सल्तनत काल का प्रशासन व राजस्व व्यवस्था नोट्स | इक्ता प्रणाली, दीवान, सेना व न्याय व्यवस्था (UPSC, State PCS, RO/ARO, UPSSSC, Police, All Exams)

सल्तनत काल का प्रशासन व राजस्व व्यवस्था नोट्स | इक्ता प्रणाली, दीवान, सेना व न्याय व्यवस्था (UPSC, State PCS, RO/ARO, UPSSSC, Police, All Exams)

0
🇮🇳 Noble Exam City
भारत की नम्बर 1 स्टडी मटेरियल वेबसाइट – स्मार्ट तैयारी, पक्का चयन
अध्याय 2 : दिल्ली सल्तनत – स्थापना व विस्तार
6️⃣ सल्तनत काल का प्रशासन व राजस्व व्यवस्था – इक्ता प्रणाली, केंद्रीय व प्रांतीय प्रशासन, सेना व न्याय व्यवस्था
🏛️ इक्ता प्रणाली, दीवान, सुल्तान, प्रांतीय प्रशासन, सेना, न्याय, राजस्व 📝 UPSC, State PCS, RO/ARO, UPSSSC, Police व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु
🏰 मध्यकालीन भारत दिल्ली सल्तनत सल्तनत काल का प्रशासन व राजस्व व्यवस्था
📘 भाग – 1 : विस्तृत स्टडी नोट्स – सल्तनत काल का प्रशासन व राजस्व व्यवस्था
गहन अध्ययन – प्री + मेंस दोनों हेतु
🎯 कीवर्ड: सल्तनत काल का प्रशासन, इक्ता प्रणाली, दिल्ली सल्तनत राजस्व व्यवस्था, केंद्रीय व प्रांतीय प्रशासन, सेना व्यवस्था, न्याय व्यवस्था, Medieval India Notes.

📜 1. परिचय – दिल्ली सल्तनत का प्रशासनिक ढाँचा

दिल्ली सल्तनत का शासन–तंत्र तुर्क–इस्लामी परंपरा और भारतीय परिस्थितियों का मिश्रण था। केंद्र में सुल्तान, उसके नीचे विभिन्न दीवान, प्रांतों में इक्ता/मुख़्ती और गाँव स्तर पर स्थानीय अधिकारी – मिलकर एक जटिल प्रशासनिक संरचना बनाते थे।
  • मुख्य स्तर – केंद्रीय प्रशासन, प्रांतीय प्रशासन, सेना व्यवस्था, न्याय व्यवस्था, राजस्व व्यवस्था (इक्ता प्रणाली सहित)
  • सल्तनत का उद्देश्य – केंद्र की शक्ति बनाए रखना, राजस्व प्राप्त करना, सेना और न्याय व्यवस्था को नियंत्रित रखना
🧠
एग्ज़ाम टिप: “सल्तनत प्रशासन” से प्रश्न आते समय अक्सर इक्ता, दीवान, सुल्तान की शक्ति, जज़िया, खराज जैसे शब्द विकल्पों में रहते हैं – इनका अर्थ साफ़–साफ़ याद रखें।

🏛️ 2. केंद्रीय प्रशासन – सुल्तान और उसके प्रमुख दीवान

👑 2.1 सुल्तान की भूमिका
  • सुल्तान को सर्वोच्च शासक माना जाता था – शासन, सेना, न्याय व राजस्व पर अंतिम अधिकार।
  • सुल्तान को “परछाईं–ए–ख़ुदा” जैसे विचारों के माध्यम से धार्मिक वैधता दी जाती थी (कुछ सुल्तान ऐसा दावा करते थे)।
  • महत्वपूर्ण नियुक्तियाँ, युद्ध, संधि, कर नीति आदि सभी बड़े निर्णय सुल्तान के हाथ में।
🏢 2.2 दीवान व केंद्रीय विभाग
  • दीवान–ए–वज़ारत (वित्त/राजस्व) – राज्य की आमदनी–खर्च का प्रमुख अधिकारी (वज़ीर)।
  • दीवान–ए–अर्ज – सेना व सैनिक व्यवस्था देखने वाला विभाग (घोड़े, हथियार, तनख़्वाह)।
  • दीवान–ए–रसालत – विदेश–संबंध व संधियाँ, पत्राचार आदि।
  • दीवान–ए–इंशा – रिकॉर्ड, शाही फ़रमान, लेखन–कार्य, दफ्तरी व्यवस्था।
📌
एग्ज़ाम टिप: “दीवान–ए–अर्ज किससे संबंधित है?” – लगभग हर परीक्षा में पूछा गया Concept – उत्तर: सेना व्यवस्था (घोड़ा, सैनिक, भर्ती, समीक्षा)।

💰 3. इक्ता प्रणाली (Iqtadari System) व राजस्व व्यवस्था

इक्ता – भूमि के एक क्षेत्र को कहा जाता था, जिसे किसी अधिकारी/सैनिक को वेतन–स्वरूप दिया जाता था। इक्तादार उस क्षेत्र से कर वसूल करता, बदले में वह सैनिक उपलब्ध कराना व शांति बनाए रखना उसकी जिम्मेदारी होती।
📍 3.1 इक्ता की मुख्य विशेषताएँ
  • इक्ता निजी संपत्ति नहीं थी; इसे सुल्तान कभी भी बदल सकता था।
  • इक्तादार को भूमि बेचने–गिरवी रखने का अधिकार नहीं, केवल कर वसूली व प्रशासन का अधिकार।
  • इक्तादार का काम –
    • क) कर वसूल कर केंद्र को निर्धारित भाग भेजना
    • ख) शेष राशि से सेना व प्रशासन चलाना
    • ग) कानून–व्यवस्था बनाए रखना
💹 3.2 मुख्य कर व राजस्व के प्रकार
  • खराज – कृषि भूमि पर कर।
  • उशर – मुस्लिम किसानों से उपज का एक हिस्सा (धार्मिक कर)।
  • जज़िया – ग़ैर–मुसलमानों (मुख्यतः वयस्क पुरुष) पर लगाया जाने वाला कर।
  • खुम्स/ख़म्स – युद्ध–लूट (ग़नीमत) का पाँचवाँ हिस्सा, जो राज्य के लिए आरक्षित।
🧠
एग्ज़ाम टिप: MCQ में “इक्ता” को अक्सर “स्थायी ज़मींदारी” या “निजी स्वामित्व” के रूप में दिखाकर भ्रम फैलाया जाता है – हमेशा याद रखें: इक्ता राज्य–स्वामित्व भूमि का अस्थायी प्रशासनिक बँटवारा था।

🗺️ 4. प्रांतीय प्रशासन – सूबों और इक्ताओं का ढाँचा

  • सल्तनत को बड़े–बड़े प्रांत/सूबों में बाँटा गया, जिन पर शाही प्रतिनिधि (अक्सर अमीर या सरदार) नियुक्त किए जाते थे।
  • प्रांतों के भीतर छोटे प्रशासनिक इकाई – इक्ता, जिन्हें इक्तादार/मुख़्ती संभालते थे।
  • कई क्षेत्रों में क़ाज़ी (न्याय अधिकारी), शहना (कानून–व्यवस्था अधिकारी), अमील (कर–अधिकारी) आदि पद होते थे।
🏘️ 4.1 स्थानीय स्तर
  • गाँव स्तर पर मुखिया / खोत / चौधरी जैसे स्थानीय मुखिया कर–वसूली व व्यवस्था में मदद करते थे।
  • कई जगह पुरानी भारतीय पंचायत–परंपरा भी सल्तनत के साथ मिश्रित रूप में चलती रही।
⚖️ 4.2 नियंत्रण
  • केंद्र समय–समय पर इक्तादारों को बदलकर विद्रोह की संभावना घटाने की कोशिश करता था।
  • कभी–कभी प्रांतीय शासक इतने शक्तिशाली हो जाते कि केंद्र की चुनौती बन जाते – यही आगे चलकर सल्तनत के विघटन का कारण भी बना।

⚔️ 5. सेना व्यवस्था – दीवान–ए–अर्ज व सैन्य ढाँचा

  • सेना व्यवस्था की देख–रेख दीवान–ए–अर्ज द्वारा की जाती थी।
  • सैनिकों की संख्या, घोड़ों की गुणवत्ता, हथियार, तलब (वेतन) आदि का रिकॉर्ड रखा जाता था।
  • कई शासकों ने घोड़ों की दाग–मुहर (हुलिया व दाग प्रणाली) जैसी व्यवस्था अपनाई, ताकि नकली सैनिक–घोड़े दिखाकर वेतन न लिया जा सके।
  • इक्तादारों के पास भी अपनी–अपनी क्षेत्रीय सेना होती थी, जो युद्ध के समय सुल्तान की सेना में शामिल होती।
🧠
एग्ज़ाम टिप: “दीवान–ए–अर्ज, दाग–मुहर, घोड़े की जाँच” – ये शब्द मिलते ही तुरंत सेना व्यवस्था याद करें, विकल्प में अन्य विभाग दिए रहें तो आसानी से eliminate हो जाते हैं।

⚖️ 6. न्याय व्यवस्था – क़ाज़ी, शरिया व स्थानीय न्याय

सल्तनत काल की न्याय–व्यवस्था मुख्यतः इस्लामी कानून (शरीयत) पर आधारित थी, लेकिन भारतीय समाज की विविधता के कारण कई जगह रिवाज, प्रथा व स्थानीय कानून भी साथ–साथ चलते रहे।
  • क़ाज़ी–उल–क़ुज़ात – सर्वोच्च क़ाज़ी, जो दिल्ली में उच्च स्तर का धार्मिक–न्याय देखता था।
  • प्रांत व नगर स्तर पर भी क़ाज़ी नियुक्त होते, जो दीवानी (सिविल) व वैवाहिक मामलों आदि पर निर्णय देते।
  • फ़ौजदारी (अपराध) मामलों में कुछ मामलों में शरई कानून, कुछ में राजकीय आदेश (जुल्म–सज़ाएँ) लागू होते।
  • गाँव स्तर पर कई बार पंचायत–आधारित निर्णय भी मान्य रहते, ख़ासकर हिंदू समाज से जुड़े विवादों में।

⚠️ 7. प्रशासन की चुनौतियाँ व सीमाएँ

  • विस्तृत साम्राज्य, भौगोलिक विविधता, भाषाई–धार्मिक भिन्नता – प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती।
  • इक्ता प्रणाली में अक्सर इक्तादार अपने क्षेत्र में छोटे–छोटे “राजा” जैसा व्यवहार करने लगते थे।
  • केंद्र द्वारा बार–बार इक्ता बदलने पर विद्रोह, और स्थिरता देने पर केंद्र कमजोर – दोनों के बीच संतुलन बनाना कठिन।
  • भ्रष्टाचार, कर–अत्याचार, सेना के बढ़ते खर्च और राजनीतिक षड्यंत्र – सल्तनत की दीर्घकालिक कमजोरी के कारण बने।
निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि सल्तनत काल का प्रशासन केंद्रित, परन्तु इक्ता–आधारित स्थानीय ढाँचे पर टिका था। राजस्व–व्यवस्था का केंद्र खराज, जज़िया, इक्ता प्रणाली और प्रशासन का केंद्र सुल्तान–दीवान–इक्तादार की त्रिकोणीय संरचना थी।
🧠
Mains सार वाक्य:
“दिल्ली सल्तनत का प्रशासन सुल्तान–केंद्रित था, पर वास्तविक शासन इक्ता–प्रणाली और प्रांतीय अमीरों के सहयोग पर निर्भर था; यही इसकी शक्ति भी थी और दीर्घकालिक कमजोरी भी।”
सल्तनत काल का प्रशासन नोट्स इक्ता प्रणाली राजस्व व्यवस्था दिल्ली सल्तनत प्रशासन UPSC मध्यकालीन भारत महत्वपूर्ण प्रश्न
भाग – 2 : त्वरित पुनरावृत्ति – सल्तनत काल का प्रशासन (3–4 मिनट)
हिंदी क्विक रिवीज़न
UPSC, State PCS, RO/ARO, UPSSSC, Police व अन्य एकदिवसीय परीक्षाओं के लिए तेज़ पुनरावृत्ति।
1️⃣ मूल ढाँचा
  • केंद्र – सुल्तान + दीवान।
  • प्रांत – सूबा/इक्ता, इक्तादार/मुख़्ती।
  • गाँव – स्थानीय मुखिया, पंचायत की भूमिका।
2️⃣ प्रमुख दीवान
  • दीवान–ए–वज़ारत – वित्त/राजस्व।
  • दीवान–ए–अर्ज – सेना व्यवस्था।
  • दीवान–ए–रसालत – विदेश व पत्राचार।
  • दीवान–ए–इंशा – लेखन व अभिलेख।
3️⃣ इکتا प्रणाली
  • इक्ता – भूमि की प्रशासनिक इकाई।
  • इक्तादार – कर वसूल + सैनिक उपलब्ध कराना।
  • इक्ता – राज्य की, न कि निजी संपत्ति।
4️⃣ मुख्य कर
  • खराज – कृषि भूमि कर।
  • उशर – मुस्लिम किसानों पर धार्मिक कर।
  • जज़िया – ग़ैर–मुसलमानों पर कर।
  • खुम्स – युद्ध–लूट का पाँचवाँ हिस्सा।
5️⃣ सेना व न्याय
  • दीवान–ए–अर्ज – सेना व घोड़े की व्यवस्था।
  • क़ाज़ी–उल–क़ुज़ात – सर्वोच्च क़ाज़ी।
  • शरीयत + स्थानीय प्रथा – संयुक्त रूप से न्याय।
6️⃣ कमजोरी के बिंदु
  • प्रांतीय अमीरों की बढ़ती शक्ति।
  • भ्रष्टाचार व कर–अत्याचार।
  • केंद्र और इक्तादारों के बीच शक्ति–संघर्ष।
🧠
एग्ज़ाम टिप: अगर किसी प्रश्न में “इक्ता, जज़िया, खराज, दीवान–ए–अर्ज” शब्द एक साथ दिखें, तो यह स्पष्ट संकेत है कि प्रश्न सल्तनत काल की प्रशासनिक–राजस्व व्यवस्था से है।
सल्तनत प्रशासन क्विक रिवीजन इक्ता व राजस्व शॉर्ट नोट्स UPSC PCS मिडिवल इंडिया
भाग – 3 : PYQ व एक पंक्ति प्रश्न – सल्तनत काल का प्रशासन व राजस्व व्यवस्था
35+ महत्वपूर्ण प्रश्न
नीचे दिए गए प्रश्नों में एक पंक्ति + छोटा व्याख्या है, ताकि अवधारणा भी साफ रहे और तथ्य भी मज़बूत हों। ये प्रश्न UPSC, State PCS, RO/ARO, UPSSSC, Police आदि परीक्षाओं में बेहद उपयोगी हैं।
Q1. दिल्ली सल्तनत का सर्वोच्च शासक कौन माना जाता था? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: सुल्तान।
शासन, सेना, न्याय, राजस्व – सभी पर अंतिम अधिकार सुल्तान के पास होता था।
Q2. दीवान–ए–वज़ारत किस कार्य से संबंधित था? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: वित्त व राजस्व–व्यवस्था।
राज्य की आमदनी–खर्च, कर–संग्रह, खजाने की देख–रेख – सब वज़ीर के अधीन रहते थे।
Q3. दीवान–ए–अर्ज विभाग का कार्य क्या था? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: सेना व्यवस्था देखना।
सैनिक भर्ती, घोड़ों की जाँच, हथियार, तनख़्वाह आदि इसी विभाग द्वारा नियंत्रित होते थे।
Q4. “इक्ता” शब्द किसके लिए प्रयोग होता था – भूमि, सैनिक या महल? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: भूमि की प्रशासनिक इकाई के लिए।
इक्ता – वह क्षेत्र, जहाँ से इक्तादार कर वसूलता और बदले में शासन व सेना–सेवा देता था।
Q5. क्या इक्ता इक्तादार की निजी पैतृक संपत्ति होती थी? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: नहीं।
इक्ता राज्य की भूमि थी, जिसे सुल्तान कभी भी बदल सकता था; इक्तादार केवल अस्थायी प्रशासक और कर–संग्रहकर्ता होता था।
Q6. इक्तादार का मुख्य दायित्व क्या था? 👁️उत्तर देखें
संक्षिप्त उत्तर: कर–संग्रह, सैनिक उपलब्ध कराना, कानून–व्यवस्था बनाए रखना।
Q7. “खराज” किस प्रकार का कर था – कृषि भूमि पर या व्यापार पर? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: कृषि भूमि पर कर।
यह किसानों की उपज पर आधारित प्रमुख राजस्व स्रोत था।
Q8. “जज़िया” कर किस पर लगाया जाता था? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: ग़ैर–मुस्लिम प्रजा (मुख्यतः वयस्क पुरुष) पर।
Q9. युद्ध–लूट (ग़नीमत) के पाँचवें हिस्से को क्या कहा जाता था? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: खुम्स (या ख़म्स)।
यह हिस्सा राज्य के लिए आरक्षित रहता था, शेष सैनिकों में बाँटा जाता था।
Q10. केंद्रीय न्यायाधीश (Chief Qazi) को क्या कहा जाता था? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: क़ाज़ी–उल–क़ुज़ात।
Q11. दीवान–ए–रसालत विभाग का मुख्य कार्य क्या था? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: विदेश–संबंध, दूतावास, संधि व राजनयिक पत्राचार।
Q12. दीवान–ए–इंशा किससे संबंधित था – लेखन व अभिलेख या सेना? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: लेखन, फ़रमान और अभिलेख व्यवस्था से।
Q13. सल्तनत काल में “शहना” पद किस कार्य से जुड़ा था? 👁️उत्तर देखें
संक्षिप्त उत्तर: कानून–व्यवस्था और सैन्य नियंत्रण।
Q14. प्रांतीय स्तर पर कर वसूलने वाले अधिकारी को क्या कहा जाता था? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: अमील (या अमिल)।
Q15. क्या इक्ता प्रणाली स्थायी जमींदारी जैसी थी? 👁️उत्तर देखें
उत्तर (विश्लेषण): नहीं, इक्ता अस्थायी और राज्य–नियंत्रित प्रणाली थी; जमींदारी आगे चलकर भिन्न रूप में विकसित हुई।
Q16. क्या सुल्तान इक्तादारों को बार–बार बदलता था या जीवन भर के लिए नियुक्त करता था? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: सामान्यतः समय–समय पर बदलता था, ताकि वे बहुत शक्तिशाली न हो जाएँ।
Q17. न्याय व्यवस्था का आधार मुख्यतः किस पर था – शरीयत या मनुस्मृति? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: शरीयत (इस्लामी कानून), साथ में स्थानीय प्रथाएँ भी।
Q18. गाँव स्तर पर विवाद सुलझाने में किस संस्था की भूमिका रहती थी? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: पंचायत/ग्राम–सभा जैसी स्थानीय संस्था।
Q19. सल्तनत काल का प्रशासन किस प्रकार कहा जा सकता है – पूर्ण रूप से धार्मिक या मिश्रित? 👁️उत्तर देखें
उत्तर (विश्लेषण): मिश्रित – धार्मिक सिद्धांतों + व्यावहारिक राजकीय व्यवस्था का मेल।
Q20. “इक्ता – सुल्तान की आय का मुख्य स्रोत” – यह कथन किस हद तक सही है? 👁️उत्तर देखें
संक्षिप्त उत्तर: इक्ता के माध्यम से खराज आदि कर इकट्ठा होकर ही राजस्व–व्यवस्था चलती थी, इसलिए यह कथन काफी हद तक सही है।
Q21. “खराज” कर किस वर्ग से लिया जाता था?👁️उत्तर
उत्तर: मुख्यतः कृषक वर्ग (किसान) से, उनकी भूमि/उपज पर।
Q22. जज़िया कर का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य क्या था?👁️उत्तर
उत्तर: राजस्व बढ़ाना और ग़ैर–मुस्लिम प्रजा पर अलग कर के रूप में नियंत्रण।
Q23. दीवान–ए–अर्ज से सीधे जुड़ा कौन–सा शब्द है – दाग/मुहर या जज़िया?👁️उत्तर
उत्तर: दाग/मुहर (घोड़ों की जाँच)।
Q24. प्रशासनिक दृष्टि से इक्ता प्रणाली की सबसे बड़ी कमजोरी क्या थी?👁️उत्तर
उत्तर: इक्तादारों का अत्यधिक शक्तिशाली हो जाना और केंद्र से अलग होने की प्रवृत्ति।
Q25. क़ाज़ी–उल–क़ुज़ात किसके द्वारा नियुक्त होता था?👁️उत्तर
उत्तर: सुल्तान के द्वारा।
Q26. क्या सल्तनत काल में पंचायतें पूरी तरह समाप्त हो गई थीं?👁️उत्तर
उत्तर: नहीं, वे गाँव–स्तर पर स्थानीय विवाद सुलझाने में सक्रिय रहीं।
Q27. कौन–सा कर केवल युद्ध–जीत से संबंधित था – खुम्स या खराज?👁️उत्तर
उत्तर: खुम्स (युद्ध–लूट का पाँचवाँ हिस्सा)।
Q28. इक्तादार को मिलने वाली आय को हम किस रूप में समझें – वेतन या ज़मींदारी लाभ?👁️उत्तर
उत्तर: वेतन–समान राजस्व–अधिकार, न कि स्थायी ज़मींदारी।
Q29. “इक्ता, खराज, जज़िया, खुम्स” – ये चारों शब्द किस काल से मुख्य रूप से जुड़े हैं?👁️उत्तर
उत्तर: दिल्ली सल्तनत काल की प्रशासनिक व राजस्व व्यवस्था से।
Q30. एक पंक्ति में – “सल्तनत काल का प्रशासन किस पर आधारित था?”👁️उत्तर
सार: “सुल्तान–केंद्रित शासन, दीवानों द्वारा संचालित प्रशासन और इक्ता–आधारित राजस्व व्यवस्था पर आधारित।”
Q31. प्रशासन का मुख्य उद्देश्य क्या था – धर्म–प्रचार या शासन–स्थिरता?👁️उत्तर
उत्तर: शासन–स्थिरता और राजस्व–सुरक्षा (हालाँकि धार्मिक तत्व भी मौजूद थे)।
Q32. क्या सभी क्षेत्रों में एक ही प्रकार की कर–दर लागू थी?👁️उत्तर
उत्तर: नहीं, उपज, भूमि–गुणवत्ता, स्थिति आदि के अनुसार अंतर रहता था।
Q33. इक्ता प्रणाली को याद रखने का आसान तरीका क्या है?👁️उत्तर
उत्तर: “इक्ता = वेतन के बदले प्रशासनिक भूमि–क्षेत्र + सैनिक सेवा” – एक लाइन से पूरा कॉन्सेप्ट याद रखें।
Q34. दिल्ली सल्तनत के प्रशासन में सबसे ऊपर कौन–सा अंग था – सुल्तान, दीवान या क़ाज़ी?👁️उत्तर
उत्तर: सुल्तान।
Q35. एक पंक्ति में – सल्तनत काल की राजस्व व्यवस्था की रीढ़ किसे कहेंगे?👁️उत्तर
उत्तर: इक्ता प्रणाली व खराज–जज़िया आधारित कर–ढाँचा – यही सल्तनत की आर्थिक रीढ़ थी।

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)