पाल, राष्ट्रकूट, गुर्जर-प्रतिहार | कन्नौज संघर्ष का विस्तृत विश्लेषण Tripartite Struggle Magic Notes | (UPSC/PCS/UPSSSC/ALL EXAMS)

पाल, राष्ट्रकूट, गुर्जर-प्रतिहार | कन्नौज संघर्ष का विस्तृत विश्लेषण Tripartite Struggle Magic Notes | (UPSC/PCS/UPSSSC/ALL EXAMS)

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Tripartite Struggle4️⃣ पाल, राष्ट्रकूट एवं गुर्जर-प्रतिहार – त्रिपक्षीय संघर्ष (कन्नौज के लिए संघर्ष)
⚔️ कन्नौज के लिए संघर्ष, धर्मपाल, नागभट्ट, गोविंद III आदि शासक, सैन्य शक्ति, राजनैतिक संतुलन, परिणाम व दीर्घकालिक प्रभाव 📚 NCERT, मानक इतिहास पुस्तकें व विश्वसनीय वेबसाइट पर आधारित स्मार्ट नोट्स – UPSC / PCS / UPSSSC / अन्य परीक्षाएँ
📚 मध्यकालीन भारतीय इतिहास अध्याय 1 : प्रारंभिक मध्यकालीन भारत (650–1200 ई.) पाल, राष्ट्रकूट एवं गुर्जर-प्रतिहार – त्रिपक्षीय संघर्ष
📘 भाग – 1 : विस्तृत स्टडी नोट्स – त्रिपक्षीय संघर्ष (पाल, राष्ट्रकूट, गुर्जर-प्रतिहार)
UPSC / State PCS Level
🎯 आधार: NCERT, R.S. Sharma, Upinder Singh, NIOS, एवं प्रमुख Online Notes – डेटा को सरल, सटीक व परीक्षा–उन्मुख रूप में।

🧭 1. त्रिपक्षीय संघर्ष – मूल बात एक नज़र में

त्रिपक्षीय संघर्ष का अर्थ है – तीन प्रमुख राजवंशों (पाल, राष्ट्रकूट, गुर्जर-प्रतिहार) के बीच कन्नौजउत्तरी भारत पर प्रभाव के लिए लम्बा संघर्ष, जो मुख्यतः 8वीं–9वीं सदी के बीच चला। यह संघर्ष केवल एक नगर के लिए नहीं, बल्कि प्रतिष्ठा, गंगा–घाटी की उपजाऊ भूमि, व्यापार व सत्ता के लिए था।
  • तीन पक्ष:
    • पाल: बंगाल–बिहार के शासक।
    • गुर्जर-प्रतिहार: राजस्थान–कन्नौज क्षेत्र के शासक।
    • राष्ट्रकूट: दक्कन (कर्नाटक) के शक्तिशाली शासक।
  • मुख्य प्रश्न – “कन्नौज पर अधिकार किसका होगा? और गंगा–मैदान पर प्रधानता किसकी होगी?”
📝
Prelims Shortcut: त्रिपक्षीय संघर्ष = पाल + राष्ट्रकूट + गुर्जर-प्रतिहार + कन्नौज। अगर विकल्प में गुप्त, चोल, चंदेल आदि आ जाएँ, तो उन्हें काट देना।

🏙️ 2. कन्नौज – संघर्ष का केन्‍द्र क्यों?

📍 2.1 स्थान व भू–स्थिति
  • गंगा नदी के किनारे, उत्तर भारत के लगभग मध्य भाग में।
  • उत्तर–पश्चिम (राजस्थान, पंजाब) से पूर्व (बिहार, बंगाल) की ओर जाने वाले मार्ग पर स्थित।
  • प्राचीन समय से ही प्रसिद्ध नगर – हर्षवर्धन की राजधानी के रूप में भी विख्यात।
💰 2.2 आर्थिक व सामरिक महत्व
  • गंगा–घाटी की उपजाऊ भूमि, घना कृषि–क्षेत्र – अधिक राजस्व व सैनिक–शक्ति।
  • उत्तर, पश्चिम, पूर्व को जोड़ने वाले व्यापारिक मार्गों पर नियंत्रण।
  • कन्नौज पर अधिकार = अन्य छोटे राजाओं पर राजनैतिक दबदबा
👑 2.3 प्रतिष्ठा व गौरव
  • कन्नौज को नियंत्रित शासक स्वयं को “उत्तर भारत का शिरोमणि” मानता था।
  • इसलिए पाल, प्रतिहार, राष्ट्रकूट – तीनों ने इसे प्रतिष्ठा की लड़ाई भी बना दिया।
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याद रखिए – “कन्नौज = उपजाऊ गंगा–मैदान + व्यापारिक मार्ग + हर्ष की विरासत + राजनीतिक प्रतिष्ठा” यही चार कारण इसे संघर्ष का केन्द्र बनाते हैं।

🏰 3. पाल, राष्ट्रकूट, गुर्जर-प्रतिहार – कौन, कहाँ, कैसे?

📜 3.1 पाल वंश (Pal Dynasty)
  • क्षेत्र: बंगाल, बिहार, मगध – पूर्वी भारत का बड़ा हिस्सा।
  • संस्थापक: गोपाल – अराजकता समाप्त करने के लिए बंगाल के प्रमुखों द्वारा चुने गए।
  • महत्वपूर्ण शासक:
    • धर्मपाल: त्रिपक्षीय संघर्ष का मुख्य चेहरा, कन्नौज पर प्रभुत्व का दावा, कई उत्तर भारतीय राजाओं पर अधिपत्य का वर्णन।
    • देवपाल: साम्राज्य को और विस्तृत, दक्षिण–पूर्व तक अभियानों का उल्लेख।
  • धर्म: बौद्ध धर्म के समर्थक; नालंदा, विक्रमशिला आदि महाविहारों का संरक्षण।
🛡️ 3.2 गुर्जर-प्रतिहार वंश
  • क्षेत्र: शुरू में राजस्थान व पश्चिमी भारत, बाद में कन्नौज व गंगा–घाटी।
  • महत्वपूर्ण शासक:
    • नागभट्ट I: अरब आक्रमणों के विरुद्ध संघर्ष के लिए प्रसिद्ध।
    • नागभट्ट II: कन्नौज की ओर विस्तार, त्रिपक्षीय संघर्ष का प्रारंभिक चरण।
    • मिहिरभोज: प्रतिहार साम्राज्य का चरम, कन्नौज से व्यापक शासन।
  • भूमिका: पश्चिम से कन्नौज व गंगा–मैदान पर नियंत्रण के लिए प्रयास, और उत्तर–पश्चिम सीमा की रक्षा।
🐘 3.3 राष्ट्रकूट वंश
  • क्षेत्र: दक्कन – मान्यखेट (कर्नाटक) राजधानी।
  • महत्वपूर्ण शासक:
    • ध्रुव: उत्तर भारत तक अभियान चलाने वाले प्रारंभिक शक्तिशाली शासकों में से।
    • गोविंद III: उत्तर व दक्षिण दोनों दिशाओं में प्रभाव; कई उत्तरी शासकों को पराजित करने के उल्लेख।
    • अमोघवर्ष: सांस्कृतिक–रुचि वाला शासक, अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण शासन।
  • कला: एलोरा का कैलाश मंदिर – राष्ट्रकूट काल की उत्कृष्ट शिल्प–कृति।
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मैप–ट्रिक: पाल = पूर्व (बंगाल), प्रतिहार = पश्चिम/कन्नौज, राष्ट्रकूट = दक्कन। तीन दिशाएँ – पर लक्ष्य एक: कन्नौज

⚔️ 4. त्रिपक्षीय संघर्ष के मुख्य चरण (सरल विभाजन)

1️⃣ 4.1 प्रारंभिक चरण
  • हर्षवर्धन के बाद कन्नौज पर कोई स्थायी मजबूत शक्ति नहीं रही।
  • पाल शासक धर्मपाल ने कन्नौज की ओर अपने प्रभाव का विस्तार किया।
  • प्रतिहार व राष्ट्रकूट दोनों ने उसे चुनौती दी – संघर्ष की शुरुआत यहीं से।
2️⃣ 4.2 मध्य चरण – बार–बार शक्ति–परिवर्तन
  • कभी पालों का प्रभाव बढ़ता, तो वे कन्नौज के समीप प्रभुत्व स्थापित करते।
  • फिर प्रतिहार विजय पाते और कन्नौज उनके हाथ में आ जाता।
  • राष्ट्रकूट समय–समय पर उत्तर आकर दोनों को कमजोर करते, छापामार अभियान चलाते।
  • कन्नौज कभी पाल, कभी प्रतिहार के प्रभाव में, कभी राष्ट्रकूट के हमले झेलता रहा।
3️⃣ 4.3 अंतिम चरण व थकान
  • लंबे युद्धों से तीनों वंश आर्थिक व सैन्य संसाधनों से कमजोर होने लगे।
  • प्रतिहारों के अधीन साम्राज्य का विखंडन, पालों के प्रभाव में कमी, राष्ट्रकूटों का भी ह्रास।
  • कन्नौज व गंगा–घाटी में कई राजपूत व क्षेत्रीय राजवंश उभर कर आए।
📊
एक लाइन: त्रिपक्षीय संघर्ष ने किसी एक “महासम्राट” को जन्म नहीं दिया, बल्कि तीनों शक्तियों को कमजोर कर, भारत की राजनीति को और अधिक क्षेत्रीय बना दिया।

🗡️ 5. सैन्य शक्ति, अभियान व संतुलन

🐘 5.1 सेना की प्रकृति
  • घुड़सवार, हाथी, पैदल सेना, कभी–कभी रथ – तीनों ही वंश लगभग समान प्रकार की सेना रखते थे।
  • सामन्तों व अधीन राजाओं की टुकड़ियों पर आधारित संरचना।
  • दूर–दूर तक अभियान – दिखावटी शक्ति तो बढ़ी, पर स्थायी प्रशासन कठिन।
🎯 5.2 दिशा–विशेष नीति
  • पाल: पूर्व से मगध/कन्नौज की ओर – गंगा–घाटी पर अधिकार की कोशिश।
  • प्रतिहार: पश्चिम से कन्नौज व मध्य भारत की ओर – अरब आक्रमणों के प्रतिरोध के साथ–साथ कन्नौज पर कब्जा।
  • राष्ट्रकूट: दक्कन से उत्तर की ओर – नर्मदा पार कर उत्तर भारतीय राजाओं को पराजित कर अपनी शक्ति दिखाना।
⚖️ 5.3 शक्ति–संतुलन (Power Balance)
  • जब कोई एक वंश अधिक मजबूत होता, दूसरे दो मिलकर या अलग–अलग उसे कमजोर कर देते।
  • इस तरह पूरे काल में संतुलन की राजनीति चलती रही – किसी एक को पूर्ण प्रभुत्व नहीं मिला।

📌 6. त्रिपक्षीय संघर्ष – मुख्य परिणाम व भारतीय इतिहास पर प्रभाव

💥 6.1 तात्कालिक परिणाम
  • तीनों ही वंश आर्थिक, सैन्य व प्रशासनिक दृष्टि से कमजोर।
  • कन्नौज स्थिर राजधानी न बनकर “बार–बार हाथ बदलने वाला” नगर।
  • गंगा–घाटी में मजबूत एकताबद्ध शक्ति का अभाव।
🧩 6.2 दीर्घकालिक राजनीतिक प्रभाव
  • भारत की राजनीति और अधिक क्षेत्रीय हो गई – अनेक राजपूत व अन्य स्थानीय राज्य उभर आए।
  • अखिल भारतीय स्तर पर “मौर्य/गुप्त जैसे साम्राज्य” की परंपरा टूट चुकी थी, अब छोटे–छोटे राज्य ही प्रमुख थे।
🚪 6.3 आगे की घटनाओं के लिए भूमि–तैयारी
  • जब 11वीं–12वीं सदी में तुर्क आक्रमण हुए, तब गंगा–घाटी में एकजुट रक्षा–व्यवस्था नहीं थी।
  • त्रिपक्षीय संघर्ष से जन्मा यह विखंडन दिल्ली सल्तनत के उदय के लिए पृष्ठभूमि बना।
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Mains निष्कर्ष लाइन:
“त्रिपक्षीय संघर्ष ने कन्नौज को शक्ति–प्रतीक बना दिया, लेकिन भारत की राजनीति को स्थायी रूप से क्षेत्रीय, सामन्त–आधारित व बिखरी हुई छोड़ गया, जिसने आगे के मध्यकाल – विशेषकर दिल्ली सल्तनत – की दिशा तय की।”
भाग – 2 : त्वरित पुनरावृत्ति (पूरी तरह हिंदी – 3–4 मिनट में पूरा अध्याय)
Prelims + Mains Brush-up
परीक्षा से ठीक पहले पढ़ने के लिए – सीधा–सरल, पॉइंट–वाइज सार
🧭 1. त्रिपक्षीय संघर्ष – परिभाषा
  • तीन वंश – पाल (पूर्व), गुर्जर-प्रतिहार (पश्चिम/कन्नौज), राष्ट्रकूट (दक्कन)।
  • मुख्य उद्देश्य – कन्नौज व गंगा–घाटी पर अधिकार।
  • काल – लगभग 8वीं–9वीं सदी।
3 वंश कन्नौज
🏙️ 2. कन्नौज – क्यों महत्वपूर्ण?
  • गंगा–घाटी का केन्द्रीय नगर, उपजाऊ क्षेत्र पर नियंत्रण।
  • उत्तर–पश्चिम से पूर्व की ओर जाने वाले मार्ग का मुख्य केन्द्र।
  • हर्षवर्धन के समय से प्रतिष्ठित राजधानी, राजनीतिक गौरव का प्रतीक।
Ganga Belt Capital Status
📜 3. तीनों वंश – क्षेत्र व प्रमुख शासक
  • पाल – बंगाल/बिहार; गोपाल, धर्मपाल, देवपाल।
  • प्रतिहार – राजस्थान/कन्नौज; नागभट्ट I–II, मिहिरभोज।
  • राष्ट्रकूट – दक्कन/मान्यखेट; ध्रुव, गोविंद III, अमोघवर्ष।
Pal–East Pratihara–Kannauj Rashtrakuta–Deccan
⚔️ 4. संघर्ष की खासियत
  • कन्नौज कई बार हाथ बदलता रहा – कोई स्थायी विजेता नहीं।
  • तीनों वंश एक–दूसरे को संतुलित करते रहे – Power Balance।
  • लंबे युद्धों के कारण तीनों ही अंदर से कमजोर हुए।
No Final Winner
📊 5. मुख्य परिणाम
  • तीनों वंशों की शक्ति धीरे–धीरे घटती गई।
  • गंगा–घाटी में राजपूत व अन्य छोटे–छोटे राज्य उभरे।
  • भारत की राजनीति और अधिक क्षेत्रीय व सामन्त–आधारित हो गई।
Regionalisation
🚪 6. दीर्घकालिक प्रभाव
  • तुर्क आक्रमणों के समय कोई एकजुट शक्ति नहीं थी।
  • विखंडित शक्ति–मानचित्र ने दिल्ली सल्तनत के उदय को आसान बनाया।
  • त्रिपक्षीय संघर्ष = बाद के मध्यकाल की राजनीतिक पृष्ठभूमि।
Background of Sultanate
भाग – 3 : PYQ / One Liners – त्रिपक्षीय संघर्ष (Show / Hide Answer)
40 High Yield Qs
फोकस: त्रिपक्षीय संघर्ष की परिभाषा, तीनों वंश, कन्नौज का महत्व, प्रमुख शासक, परिणाम व विश्लेषण – 1–2 लाइन के प्रश्न, लगभग सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी।
Q1. “त्रिपक्षीय संघर्ष” शब्द से किसके बीच का संघर्ष अभिप्रेत है? 👁️Show / Hide
उत्तर: पाल, राष्ट्रकूट एवं गुर्जर-प्रतिहार वंशों के बीच संघर्ष।
तीनों ने कन्नौज व गंगा–घाटी पर प्रभुत्व के लिए संघर्ष किया।
Q2. त्रिपक्षीय संघर्ष मुख्यतः किस नगर के लिए हुआ था – कन्नौज या पाटलिपुत्र? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: कन्नौज।
कन्नौज = संघर्ष का मुख्य केन्द्र।
Q3. पाल वंश की राजधानी क्षेत्र मुख्यतः कहाँ था – बंगाल–बिहार या गुजरात–राजस्थान? 👁️Show / Hide
उत्तर: बंगाल–बिहार (पूर्वी भारत)।
इन्हीं से पूर्वी शक्ति का प्रतिनिधित्व।
Q4. पाल वंश के संस्थापक कौन माने जाते हैं – गोपाल या धर्मपाल? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: गोपाल।
धर्मपाल – गोपाल के उत्तराधिकारी व विस्तारक।
Q5. त्रिपक्षीय संघर्ष में पाल वंश का प्रमुख शासक कौन माना जाता है – धर्मपाल या अमोघवर्ष? 👁️Show / Hide
उत्तर: धर्मपाल।
अमोघवर्ष – राष्ट्रकूट शासक थे।
Q6. गुर्जर-प्रतिहार वंश की शक्ति प्रारंभ में किस क्षेत्र में केन्द्रित थी – राजस्थान–गुजरात या असम–मणिपुर में? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: राजस्थान–गुजरात व पश्चिमी भारत।
बाद में कन्नौज तक विस्तार।
Q7. मिहिरभोज किस वंश से संबंधित थे – गुर्जर-प्रतिहार या पाल? 👁️Show / Hide
उत्तर: गुर्जर-प्रतिहार वंश से।
इन्हीं के समय प्रतिहार शक्ति चरम पर मानी जाती है।
Q8. राष्ट्रकूटों की राजधानी कहाँ थी – मान्यखेट या कन्नौज? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: मान्यखेट (Manyakheta, कर्नाटक)।
कन्नौज – उत्तर में संघर्ष का क्षेत्र।
Q9. गोविंद III किस वंश के शासक थे – राष्ट्रकूट या प्रतिहार? 👁️Show / Hide
उत्तर: राष्ट्रकूट वंश के।
इन्होंने उत्तर भारत तक अभियान चलाए।
Q10. पाल शासक किस धर्म के बड़े संरक्षक माने जाते हैं – बौद्ध धर्म या जैन धर्म? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान/वज्रयान परंपरा)।
नालंदा, विक्रमशिला आदि का संरक्षण।
Q11. त्रिपक्षीय संघर्ष का मुख्य आर्थिक आधार क्या था – गंगा–घाटी का नियंत्रण या समुद्री व्यापार? 👁️Show / Hide
उत्तर: गंगा–घाटी का नियंत्रण – उपजाऊ भूमि व राजस्व।
समुद्री व्यापार पर इतना सीधा ज़ोर नहीं था।
Q12. त्रिपक्षीय संघर्ष में “पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ने वाली शक्ति” किसे कहा जा सकता है – पाल या प्रतिहार? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: पाल वंश (बंगाल/बिहार से कन्नौज की ओर)।
प्रतिहार – पश्चिम से पूर्व की ओर।
Q13. “दक्कन से उत्तर की ओर बढ़ने वाली शक्ति” त्रिपक्षीय संघर्ष में कौन थी? 👁️Show / Hide
उत्तर: राष्ट्रकूट वंश।
ये दक्कन से ऊपर आकर उत्तर भारतीय शक्तियों को संतुलित करते थे।
Q14. त्रिपक्षीय संघर्ष में क्या कोई स्थायी विजेता उभरा? 👁️Show / Hide
सीधा उत्तर: नहीं। कोई स्थायी विजेता नहीं – तीनों ही अंत में कमजोर हो गए।
यही इस संघर्ष की खासियत है।
Q15. त्रिपक्षीय संघर्ष के परिणामस्वरूप उत्तर भारत की राजनीति कैसी हो गई – अधिक केंद्रीकृत या अधिक विखंडित? 👁️Show / Hide
उत्तर: अधिक विखंडित (क्षेत्रीय)।
कई छोटे–छोटे राजवंश उभर आए।
Q16. त्रिपक्षीय संघर्ष के बाद गंगा–घाटी में किस प्रकार के राजवंश अधिक उभरे – राजपूत या यूनानी? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: राजपूत व अन्य भारतीय क्षेत्रीय राजवंश।
यूनानी तो बहुत पहले ही समाप्त हो चुके थे।
Q17. कौन–सा जोड़ा गलत है?
(अ) पाल – धर्मपाल
(ब) प्रतिहार – मिहिरभोज
(स) राष्ट्रकूट – गोविंद III
(द) चोल – त्रिपक्षीय संघर्ष के मुख्य पक्ष
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गलत विकल्प: (द) चोल – त्रिपक्षीय संघर्ष के मुख्य पक्ष नहीं थे।
मुख्य पक्ष – पाल, प्रतिहार, राष्ट्रकूट।
Q18. त्रिपक्षीय संघर्ष ने किस क्षेत्र को “बार–बार हाथ बदलने वाला” बना दिया – कन्नौज या मदुरै? 👁️Show / Hide
उत्तर: कन्नौज।
यही नगर कई बार तीनों के बीच हाथ बदलता रहा।
Q19. “त्रिपक्षीय संघर्ष ने किसी एक महासम्राट को जन्म नहीं दिया” – इस कथन का अर्थ क्या है? 👁️Show / Hide
संक्षिप्त उत्तर: मौर्य या गुप्तों की तरह कोई एक सर्व–भारतीय सम्राट नहीं बना; तीनों ही अंत में कमजोर हो गए और शक्ति छोटे–छोटे राज्यों में बँट गई।
यानी संघर्ष का “फाइनल विजेता” कोई नहीं।
Q20. पाल, प्रतिहार, राष्ट्रकूट – तीनों वंशों में सेना की संरचना किस प्रकार की थी – घुड़सवार, हाथी व पैदल पर आधारित या आधुनिक तोप–बंदूक पर? 👁️Show / Hide
उत्तर: घुड़सवार, हाथी व पैदल पर आधारित पारंपरिक सेना।
तोप–बंदूक बहुत बाद का नवाचार है (मुगल–काल आदि)।
Q21. त्रिपक्षीय संघर्ष का एक प्रमुख सैन्य–परिणाम क्या था – संसाधनों की बचत या तीनों का थक जाना? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: तीनों का थक जाना व संसाधनों का क्षय।
लंबे युद्धों से खजाना व सेना दोनों पर बोझ पड़ा।
Q22. त्रिपक्षीय संघर्ष ने आगे आने वाली किस राजनीतिक व्यवस्था के लिए भूमि तैयार की – दिल्ली सल्तनत या मौर्य साम्राज्य? 👁️Show / Hide
उत्तर: दिल्ली सल्तनत।
क्योंकि संघर्ष ने उत्तर भारत को बंटा हुआ व कमजोर छोड़ा।
Q23. पाल वंश के समय कौन–सा शिक्षा–केंद्र विशेष रूप से फला–फूला – नालंदा या तक्षशिला? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: नालंदा (साथ ही विक्रमशिला भी)।
तक्षशिला – प्राचीन काल का केंद्र था, इस समय तक पतन स्थिति में।
Q24. राष्ट्रकूट काल की एक प्रमुख शिल्प–स्मारक कृति कौन–सी मानी जाती है – एलोरा का कैलाश मंदिर या काशी विश्वनाथ मंदिर (मौजूदा रूप)? 👁️Show / Hide
उत्तर: एलोरा का कैलाश मंदिर।
राष्ट्रकूट कला–संरक्षण का प्रमुख उदाहरण।
Q25. त्रिपक्षीय संघर्ष में “पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ने वाली शक्ति” कौन थी – प्रतिहार या पाल? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: गुर्जर-प्रतिहार वंश।
ये राजस्थान/पश्चिम से कन्नौज व गंगा–घाटी की ओर बढ़े।
Q26. कौन–सा जोड़ा सही है?
(अ) पाल – बंगाल–बिहार
(ब) प्रतिहार – कन्नौज
(स) राष्ट्रकूट – मान्यखेट
(द) उपरोक्त सभी
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सही विकल्प: (द) उपरोक्त सभी।
तीनों pair factual सही हैं।
Q27. त्रिपक्षीय संघर्ष के संदर्भ में “Power Balance” का क्या अर्थ है? 👁️Show / Hide
संक्षिप्त उत्तर: जैसे ही कोई एक वंश बहुत शक्तिशाली होता, बाकी वंश उसे रोकते – इसलिए कोई भी पूर्ण प्रभुत्व स्थापित नहीं कर सका।
तीनों एक–दूसरे को संतुलित करते रहे।
Q28. Early Medieval India का कौन–सा लक्षण त्रिपक्षीय संघर्ष से जुड़ा है – क्षेत्रीयकरण (Regionalisation) या राष्ट्रीय एकता? 👁️Show / Hide
उत्तर: क्षेत्रीयकरण (Regionalisation)।
अनेकों क्षेत्रीय राजवंशों का उदय।
Q29. त्रिपक्षीय संघर्ष के समय कन्नौज पर नियंत्रण किस–किस वंश ने अलग–अलग समय पर किया? 👁️Show / Hide
संकेतात्मक उत्तर: कभी पाल प्रभाव में, कभी गुर्जर-प्रतिहार के अधीन, और राष्ट्रकूट भी उस पर चढ़ाई करते रहे – यह नगर स्थिर रूप से किसी एक के हाथ में नहीं रहा।
इसी कारण इसे संघर्ष का केन्द्र कहा जाता है।
Q30. “त्रिपक्षीय संघर्ष ने उत्तर भारत को बिखरा हुआ छोड़ दिया” – UPSC mains के लिए 1–2 लाइन का comment लिखिए। 👁️Show / Hide
Mains Line: “लंबे समय तक चले पाल–प्रतिहार–राष्ट्रकूट संघर्ष ने न केवल तीनों वंशों की शक्ति को क्षीण किया, बल्कि गंगा–घाटी को अनेक प्रतिस्पर्धी राज्यों में बाँटकर मध्यकालीन उत्तर भारत को राजनीतिक रूप से अस्थिर व विखंडित छोड़ दिया।”
इसे सीधे उत्तर में लिख सकते हैं।
Q31. त्रिपक्षीय संघर्ष के संदर्भ में “कौन कहाँ?” – पाल – ?, प्रतिहार – ?, राष्ट्रकूट – ? (एक लाइन में मैप–लिखिए) 👁️Show / Hide
उत्तर: पाल – बंगाल/बिहार (पूर्व), प्रतिहार – राजस्थान/कन्नौज (पश्चिम–उत्तर), राष्ट्रकूट – दक्कन/मान्यखेट (दक्षिण)।
तीन दिशाएँ, बीच में कन्नौज।
Q32. एक वाक्य में लिखिए – त्रिपक्षीय संघर्ष ने तुर्क आक्रमणों के लिए किस प्रकार का राजनीतिक वातावरण तैयार किया? 👁️Show / Hide
संक्षिप्त उत्तर: “त्रिपक्षीय संघर्ष ने उत्तर भारत को कई छोटे–छोटे राज्यों में बाँट दिया, जिससे तुर्क आक्रमणों के समय कोई मजबूत, एकजुट प्रतिरोध तैयार नहीं हो पाया।”
इसे analysis में उपयोग कर सकते हैं।
Q33. त्रिपक्षीय संघर्ष का मुख्य कारण “कन्नौज की प्रतिष्ठा” भी था – क्यों? 👁️Show / Hide
उत्तर: क्योंकि हर्षवर्धन के समय से कन्नौज एक महान राजधानी माना जाता था; उस पर अधिकार का अर्थ उत्तर भारत के “प्रमुख सम्राट” की उपाधि जैसा था।
इसलिए यह केवल आर्थिक नहीं, प्रतिष्ठात्मक संघर्ष भी था।
Q34. निम्न में से कौन–सा कथन सही है?
(अ) त्रिपक्षीय संघर्ष से तीनों वंश मजबूत हुए
(ब) त्रिपक्षीय संघर्ष से तीनों वंश कमजोर हुए
👁️Show / Hide
सही विकल्प: (ब) तीनों वंश कमजोर हुए।
यही इस संघर्ष की समग्र दिशा है।
Q35. त्रिपक्षीय संघर्ष से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण सीख क्या है, जिसे आप GS–Paper 1 में लिख सकते हैं? 👁️Show / Hide
Mains Point: “केवल शक्ति–प्रदर्शन व प्रतिस्पर्धा, बिना दीर्घकालिक राजनीतिक एकता व दूरदर्शिता के, अंततः सभी प्रतिस्पर्धी शक्तियों को कमजोर कर देती है – त्रिपक्षीय संघर्ष इसका स्पष्ट उदाहरण है।”
इससे आधुनिक समय के लिए भी सीख निकाली जाती है।
Q36. त्रिपक्षीय संघर्ष के संदर्भ में “नागभट्ट I” किसके लिए याद किए जाते हैं – अरब आक्रमणों के प्रतिकार या काशी–विश्वनाथ के निर्माण के लिए? 👁️Show / Hide
उत्तर: अरब आक्रमणों के प्रतिकार के लिए।
वे प्रतिहार शक्ति के प्रारंभिक महत्वपूर्ण शासक थे।
Q37. त्रिपक्षीय संघर्ष के बाद कौन–सा क्षेत्र “राजपूत वंशों के लिए अधिक खुला मैदान” बन गया – गंगा–घाटी या दक्कन? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: गंगा–घाटी व उत्तर भारत।
यहीं राजपूत वंश बड़े पैमाने पर उभरे।
Q38. क्या त्रिपक्षीय संघर्ष के बिना भी उत्तर भारत में क्षेत्रीयकरण हो सकता था? – संक्षेप में विश्लेषणात्मक टिप्पणी (1–2 लाइन) दीजिए। 👁️Show / Hide
Analysis: हाँ, गुप्त–पतन के बाद क्षेत्रीयकरण की प्रक्रिया पहले से चल रही थी, लेकिन त्रिपक्षीय संघर्ष ने इस प्रक्रिया को तेज कर दिया और किसी एक केंद्रीय शक्ति के उभरने की संभावना को और कम कर दिया।
ऐसे उत्तर से आप balanced view दिखाते हैं।
Q39. एक Line में लिखिए – “त्रिपक्षीय संघर्ष और कन्नौज” का सम्बन्ध क्या है? 👁️Show / Hide
Line: “कन्नौज त्रिपक्षीय संघर्ष का हृदय था – जिसे जीतना तीनों शक्तियों के लिए राजनीतिक प्रतिष्ठा, आर्थिक संसाधन और सैन्य प्रभुत्व का प्रतीक था।”
यह लाइन सीधे उत्तर में काम आएगी।
Q40. निष्कर्षात्मक प्रश्न – “त्रिपक्षीय संघर्ष: भारतीय इतिहास में एक मोड़” – इस कथन को 2–3 पंक्तियों में उचित ठहराइए। 👁️Show / Hide
Model Answer: “त्रिपक्षीय संघर्ष ने एक ओर तो पाल, प्रतिहार व राष्ट्रकूट जैसे शक्तिशाली वंशों को धीरे–धीरे कमजोर किया, दूसरी ओर उत्तर भारत में क्षेत्रीय व राजपूत वंशों के उदय का मार्ग खोला, और अन्ततः तुर्क आक्रमण व दिल्ली सल्तनत के लिए राजनीतिक पृष्ठभूमि तैयार की – इसलिए इसे भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा सकता है।”
यह 10–15 मार्क्स के उत्तर के निष्कर्ष के रूप में बहुत उपयोगी है।

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