बहलोल – सिकन्दर – इब्राहीम लोधी से 1526 के युद्ध तक (UPSC/PCS/RO-ARO/UPSSSC/Police)
लोधी वंश एवं पानीपत का प्रथम युद्ध – समग्र परिप्रेक्ष्य
लोधी वंश दिल्ली सल्तनत का अंतिम अफ़गान वंश था। बहलोल लोधी से शुरू होकर इब्राहीम लोधी और बाबर के बीच हुए पानीपत के प्रथम युद्ध (1526) तक की प्रक्रिया को समझना UPSC, PCS, RO/ARO, UPSSSC व Police परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
नीचे दिए गए कार्ड्स में हमने पूरे घटनाक्रम को Chronological + Topic-wise बाँटा है, ताकि हर टॉपिक एक नज़र में स्पष्ट हो सके।
सैय्यद वंश (1414–1451) कमजोर और संक्रमणकालीन वंश था। केंद्र की शक्ति घट चुकी थी, प्रांतीय सरदार (विशेषकर अफ़गान) वास्तविक राजनीतिक ताकत बन रहे थे। इसी पृष्ठभूमि में बहलोल लोधी, जो पहले पंजाब क्षेत्र का एक शक्तिशाली अफ़गान सरदार था, धीरे–धीरे दिल्ली की सत्ता पर क़ब्ज़ा करने की स्थिति में आया। अंतिम सैय्यद शासक आलम शाह ने 1451 ई. में स्वेच्छा से दिल्ली की गद्दी बहलोल लोधी को सौंप दी – यहीं से लोधी वंश शुरू होता है।
बहलोल लोधी अफ़गान सरदारों का प्रमुख नेता था। उसने दिल्ली की सत्ता संभालकर अफ़गान कुलीनतंत्र (Afghan Nobility) को आधार बनाया। उसका शासन सैन्य–आधारित, व्यावहारिक और समझौतावादी था। उसने जौनपुर जैसी प्रतिद्वंद्वी शक्तियों को पराजित कर पुनः कुछ क्षेत्रों पर दिल्ली का प्रभाव स्थापित किया। बहलोल ने अपने अफ़गान अनुयायियों को इक़्ता, जागीर, सरदारियाँ देकर वफादारी सुनिश्चित की और अफ़गान शासन की नींव मजबूत की।
बहलोल ने शास्त्रीय “सुल्तानी केंद्रीकरण” की जगह अफ़गान कबीलागत ढाँचे के अनुसार शासन चलाया। वह अमीरों के बीच सामंजस्य बनाकर चलता था, उन्हें सामूहिक निर्णय में शामिल करता था। युद्ध की बजाय वह अक्सर समझौता–नीति अपनाता, जिससे धीरे–धीरे उसके प्रभाव का विस्तार हुआ। जौनपुर सल्तनत को परास्त करना उसकी प्रमुख उपलब्धि थी, जिससे गंगा–घाटी में दिल्ली की प्रतिष्ठा कुछ हद तक बहाल हुई।
बहलोल के बाद उसका पुत्र सिकन्दर लोधी गद्दी पर बैठा, जिसे अक्सर लोधी वंश का सबसे सक्षम शासक माना जाता है। उसने दिल्ली सल्तनत का क्षेत्रीय विस्तार बढ़ाया, प्रशासनिक सुधार किए और राजस्व–व्यवस्था को मजबूत किया। आगरा को एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में विकसित किया, जो आगे चलकर मुगल काल में भी प्रमुख नगरी बनी रही।
सिकन्दर ने राजस्व–सुधार किए, कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए नाप–जोख, लगान निर्धारण और वसूली पर नियंत्रण रखा। उसने किसानों से सीधा संवाद स्थापित करने की कोशिश की, भ्रष्ट अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई भी की। उसने दिल्ली व आगरा को व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित किया, जिससे नगरीय अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार हुआ। परंतु धार्मिक मामलों में वह कुछ हद तक कट्टर माना जाता है।
सिकन्दर लोधी स्वयं फ़ारसी भाषा का ज्ञाता था, विद्वानों को संरक्षण देता था, कविता–साहित्य में रुचि रखता था। लेकिन धार्मिक दृष्टि से वह अपेक्षाकृत कठोर–सुन्नी मिज़ाज माना गया, कुछ हिन्दू मंदिरों को तोड़ने और कठोर धार्मिक आदेशों का उल्लेख मिलता है। यह नीति आगे चलकर हिन्दू–मुस्लिम संबंधों में तनाव का एक कारक बनी।
सिकन्दर लोधी की मृत्यु के बाद उसका पुत्र इब्राहीम लोधी गद्दी पर बैठा। इब्राहीम स्वभाव से कठोर, शंकालु और अत्यधिक केंद्रीकरण की ओर झुकाव रखने वाला शासक था। उसने पुराने अफ़गान सरदारों की शक्ति घटाने, नए लोगों को उभारने और सबको सख़्ती से नियंत्रित करने की कोशिश की, जिससे अफ़गान कुलीन वर्ग में भारी असंतोष फैल गया।
अफ़गान शासन की परंपरा में साझा निर्णय, कबीलाई सलाह और कुलीनों की भागीदारी महत्वपूर्ण मानी जाती थी। इब्राहीम ने इसके विपरीत अत्यधिक केंद्रीकरण अपनाया, कई वरिष्ठ अफ़गान सरदारों को अपमानित किया, कुछ को दंडित या हटाया भी। परिणामस्वरूप, अफ़गान अमीर उसके विरुद्ध षड्यंत्र रचने लगे और उनमें से कुछ ने बाहरी सहायता (बाबर) आमंत्रित करने की रणनीति अपनाई।
बाबर मूलतः फ़रग़ना (मध्य एशिया) का शासक था, जिसने बाद में काबुल पर अधिकार किया। मध्य एशिया में उज्बेक शक्ति के उभार के कारण बाबर का ध्यान उत्तर भारत की ओर गया। पंजाब और सिंध क्षेत्र में उसकी छोटी–छोटी चढ़ाइयाँ पहले हो चुकी थीं। इस समय भारत की आंतरिक कमजोरियाँ (विशेषकर लोधी शासन के भीतर) उसके लिए अवसर बन गईं।
इब्राहीम लोधी की कठोर नीतियों से नाराज़ कुछ अफ़गान अमीरों (जैसे दौलत ख़ाँ लोदी – पंजाब गवर्नर, और इब्राहीम के चचेरे भाई आलम खाँ) ने बाबर को आमंत्रित किया। दूसरी ओर, उत्तर भारत में राजपूत शक्ति के नेता राणा सांगा भी इब्राहीम की कमजोरी का लाभ उठाना चाहते थे। कई विवरणों के अनुसार राणा सांगा ने भी बाबर से संपर्क किया, ताकि वे मिलकर इब्राहीम को कमजोर कर सकें। इन आमंत्रणों और आंतरिक कलह ने बाबर के लिए हिंदुस्तान पर स्थायी विजय का मार्ग खोल दिया।
बाबर ने पानीपत के मैदान को चुना – जहाँ सामने से शत्रु की सेना लंबी पंक्ति में फैलेगी पर किनारों से उसे घेरा जा सकेगा। उसने तुर्की शैली की तोपख़ाना तकनीक (तोपें + मुस्कटधारी) अपनाई। उसने गाड़ियों को रस्सों और तख़्तों के साथ जोड़कर एक प्रकार की रक्षात्मक रेखा (Araba formation) बनाई, जिससे तोपों/बंदूकधारियों को कवर मिला और घुड़सवारों को किनारों से हमला करने का अवसर भी।
इब्राहीम लोधी लगभग 1,00,000 के आसपास सेना और सैकड़ों हाथियों के साथ आया माना जाता है (संख्याएँ विभिन्न स्रोतों में अलग–अलग हैं, परंतु बाबर से कई गुना अधिक)। लेकिन उसकी सेना पारंपरिक मध्यकालीन भारतीय अंदाज़ की थी – बड़ी संख्या, हाथी–केंद्रित युद्धशक्ति, बिना आधुनिक तोपख़ाने और बिना समन्वित रणनीति के। सैनिकों के बीच नेतृत्व का अभाव और उत्साह की कमी भी उल्लेखित है।
21 अप्रैल 1526 को पानीपत के मैदान में बाबर और इब्राहीम लोधी की सेना आमने–सामने हुई। बाबर की सेना संख्या में कम थी, पर सुव्यवस्थित, तोपख़ाने से लैस और तुर्की–मंगोल शैली की घुड़सवार रणनीति से युक्त थी। युद्ध की शुरुआत में बाबर ने तोपों से भारी गोलाबारी कर लोधी सेना की पंक्तियों में भय और अव्यवस्था फैला दी। तुग़लुमा (किनारों से घेराबंदी) के जरिये इब्राहीम की सेना चारों ओर से घिर गई और भारी संहार हुआ।
इस युद्ध में इब्राहीम लोधी स्वयं भी मारा गया। उसकी विशाल सेना बिखर गई, हाथियों सहित भारी जनहानि हुई। बाबर की संख्या कम होने के बावजूद उसकी रणनीति, अनुशासन और तोपख़ाना निर्णायक सिद्ध हुए। इस युद्ध के साथ न केवल इब्राहीम लोधी का शासन समाप्त हुआ, बल्कि पूरी दिल्ली सल्तनत का भी अंत हो गया।
पानीपत के प्रथम युद्ध के प्रमुख ऐतिहासिक परिणाम –
• दिल्ली सल्तनत (विशेषकर अफ़गान शासन) का अंत।
• भारत में मुगल साम्राज्य की नींव पड़ी।
• युद्ध–कौशल में तोपख़ाने और बारूद–आधारित हथियारों की निर्णायक भूमिका स्थापित हुई।
• अफ़गान सामूहिक नेतृत्व की परंपरा टूट कर
एक नए प्रकार के केंद्रीकृत साम्राज्य का मार्ग प्रशस्त हुआ।
• आगे चलकर अकबर आदि के समय में भारत की राजनीति
और भी अधिक व्यापक–समावेशी रूप में विकसित होती है।
परीक्षा दृष्टि से महत्वपूर्ण विश्लेषण –
• आंतरिक विभाजन – अफ़गान अमीरों में एकता का अभाव।
• इब्राहीम की केंद्रीकृत परंतु अलोकप्रिय नीति।
• आधुनिक तोपख़ाने व समन्वित युद्ध–रणनीति की कमी।
• बाबर की योजना–बद्ध तैयारी, मैदान का सही चयन और तुर्की–मंगोल सैन्य परंपरा।
• बाहरी आक्रमण का विरोध करने के बजाय
कुछ भारतीय शक्तियों द्वारा स्वयं बाबर को आमंत्रित करना।
इन सभी कारणों ने मिलकर लोधी शासन और दिल्ली सल्तनत को
इतिहास के पन्नों में समेट दिया।
- 1451 – बहलोल लोधी सत्ता में।
- 1489–1517 – सिकन्दर लोधी।
- 1517–1526 – इब्राहीम लोधी।
- 21 अप्रैल 1526 – पानीपत का प्रथम युद्ध।
- सैय्यद आलम शाह से शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता प्राप्त।
- अफगान सरदारों की सामूहिक शक्ति पर आधारित शासन।
- जौनपुर सल्तनत पर विजय – प्रतिष्ठा में वृद्धि।
- कठोर केंद्रीकरण नहीं, बल्कि समझौता–नीति।
- लोधी शक्ति का उच्चतम बिंदु।
- आगरा को विकसित नगर बनाना।
- कृषि–राजस्व सुधार, नाप–जोख पर आधारित लगान।
- जौनपुर को स्थायी रूप से सम्मिलित किया।
- कठोर, शंकालु, अत्यधिक केंद्रीकरण–वादी।
- पुराने अफगान सरदारों का अपमान – विद्रोह की जड़।
- दौलत खाँ लोधी, आलम खाँ आदि उससे असंतुष्ट।
- अंदरूनी एकता के अभाव में बाहरी आक्रमण सफल हुआ।
- दौलत खाँ लोधी (पंजाब गवर्नर) – इब्राहीम से असंतुष्ट।
- आलम खाँ – इब्राहीम का चाचा, गद्दी का दावेदार।
- आंतरिक सत्ता संघर्ष ने बाहरी शक्ति को बुलाया।
- राजपूत–नेता राणा सांगा भी परिस्थितियों का लाभ चाहते थे।
- तुर्की शैली का तोपख़ाना और बंदूकधारी।
- “अरेबा” फॉर्मेशन – गाड़ियाँ जोड़कर मोर्चा।
- तुग़लुमा रणकौशल – किनारों से घेराबंदी।
- कम सेना, पर उच्च अनुशासन व तकनीक।
- संख्या अधिक, पर अनुशासन व नेतृत्व का अभाव।
- हाथी–केंद्रित पारंपरिक युद्ध शैली।
- तोपख़ाने व आधुनिक रणनीति का अभाव।
- अफगान सरदार मन से इब्राहीम के साथ नहीं थे।
- तारीख – 21 अप्रैल 1526, स्थान – पानीपत (हरियाणा)।
- बाबर vs इब्राहीम लोधी।
- तोपों की आवाज़ से हाथियों में भगदड़।
- इब्राहीम युद्धक्षेत्र में मारा गया।
- दिल्ली सल्तनत का अंत।
- भारत में मुगल शासन की नींव।
- तोपख़ाने आधारित युद्ध की शुरुआत।
- अफगान सामूहिक नेतृत्व की परंपरा समाप्त।
- बहलोल–सिकन्दर–इब्राहीम का क्रम व वर्ष याद रखें।
- “किसने बाबर को बुलाया?” पर कई बार प्रश्न बन चुका है।
- तोपख़ाने + तुग़लुमा + अरेबा = Babur की जीत की कुंजी।
- “क्यों हारा इब्राहीम?” को 5–6 बिंदुओं में बार–बार दोहराएँ।
Q1. दिल्ली सल्तनत का अंतिम अफगान वंश कौन–सा था? 👁️
व्याख्या: तुगलक के बाद सैय्यद और फिर लोधी अफगान वंश सत्ता में आए। लोधी अंतिम अफगान शासक वंश था, जिसके बाद मुगल शासन प्रारंभ हुआ।
Q2. लोधी वंश की स्थापना किसने की? 👁️
व्याख्या: सैय्यद वंश के अंतिम शासक आलमशाह ने 1451 में दिल्ली की गद्दी बहलोल लोधी को सौंप दी, जिससे लोधी वंश की औपचारिक स्थापना हुई।
Q3. बहलोल लोधी ने किस राज्य को पराजित कर अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाई? 👁️
व्याख्या: जौनपुर पर नियंत्रण से गंगा–घाटी में दिल्ली की शक्ति बढ़ी और बहलोल की सैन्य–प्रतिष्ठा पूरे उत्तर भारत में स्वीकार की गई।
Q4. लोधी वंश का सर्वाधिक सक्षम शासक किसे माना जाता है? 👁️
व्याख्या: सिकन्दर लोधी ने प्रशासन, वित्त और क्षेत्रीय विस्तार के स्तर पर लोधी शासन को सर्वाधिक मजबूती दी, इसलिए उसे सबसे सक्षम लोधी शासक माना जाता है।
Q5. किस लोधी शासक ने आगरा नगर को विकसित किया? 👁️
व्याख्या: सिकन्दर लोधी ने प्रशासनिक व सामरिक दृष्टि से आगरा को महत्वपूर्ण केंद्र बनाया, जो बाद में मुगल काल में भी राजधानी के रूप में उभरा।
Q6. दिल्ली सल्तनत का अंतिम शासक कौन था? 👁️
व्याख्या: इब्राहीम लोधी 1517–1526 तक दिल्ली के सिंहासन पर रहा और 1526 के पानीपत युद्ध में बाबर के हाथों पराजित होकर मारा गया। इसके साथ ही सल्तनत का अंत हुआ।
Q7. इब्राहीम लोधी की प्रमुख प्रशासनिक कमजोरी क्या थी? 👁️
व्याख्या: इब्राहीम ने पारंपरिक अफगान कुलीन–व्यवस्था को नज़रअंदाज कर कठोर केंद्रीकरण अपनाया, जिससे शक्तिशाली सरदार उसके विरुद्ध हो गए और बाहरी आक्रमण के समय एकजुट नहीं रहे।
Q8. किसने बाबर को भारत पर आक्रमण के लिए आमंत्रित किया था? 👁️
व्याख्या: पंजाब के गवर्नर दाऊलत खाँ लोधी तथा इब्राहीम के चाचा आलम खाँ ने अपने स्वार्थ व असंतोष के कारण बाबर को आमंत्रण भेजा, जो आगे चलकर सल्तनत के अंत का कारण बना।
Q9. पानीपत के प्रथम युद्ध की तिथि क्या थी? 👁️
व्याख्या: यही वह तिथि है जब बाबर और इब्राहीम लोधी के बीच निर्णायक युद्ध हुआ और भारतीय इतिहास में एक नए युग (मुगल काल) की शुरुआत हुई।
Q10. पानीपत का प्रथम युद्ध किन दो शासकों के बीच लड़ा गया? 👁️
व्याख्या: मध्य एशिया से आए बाबर और दिल्ली के सुल्तान इब्राहीम लोधी के बीच हुआ यह युद्ध दो शासकीय परंपराओं – अफगान और मुगल – के बीच टकराव का प्रतीक था।
Q11. पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर की विजय का मुख्य कारण क्या था? 👁️
व्याख्या: बाबर ने तोपों व बंदूकों के साथ तुर्की रणकौशल (तुग़लुमा, अरेबा फॉर्मेशन) अपनाया, जबकि इब्राहीम की सेना पारंपरिक हाथी–केंद्रित रही, जो तकनीकी तौर पर पिछड़ी हुई थी।
Q12. “तुग़लुमा” शब्द किससे संबंधित है? 👁️
व्याख्या: बाबर ने तुर्की–मंगोल शैली के अंतर्गत तुग़लुमा अपनाया, जिसमें दो पंखों से शत्रु को घेरकर बीच के भाग पर दबाव बनाया जाता है।
Q13. बाबर ने पानीपत में किस प्रकार की रक्षात्मक व्यवस्था बनाई थी? 👁️
व्याख्या: बाबर ने गाड़ियों को रस्सियों व तख्तों से जोड़कर मोर्चा बनाया, जिसके पीछे तोपें व बंदूकधारी सुरक्षित रहकर गोलाबारी कर सके।
Q14. इब्राहीम लोधी की सेना की प्रमुख कमजोरी क्या मानी जाती है? 👁️
व्याख्या: भारी संख्या होने के बावजूद इब्राहीम की सेना में आधुनिक हथियार, समन्वित नेतृत्व व युद्ध–रणनीति का अभाव था, जो तोपों से लैस बाबर के सामने कमजोर सिद्ध हुआ।
Q15. पानीपत के प्रथम युद्ध के बाद दिल्ली की गद्दी पर किसका अधिकार हुआ? 👁️
व्याख्या: इब्राहीम की मृत्यु के बाद बाबर ने दिल्ली–आगरा पर अधिकार स्थापित कर मुगल सत्ता की औपचारिक शुरुआत की।
Q16. बहलोल लोधी किस समुदाय/समूह से संबंधित था? 👁️
व्याख्या: लोधी वंश अफगान मूल का था और बहलोल अफगान सरदारों का नेता बनकर ही दिल्ली की सत्ता तक पहुँचा।
Q17. किस लोधी शासक के समय आगरा का विकास हुआ? 👁️
व्याख्या: आगरा को रणनीतिक व प्रशासनिक दृष्टि से सिकन्दर ने विकसित किया, जिससे आगे यह मुगल काल की मुख्य राजधानी बना।
Q18. इब्राहीम लोधी की मृत्यु कहाँ हुई? 👁️
व्याख्या: इब्राहीम लोधी युद्धक्षेत्र में लड़ते–लड़ते मारा गया, जो मध्यकालीन भारतीय इतिहास में एक प्रतीकात्मक घटना मानी जाती है।
Q19. पानीपत के प्रथम युद्ध के बाद कौन–सा नया राजवंश स्थापित हुआ? 👁️
व्याख्या: बाबर की विजय के साथ भारत में मुगल काल की शुरुआत मानी जाती है, जो आगे अकबर, जहांगीर, शाहजहाँ आदि के समय अपने चरम पर पहुँचा।
Q20. भारत में तोपख़ाने पर आधारित युद्ध–पद्धति का वास्तविक आरंभ किस युद्ध से माना जाता है? 👁️
व्याख्या: यद्यपि बारूद पहले भी आया था, पर संगठित तोपख़ाना और उसकी निर्णायक भूमिका पहली बार बाबर ने पानीपत में दिखाई।
Q21. बहलोल लोधी की शासन–शैली की विशेषता क्या थी? 👁️
व्याख्या: बहलोल ने कठोर केंद्रीकरण की जगह अफगान कबीलागत परंपरा पर चलकर अमीरों को साथ लेकर शासन किया, जिससे विद्रोह कम हुए।
Q22. किसे लोधी वंश की “कमजोर कड़ी” माना जाता है? 👁️
व्याख्या: इब्राहीम के कठोर स्वभाव, अफगान सरदारों से टकराव और रणनीतिक दूरदर्शिता की कमी को उसकी सबसे बड़ी कमजोरी माना गया।
Q23. बाबर के संस्मरण “तुज़ुक–ए–बाबरी” में पानीपत के युद्ध को कैसा बताया गया है? 👁️
व्याख्या: बाबर ने अपनी आत्मकथा में संख्या की कमी पर ज़ोर देते हुए तोपख़ाने और अनुशासन को विजय का मूल कारण बताया है।
Q24. इब्राहीम लोधी किन कारणों से अपने अफगान सरदारों में अलोकप्रिय हुआ? 👁️
व्याख्या: इब्राहीम ने कई प्रभावशाली सरदारों को अपमानित किया, पद हटाए और उनकी जगह नए लोगों को लाने की कोशिश की, जिससे पुरानी अफगान जमात उसके विरुद्ध हो गई।
Q25. पानीपत के प्रथम युद्ध का स्थान आज किस राज्य में पड़ता है? 👁️
व्याख्या: पानीपत वर्तमान हरियाणा में स्थित है और तीनों प्रसिद्ध पानीपत युद्धों का ऐतिहासिक स्थल रहा है।
Q26. किसे “मध्यकालीन भारत का Turning Point” कहा जाता है? 👁️
व्याख्या: इस युद्ध से सल्तनत का अंत व मुगल काल की शुरुआत, बारूद–आधारित युद्ध और नई प्रशासनिक परंपरा का मार्ग प्रशस्त हुआ, इसलिए इसे Turning Point कहा जाता है।
Q27. बहलोल लोधी ने किस प्रकार के शासन–मॉडल पर अधिक भरोसा किया? 👁️
व्याख्या: बहलोल अफगान सरदारों की सलाह व सहमति से शासन चलाता था, जो अफगान समाज की पारंपरिक प्रणाली के अनुकूल था।
Q28. कौन–सा लक्षण इब्राहीम लोधी की शासन–शैली का हिस्सा नहीं था? 👁️
व्याख्या: उसके शासन में सामंजस्य की जगह टकराव था। इसलिए “सामंजस्यपूर्ण संबंध” उसके शासन की विशेषता नहीं, बल्कि बहलोल के काल की विशेषता कही जा सकती है।
Q29. सिकन्दर लोधी की धार्मिक नीति कैसी मानी जाती है? 👁️
व्याख्या: सिकन्दर ने कुछ धार्मिक मामलों में कठोरता दिखाई, मंदिरों के ध्वंस व धार्मिक आदेशों का उल्लेख मिलता है, जिससे उसे कट्टर माना जाता है।
Q30. बाबर के लिए भारत पर स्थायी अधिकार की प्रेरणा किससे मिली? 👁️
व्याख्या: उज्बेकों के दबाव से फ़रग़ना–क्षेत्र अस्थिर हो गया था, जबकि भारत की उपजाऊ भूमि, धनी नगर व आंतरिक कमजोरी ने बाबर के लिए स्थायी अधिकार का अवसर बना दिया।
Q31. लोधी वंश की राजधानी कहाँ थी? 👁️
व्याख्या: अन्य सल्तनत वंशों की तरह लोधी वंश की औपचारिक राजधानी भी दिल्ली ही रही, यद्यपि आगरा का महत्व बढ़ा दिया गया था।
Q32. किसने कहा कि “इब्राहीम के शासन में अफगान सरदार स्वयं को असुरक्षित महसूस करने लगे” (सार रूप में)? 👁️
व्याख्या: विभिन्न इतिहासकारों ने इब्राहीम की नीतियों को अफगान सरदारों के लिए असुरक्षित बताया है, जिससे उन्होंने बाहरी सहायता की राह पकड़ी।
Q33. पानीपत का प्रथम युद्ध मुख्यतः किस प्रकार का संघर्ष था? 👁️
व्याख्या: इब्राहीम की पारंपरिक हाथी–घुड़सवार सेना और बाबर की तोप–व बंदूक–समर्थ सेना के बीच यह तकनीकी टकराव भी था।
Q34. कौन–सा कथन गलत है? (प्रश्न–शैली) 👁️
व्याख्या: यह कथन गलत है, क्योंकि इब्राहीम ने सिकन्दर की मृत्यु के बाद स्वतः गद्दी पाई; बाबर तो बाद में उसका प्रतिद्वंद्वी बना।
Q35. बहलोल, सिकन्दर और इब्राहीम – तीनों किस वंश से संबंधित हैं? 👁️
व्याख्या: सभी तीनों शासक लोधी वंश के प्रमुख शासक के रूप में जाने जाते हैं और इनका शासन 1451 से 1526 के बीच रहा।
Q36. पानीपत का प्रथम युद्ध भारतीय राजनीति के लिए क्यों ऐतिहासिक है? (संक्षिप्त कारण) 👁️
व्याख्या: इससे शासकीय ढाँचा, सैन्य संगठन और केंद्र–प्रांत संबंध तक सब बदल गए, जो दीर्घकालीन प्रभाव का कारण बना।
Q37. किस युद्ध ने अफगान नेतृत्व की सामूहिक परंपरा को निर्णायक रूप से तोड़ दिया? 👁️
व्याख्या: अफगान सरदारों की एकता टूट गई और मुगल साम्राज्य ने केंद्रीकृत शाही सत्ता का नया मॉडल स्थापित किया।
Q38. सिकन्दर लोधी ने राजस्व–प्रशासन में कौन–सा सुधार किया था? (संक्षेप में) 👁️
व्याख्या: इससे राजस्व–वसूली में स्थिरता आई और राज्य–कोष मजबूत हुआ, यद्यपि किसानों पर भार का प्रश्न बहस का विषय है।
Q39. बाबर ने पानीपत के युद्ध–स्थल के रूप में कौन–सा क्षेत्र चुना और क्यों? 👁️
व्याख्या: खुले मैदान, सीमित रास्तों व अपनी तोपख़ाने–व्यवस्था के अनुसार उसने पानीपत को रणनीतिक दृष्टि से उपयुक्त माना।
Q40. संक्षेप में लिखिए – “इब्राहीम की हार केवल बाहरी कारणों से नहीं, आंतरिक कारणों से भी हुई।” – इस कथन का आशय क्या है? (Objective Style) 👁️
व्याख्या: यदि अफगान सरदार एकजुट होते, तो बाहरी आक्रमण का सामना संभव था; इसलिए आंतरिक विघटन निर्णायक कारक माना जाता है।
