Post-Gupta Age & Prayag Prashasti | उत्तर गुप्त काल व प्रयाग प्रशस्ति Full Magic Notes – Noble Exam City

Post-Gupta Age & Prayag Prashasti | उत्तर गुप्त काल व प्रयाग प्रशस्ति Full Magic Notes – Noble Exam City

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Post-Gupta Age & Prayag Prashastiउत्तर गुप्त काल व प्रयाग प्रशस्ति (Full Magic Notes)
📜 प्रयाग प्रशस्ति, इलाहाबाद स्तंभ, हरिषेण, उत्तर गुप्त राजनीति व अभिलेख 🧠 UPSC, State PSC, UPSSSC, Railway, Police के लिए Smart Notes + PYQs
🏛 Ancient History Classical & Post-Gupta उत्तर गुप्त काल व अभिलेख परंपरा
📘 भाग – 1 : विस्तृत Study Notes (उत्तर गुप्त काल, प्रयाग प्रशस्ति, हरिषेण व संस्कृत–अभिलेख परंपरा)
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🧭 1. उत्तर गुप्त काल – रूपरेखा व काल–सीमा

उत्तर गुप्त काल (Post-Gupta / उत्तर–गुप्त युग) broadly उस समय को दर्शाता है जब गुप्त साम्राज्य का राजनीतिक विघटन शुरू होता है (c. 5वीं–6वीं सदी CE) और क्षेत्रीय राजवंश, भूमि–दान व सामंत–प्रणाली प्रमुख हो जाते हैं।
  • काल–सीमा (लगभग): – स्कंदगुप्त के बाद से c. 550 CE तक मुख्य गुप्त पतन। – इसके बाद उत्तर गुप्त, मौखरी, वाकाटक, वर्धन आदि क्षेत्रीय शक्तियाँ।
  • प्रमुख बिंदु: – गुप्त सम्राटों की केन्द्रीय शक्ति में कमी। – भूमि–दानों की वृद्धि, सामंत–शक्ति में वृद्धि। – संस्कृत अभिलेख, प्रशस्ति (eulogy) परंपरा, पुराण–धर्म का विस्तार।
  • Exam Angle: UPSC / State PSC में Post-Gupta को अक्सर “transition to Early Medieval India” के रूप में पूछा जाता है।
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Key Idea: उत्तर गुप्त काल = गुप्त–उत्कर्ष के बाद का राजनीतिक विखंडन + अभिलेख व संस्कृत–प्रशस्ति की वृद्धि + भूमि–दान व सामंतवाद

🏛️ 2. गुप्त पतन के कारण व उत्तर–गुप्त राजनीतिक परिदृश्य

⚠️ 2.1 गुप्त साम्राज्य के पतन के प्रमुख कारण
  • हूण आक्रमण: – स्कंदगुप्त ने प्रारंभिक आक्रमण रोके, पर बाद में हूणों ने उत्तर–पश्चिम पर गहरा प्रभाव डाला।
  • सामंत–प्रणाली: – पराजित राजाओं एवं स्थानीय प्रमुखों को सामंत बनाकर भूमि व अधिकार देना – बाद में ये अर्ध–स्वायत्त बन गए।
  • भूमि–दान व राजस्व–कमी: – बड़े पैमाने पर कर–मुक्त भूमि–दान → राजकोषीय संकट।
  • आंतरिक उत्तराधिकार संघर्ष: – अनेक राजकुमार, अल्पकालीन शासन, गृह–कलह।
🗺️ 2.2 उत्तर–गुप्त समकालीन राजवंश
  • उत्तर गुप्त (Later Guptas): – मगध एवं आसपास के क्षेत्र में सीमित शक्ति, “महाराज़ाधिराज” उपाधि का स्थानीय प्रयोग।
  • वाकाटक, मौखरी, वैताळ, मैत्रक, पु्ष्यभूति (हर्षवर्धन) आदि – – क्षेत्रीय स्तर पर सत्ता–संतुलन।
  • राजनीतिक एकीकरण की बजाय राज्यों का नेटवर्क – – सामंतवाद, सैन्य–गुट, भूमि–दान पर आधारित संरचना।
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Mains Line: Post-Gupta = “From Imperial Unity to Regional Polities” – सामंत–राजनीति, भूमि–दान व अभिलेख–संस्कृति का युग।

📜 3. प्रयाग प्रशस्ति / इलाहाबाद स्तंभ अभिलेख – संरचना, लेखक, महत्व

प्रयाग प्रशस्ति (Allahabad Pillar Inscription) – गुप्तकालीन समुद्रगुप्त की विजयों की प्रशस्ति, पर इसका संस्कृत–प्रशस्ति मॉडल पूरे उत्तर–गुप्त व मध्यकाल में अभिलेख–लेखन का आदर्श बन गया।
✍️ 3.1 लेखक, भाषा व लिपि
  • रचयिता: कवि–दरबारी हरिषेण – जो समुद्रगुप्त के राजकवि व महासान्धिविग्रहिक (मंत्रि) थे।
  • भाषा: शुद्ध संस्कृत – – उच्च कोटि की काव्य–शैली, अलंकार, उपमा, अतिशयोक्ति।
  • लिपि: ब्रह्मी की गुप्त शैली (Gupta Brahmi)।
  • स्थान: वर्तमान इलाहाबाद स्तंभ (प्रयागराज) – जिस पर अशोक के शिलालेख, समुद्रगुप्त की प्रशस्ति तथा बाद के मुगल (जहाँगीर) इबारत भी अंकित हैं।
📌 3.2 विषय–वस्तु (Content)
  • समुद्रगुप्त की वंशावली, गुण, दैवी–स्वरूप व भक्ति।
  • चार प्रकार के राजाओं का उल्लेख – – आर्यावर्त के विजित राजा, दक्षिणापथ के पराजित राजा, सीमा–राज्य, वन–राज्य आदि – जिनके साथ युद्ध/संधि हुई।
  • समुद्रगुप्त के अश्वमेध यज्ञ व दानशीलता का वर्णन।
  • राजा को धर्म–पालक, कला–संरक्षक, वीर योद्धा के रूप में चित्रित किया।
🌐 3.3 महत्व (Significance)
  • समुद्रगुप्त के अभियानों का मुख्य ऐतिहासिक स्रोत
  • प्रशस्ति–परंपरा (eulogistic inscriptions) का क्लासिक मॉडल – – बाद में सभी राजवंशों ने इसी तरह अपने शिलालेख लिखवाए।
  • राजसत्ता की दैवी वैधतासंस्कृत–राजभाषा की प्रतिष्ठा।
  • उत्तर–गुप्त व प्रारंभिक मध्यकाल में संस्कृत अभिलेख–लेखन व पुराण–धर्म–आधारित राजधर्म का आधार।
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Key Exam Line: प्रयाग प्रशस्ति = समुद्रगुप्त की विजयों का इतिहास + संस्कृत–प्रशस्ति शैली का आदर्श, जो उत्तर–गुप्त व मध्यकालीन अभिलेखों का मॉडल बना।

🪶 4. हरिषेण – गुप्त दरबार का कवि–राजनेता

हरिषेण समुद्रगुप्त के राजदरबार में महासान्धिविग्रहिक (मंत्री) + राजकवि दोनों थे – यानि राजनीति + काव्य का अद्भुत संगम।
  • पद व स्थिति: – महासान्धिविग्रहिक = संधि व विग्रह (युद्ध–संधि) का प्रमुख अधिकारी। – राजकवि – राजकीय उपलब्धियों को काव्यात्मक रूप में अमर करना।
  • प्रमुख कृति: प्रयाग प्रशस्ति (Allahabad pillar inscription)।
  • शैली: – उच्चस्तरीय आलंकारिक संस्कृत, उद्योगालंकार, अतिशयोक्ति। – राजा को धरती पर विष्णु/देवता के अवतार की तरह प्रस्तुत करना।
  • महत्व: – उत्तर–गुप्त व मध्यकाल में “कवि–राजनीतिज्ञ” की परंपरा – inscriptions + court poetry दोनों में आदर्श।
🎤
Prelims Trick:
– हरिषेण = समुद्रगुप्त का कवि + राजनयिक
– प्रयाग प्रशस्ति = हरिषेण रचित, समुद्रगुप्त पर, इलाहाबाद स्तंभ पर।

📖 5. अभिलेख–संस्कृति, संस्कृत–प्रशस्ति और औपनिषदिक प्रभाव

उत्तर–गुप्त व उसके बाद का समय संस्कृत–अभिलेख, प्रशस्ति परंपरापुराण–धर्म + औपनिषदिक विचार के संगम का दौर है।
🕉️ 5.1 संस्कृत राजभाषा व अभिलेख
  • गुप्त से लेकर उत्तर–गुप्त काल तक संस्कृत राजभाषा बनती है।
  • शासन–संहिताएँ, अभिलेख, दान–पत्र, प्रशस्तियाँ – अधिकतर संस्कृत में।
  • पुराण–धर्म, वैष्णव–शैव भक्ति, वेदान्तिक विचार – राज–वैधता का आधार।
📚 5.2 औपनिषदिक व दार्शनिक धाराएँ
  • उपनिषदों की एक नई व्याख्या – वेदान्तिक (अद्वैत आदि) विचारों की पृष्ठभूमि।
  • बाद के समय में गौड़पाद, शंकराचार्य इत्यादि – इस बौद्धिक परंपरा के उत्तर–विकास का हिस्सा।
  • राजा को ईश्वर–प्रतिनिधि/धर्मपाल के रूप में वैधानिकता देना।
🧱 5.3 भूमि–दान, ब्राह्मण–ग्राम व अभिलेख
  • ताम्रपत्र अभिलेख – भूमि–दान की शर्तें, कर–मुक्ति, ग्राम की सीमा।
  • अग्रहारा – ब्राह्मण–ग्राम; – ब्राह्मणों को कर सहित अधिकार हस्तांतरण।
  • उत्तर–गुप्त काल में यह प्रक्रिया और तेज – – सामाजिक–आर्थिक Feudalisation की नींव।
🧠
Mains Focus: Post-Gupta = संस्कृत–प्रशस्ति + भूमि–दान + सामंतवाद + औपनिषदिक–पुराणिक विचार का संयुक्त प्रभाव।

👥 6. उत्तर–गुप्त समाज, अर्थव्यवस्था व संस्कृति (Smart Points)

🌾 समाज व अर्थव्यवस्था
  • वर्ण–व्यवस्था और अधिक जटिल; जातियों की संख्या बढ़ती है।
  • भूमि–दान से कृषक–राज्य संबंध बदल कर कृषक–सामंत संबंध की ओर।
  • शहरों की अपेक्षा ग्रामीण–अर्थव्यवस्था प्रमुख; – पर व्यापारिक मार्ग व guilds पूरी तरह समाप्त नहीं।
🎨 कला व साहित्य
  • गुप्त शैली की निरंतरता – मंदिर, मूर्तिकला, गुफाएँ।
  • संस्कृत साहित्य – कवि, नाटककार, पुराण–संहिता, स्मृति–ग्रंथ।
  • आगे चलकर – हर्षकालीन बाणभट्ट (हर्षचरित) आदि।
⚔️ राजनीतिक–सामाजिक परिवर्तन
  • एक बड़े साम्राज्य की जगह अनेक क्षेत्रीय राज्य
  • सेना व प्रशासन में सामंतों की भूमिका – – युद्ध में सहयोग, बदले में भूमि व अधिकार।
  • यही ढांचा आगे चलकर प्रारंभिक मध्यकालीन भारत की पहचान बनता है।
📝
संक्षेप में: उत्तर–गुप्त काल = कमजोर केंद्र + मजबूत स्थानीय शक्तियाँ + संस्कृत–अभिलेख + भूमि–दान व सामंतवाद
भाग – 2 : Quick Revision (Post-Gupta, Prayag Prashasti & Harishena in 3–5 मिनट)
Prelims + Mains Booster
Exam hall से पहले वाले last-minute bullets – UPSC, State PSC, UPSSSC friendly
🧭 Post-Gupta Snapshot
  • Time: c. 5th–6th century CE onwards.
  • Gupta decline → regional kingdoms rise.
  • Land grants, Samanta system expand.
  • Transition to Early Medieval India.
Post-Gupta Early Medieval
📜 Prayag Prashasti – Core
  • On Allahabad pillar (Prayagraj).
  • Written by Harishena.
  • In Sanskrit, Gupta Brahmi script.
  • Glorifies Samudragupta's conquests.
Allahabad Pillar Samudragupta
🪶 Harishena – In One Line
  • Court poet + minister.
  • Title: Mahāsandhivigrahika.
  • Composed Prayag Prashasti.
  • Model for later inscription-poets.
Court Poet Minister
🏛️ Political Pattern
  • Weak centre, strong regional powers.
  • Later Guptas, Vakatakas, Maukharis etc.
  • Samantas + land grants.
  • Frequent alliances & conflicts.
Regionalisation Samantas
📖 Inscriptions & Sanskrit
  • Sanskrit as prestige language.
  • Prashasti = eulogy of kings.
  • Copper plate land grants.
  • Upanishadic–Puranic ideas fuse.
Prashasti Land Grants
🌟 Exam Handles
  • Who wrote PP? → Harishena.
  • Located where? → Allahabad pillar.
  • Language? → Sanskrit.
  • Significance? → Model inscription, Gupta polity source.
UPSC Fav SSC/State PSC
भाग – 3 : PYQs / One Liners – उत्तर गुप्त काल व प्रयाग प्रशस्ति (Show / Hide Answer)
30+ High Yield Qs
PYQ Focus: प्रयाग प्रशस्ति, हरिषेण, इलाहाबाद स्तंभ, उत्तर–गुप्त राजनीति, भूमि–दान, संस्कृत–प्रशस्ति व समाज–अर्थव्यवस्था से जुड़े one-liners + छोटा explanation।
Q1. प्रयाग प्रशस्ति किस गुप्त सम्राट से संबंधित है? 👁️Show / Hide
उत्तर: समुद्रगुप्त
यह उनकी विजयों का संस्कृत में वर्णन करने वाली प्रसिद्ध प्रशस्ति है।
Q2. प्रयाग प्रशस्ति किसने लिखी और वह किस पद पर था? 👁️Show / Hide
उत्तर: हरिषेण; पद – महासान्धिविग्रहिक (मंत्री) व राजकवि
Harishena = कवि + राजनयिक, दोनों भूमिकाओं में महत्वपूर्ण।
Q3. प्रयाग प्रशस्ति किस स्तंभ पर अंकित है और वह वर्तमान में कहाँ स्थित है? 👁️Show / Hide
उत्तर: इलाहाबाद स्तंभ (Allahabad Pillar), प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
इसी स्तंभ पर अशोक के अभिलेख तथा बाद में जहाँगीर की इबारत भी है।
Q4. प्रयाग प्रशस्ति की भाषा व लिपि क्रमशः क्या हैं? 👁️Show / Hide
उत्तर: भाषा – संस्कृत; लिपि – ब्राह्मी की गुप्त शैली (Gupta Brahmi)
संस्कृत राजभाषा के रूप में स्थापित हो रही थी।
Q5. प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त के अधीन किस प्रकार के राज्यों का वर्गीकरण मिलता है – कोई दो उदाहरण लिखिए (MCQ में concept पूछते हैं)? 👁️Show / Hide
संकेतात्मक उत्तर: – आर्यावर्त के नरेश (पूर्ण विजय व विलय) – दक्षिणापथ के राजा (हराए, पर पुनः गद्दी पर) – सीमा–राज्य / वन–राज्य (सामंत / अधीन–मित्र) आदि।
यह वर्गीकरण गुप्त विदेशी–नीति को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
Q6. प्रयाग प्रशस्ति किस प्रकार का अभिलेख है – सामान्य आदेश, दान–पत्र, न्याय–निर्णय या प्रशस्ति (eulogy)? 👁️Show / Hide
उत्तर: प्रशस्ति (Eulogistic inscription)
इसका उद्देश्य राजा की उपलब्धियों की स्तुति करना है।
Q7. हरिषेण ने समुद्रगुप्त की तुलना किस देवता से की है जो exam narration में अक्सर पूछा जाता है? 👁️Show / Hide
संकेत: विष्णु/नारायण के समान – पृथ्वी की रक्षा करने वाला।
राजा को ईश्वर–प्रतिनिधि दिखाना प्रशस्ति–परंपरा की प्रमुख प्रवृत्ति है।
Q8. “महासान्धिविग्रहिक” पद का कार्य broadly क्या था? 👁️Show / Hide
उत्तर: संधि (treaty) व विग्रह (war) से जुड़ी विदेश–नीति का प्रमुख अधिकारी
यानी राजनयिक और सैन्य–नीति दोनों में भूमिका।
Q9. निम्न में से क्या प्रयाग प्रशस्ति की विशेषता नहीं है?
(अ) संस्कृत भाषा
(ब) काव्यात्मक शैली
(स) बौद्ध सूत्र–शैली
(द) सम्राट की स्तुति
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उत्तर: (स) बौद्ध सूत्र–शैली
यह काव्यात्मक ब्राह्मण–परंपरा की प्रशस्ति है, न कि सूत्र–ग्रंथ।
Q10. इलाहाबाद स्तंभ पर प्राचीन काल के कौन–कौन से शासकों के अभिलेख अंकित हैं (कम से कम दो)? 👁️Show / Hide
संकेतात्मक उत्तर: – मौर्य सम्राट अशोक के अभिलेख – गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति
बाद में जहाँगीर की फ़ारसी इबारत भी उसी स्तंभ पर है (History MCQs में आता है)।
Q11. Post-Gupta period को इतिहास–लेखन में किस बड़े परिवर्तन की शुरुआत माना जाता है – Imperial Integration या Regionalisation of polity? 👁️Show / Hide
उत्तर: Regionalisation of polity
एक बड़े साम्राज्य की जगह अनेक क्षेत्रीय राज्यों का उभार।
Q12. गुप्त पतन का एक महत्वपूर्ण आर्थिक कारण क्या माना जाता है – भारी समुद्री व्यापार या अत्यधिक भूमि–दान? 👁️Show / Hide
उत्तर: अत्यधिक भूमि–दान
कर–मुक्त भूमि–दान से राज्य की प्रत्यक्ष राजस्व–आय कमजोर हुई।
Q13. उत्तर–गुप्त काल की राजनीति में “सामंत” किसे कहा जाता था? 👁️Show / Hide
संकेतात्मक उत्तर: पराजित राजा/स्थानीय प्रमुख जिन्हें भूमि–दान व अधिकार देकर अधीन–मित्र या अधीन–राजा बना दिया जाता था।
वे युद्ध में सेना प्रदान करते, बदले में स्वायत्त शासन चलाते।
Q14. कौन-सा जोड़ा सही है?
(अ) महासान्धिविग्रहिक – न्यायाधीश
(ब) महासामन्त – स्थानीय सामंत/राजा
(स) विषयपति – प्रांत प्रमुख
(द) उपरिक्त – ग्राम अधिकारी
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सही उत्तर: (ब) महासामन्त – स्थानीय सामंत/राजा
बाकी pairing गलत या अधूरा है (महासान्धिविग्रहिक – संधि–विग्रह; विषयपति – जिला)।
Q15. Copper plate inscriptions (ताम्रपत्र) का मुख्य उपयोग क्या था – धार्मिक उपदेश, भूमि–दान, दंड विधान या कृषि–सूत्र? 👁️Show / Hide
उत्तर: भूमि–दान
दान–पत्रों में ग्राम की सीमा, कर–मुक्ति व अधिकारों का विवरण मिलता है।
Q16. “अग्रहारा” शब्द का संबंध किससे है – कर–मुक्त ब्राह्मण–ग्राम या राजदरबार की सेना? 👁️Show / Hide
उत्तर: कर–मुक्त ब्राह्मण–ग्राम
ब्राह्मणों को दिए गए स्थायी भूमि–दान वाले गाँव।
Q17. Post-Gupta काल में राजकोषीय आय घटने का एक प्रमुख कारण क्या था? 👁️Show / Hide
संकेतात्मक उत्तर: कर–मुक्त भूमि–दान की बढ़ती परंपरा; राज्य सीधी कर–आय खोता गया।
यह बात अधिकांश standard पुस्तकों में दर्ज है।
Q18. संस्कृत–प्रशस्ति परंपरा का “मॉडल” किस अभिलेख को माना जाता है? 👁️Show / Hide
उत्तर: प्रयाग प्रशस्ति (Samudragupta's Allahabad pillar inscription)
आगे के राजवंशों ने और भी ऐसी प्रशस्तियाँ लिखवाईं।
Q19. कौन-सा कथन सही है?
(अ) प्रयाग प्रशस्ति – पाली भाषा में है।
(ब) प्रयाग प्रशस्ति – संस्कृत प्रशस्ति है।
(स) प्रयाग प्रशस्ति – प्राकृत में है।
(द) प्रयाग प्रशस्ति – फ़ारसी में है।
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सही उत्तर: (ब) संस्कृत प्रशस्ति
यह गुप्त–कालीन संस्कृत–राजभाषा का प्रमुख उदाहरण है।
Q20. Post-Gupta समाज में किस प्रक्रिया से feudalisation (सामंतवाद) की नींव मानी जाती है – शहरीकरण या भूमि–दान? 👁️Show / Hide
उत्तर: भूमि–दान (Land grants)
ब्राह्मणों व सामंतों को अधिकार सहित गाँव देना feudal relations को बढ़ाता है।
Q21. औपनिषदिक–वेदान्तिक विचार का राजसत्ता पर क्या प्रभाव माना जाता है (संक्षेप में)? 👁️Show / Hide
संकेतात्मक उत्तर: राजा को धर्मपाल व ईश्वर–प्रतिनिधि मानकर उसकी सत्ता को आध्यात्मिक–वैधता प्रदान करना; यह प्रक्रिया पुराण–धर्म व भक्ति के साथ जुड़ी।
Essay/Mains में useful।
Q22. निम्न में से कौन-सा post-Gupta समय की विशेषता नहीं है?
(अ) क्षेत्रीय राजवंशों का उभार
(ब) एक ही सम्राट का पूरे भारत पर नियंत्रण
(स) भूमि–दान व सामंतवाद
(द) संस्कृत–प्रशस्ति परंपरा का विस्तार
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उत्तर (गलत कथन): (ब) एक ही सम्राट का पूरे भारत पर नियंत्रण
Post-Gupta में अनेक क्षेत्रीय राजवंश सक्रिय थे।
Q23. Post-Gupta काल में वर्ण–व्यवस्था की कौन-सी प्रवृत्ति विशेष रूप से देखी जाती है? 👁️Show / Hide
संकेतात्मक उत्तर: जातियों (jatis) की संख्या बढ़ना, वर्ण–आधारित सामाजिक mobility में कमी, सामाजिक hierarchy का कड़ा होना।
समाज–आधारित प्रश्नों में उपयोगी।
Q24. निम्न में से कौन-सा pairing सही नहीं है?
(अ) प्रयाग प्रशस्ति – हरिषेण
(ब) इलाहाबाद स्तंभ – अशोक + समुद्रगुप्त अभिलेख
(स) महासान्धिविग्रहिक – भूमि–मापन अधिकारी
(द) ताम्रपत्र – भूमि–दान अभिलेख
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गलत pairing: (स) महासान्धिविग्रहिक – भूमि–मापन अधिकारी
वह संधि–विग्रह (विदेश–नीति) से जुड़ा उच्च अधिकारी था।
Q25. UPSC Mains में Post-Gupta पर उत्तर लिखते समय कौन-सा central theme रखना बेहतर है? 👁️Show / Hide
संकेत: – Imperial Guptas → Regionalisation of polity → Land grants & Samantas → Sanskrit prashastis & temple culture → Early Medieval India.
यानी एक “transition” थीम पर उत्तर बनाना high scoring होता है।
Q26. “Prayag Prashasti is as much a work of literature as of history” – यह कथन किस कारण से कहा जाता है? 👁️Show / Hide
संकेतात्मक उत्तर: इसमें तथ्यात्मक जानकारी के साथ – काव्य, अलंकार, देव–उपमा, अतिशयोक्ति, भाव–प्रवण भाषा का प्रयोग है; इसलिए यह साहित्यिक प्रशस्ति + ऐतिहासिक स्रोत दोनों है।
Mains में quotation–style answer में उपयोगी line।
Q27. Uttar Gupta/Post-Gupta युग में किस प्रकार के मंदिर व मूर्तिकलाएँ गुप्त शैली को आगे बढ़ाती हैं – नागर या द्रविड़? 👁️Show / Hide
संकेत: उत्तर भारत में नागर शैली के शिखरयुक्त मंदिर, गुप्त शैली की continuity के रूप में देखे जाते हैं।
द्रविड़ शैली दक्षिण भारतीय संदर्भ में अलग विकसित होती है।
Q28. कौन-सा factor Early Medieval India की ओर संक्रमण में कम महत्वपूर्ण माना जाता है?
(अ) भूमि–दान
(ब) सामंतवाद
(स) संस्कृत–प्रशस्ति
(द) औद्योगिक क्रांति
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उत्तर (स्पष्ट): (द) औद्योगिक क्रांति
बाकी तीनों तत्व Post-Gupta → Early Medieval transition में महत्वपूर्ण हैं।
Q29. किस कारण Post-Gupta युग को “इन्सक्रिप्शन–रिच पीरियड” भी कहा जाता है? 👁️Show / Hide
संकेतात्मक उत्तर: अनेक ताम्रपत्र भूमि–दान अभिलेख, शिलालेख, स्तंभ–लेख, मंदिर–लेख; अधिकांश संस्कृत में – जो हमें राजनीति, समाज, अर्थव्यवस्था की detailed जानकारी देते हैं।
इतिहास–स्रोत वाले प्रश्नों में ये point add करना useful है।
Q30. एक exam–friendly mnemonic बनाइए: “PPHLS” = Prayag, Pillar, Harishena, Language, Samudragupta – इन पाँच शब्दों से कौन–कौन सा fact याद रखा जा सकता है? 👁️Show / Hide
संकेतात्मक उत्तर:
Prayag = प्रयाग (Prayagraj) स्थित स्तंभ
Pillar = Allahabad pillar inscription
Harishena = लेख का रचयिता, कवि–मंत्री
Language = Sanskrit
Samudragupta = glorified king
1 मिनट में पूरा प्रयाग प्रशस्ति revision के लिए short trick।

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