13. “सूचना” शब्द में कौन–कौन–सी मात्राएँ प्रयुक्त हुई हैं?
उत्तर: “ऊ” की मात्रा (सू) और “आ” की मात्रा (ना) – सू + च + ना।
पैटर्न: पुलिस, क्लर्क, शिक्षक भर्ती व्याख्या: “सू” में ऊ की दीर्घ मात्रा; “ना” में आ की मात्रा लिखी जाती है।
Q14. “फूल” शब्द में कौन–सा स्वर और कौन–सी मात्रा प्रयुक्त है?
उत्तर: “ऊ” स्वर की मात्रा “ू” – फ + ऊ + ल = फूल।
पैटर्न: UP Police, UPSSSC व्याख्या: यदि “ु” लगाया जाए तो “फुल” बन जाएगा, जो मानक रूप नहीं है।
Q15. निम्न में से कौन–सा समूह केवल स्वरों का है? (क) अ, क, इ (ख) आ, ई, उ (ग) क, ख, ग (घ) श, ष, स
सही उत्तर: (ख) आ, ई, उ – तीनों स्वर।
पैटर्न: PET, Police, Gram Panchayat Adhikari व्याख्या: अन्य विकल्पों में व्यंजन मिले हुए हैं।
Q16. निम्न में से कौन–सा समूह केवल व्यंजनों का है? (क) क, ख, ग (ख) अ, क, ग (ग) उ, ऊ, ए (घ) आ, क, म
सही उत्तर: (क) क, ख, ग – तीनों व्यंजन।
पैटर्न: सामान्य एकदिवसीय परीक्षा व्याख्या: अन्य सभी विकल्पों में कम से कम एक स्वर मौजूद है।
Q17. “अ” स्वर के लिए अलग से मात्रा क्यों नहीं होती?
व्याख्या: व्यंजन स्वयं “अ” स्वर के साथ निहित माने जाते हैं (क = क + अ), इसलिए “अ” के लिए अलग मात्रा का प्रयोग नहीं किया जाता।
पैटर्न: गहन व्याकरण – TGT/PGT
Q18. “स्वर” और “व्यंजन” के संबंध में कौन–सा कथन परीक्षोपयोगी सार के रूप में लिखा जा सकता है?
मॉडल पंक्ति: “स्वर भाषा की मूल ध्वनियाँ हैं, जिनके सहारे व्यंजन स्पष्ट रूप से उच्चरित होकर शब्द और वाक्य के निर्माण में भाग लेते हैं।”
पैटर्न: वर्णनात्मक उत्तर – RO/ARO, मुख्य परीक्षा
Q19. “मात्रा” की संक्षिप्त परिभाषा लिखिए। (वस्तुनिष्ठ हेतु)
एक पंक्ति उत्तर: “स्वरों के वे चिह्न जो व्यंजनों के साथ जुड़कर उनकी ध्वनि में परिवर्तन करें, मात्रा कहलाते हैं।”
पैटर्न: सभी प्रतियोगी परीक्षाएँ – परिभाषा–आधारित प्रश्न
Q20. एक पंक्ति में – “स्वर, व्यंजन एवं मात्रा” अध्याय का परीक्षोन्मुख सार क्या होगा?
Noble Exam City सार पंक्ति:
“स्वर, व्यंजन और मात्रा की स्पष्ट समझ ही शुद्ध उच्चारण, शुद्ध लेखन और सामान्य हिन्दी के अधिकांश वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की कुंजी है; इन्हें जितना मजबूत करोगे, उतने ही निश्चित अंक बनेंगे।”
उपयोग: RO/ARO, लेख, लघु–उत्तरीय प्रश्नों में निष्कर्ष के रूप में।
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