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भारत की नम्बर 1 स्टडी मटेरियल वेबसाइट – स्मार्ट तैयारी, पक्का चयन
अध्याय 3 ⚔️ खिलजी एवं तुगलक काल
3.2 मोहम्मद–बिन–तुगलक के प्रयोग – राजधानी परिवर्तन, टोकन मुद्रा, दोआब नीति व अन्य “असफल प्रयोग” (UPSC/PCS/RO-ARO/UPSSSC/Police)
3.2 मोहम्मद–बिन–तुगलक के प्रयोग – राजधानी परिवर्तन, टोकन मुद्रा, दोआब नीति व अन्य “असफल प्रयोग” (UPSC/PCS/RO-ARO/UPSSSC/Police)
🧪 राजधानी परिवर्तन, टोकन मुद्रा, दोआब नीति, कर–सुधार, खुरासान/कश्मीर अभियान योजनाएँ
📝 UPSC, State PCS, RO/ARO, UPSSSC, Police व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु विस्तृत नोट्स व PYQs
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भाग – 1 : विस्तृत स्टडी नोट्स – मोहम्मद–बिन–तुगलक के प्रमुख प्रयोग
गहन अध्ययन – Pre + Mains दोनों हेतु
🎯 कीवर्ड: मोहम्मद बिन तुगलक प्रयोग, राजधानी परिवर्तन, टोकन मुद्रा, दोआब नीति, कर–सुधार, UPSC/PCS Notes हिंदी।
🏰 1. परिचय – “विचारों में आगे, व्यवहार में कमजोर” शासक
मोहम्मद–बिन–तुगलक (1325–1351 ई.) तुगलक वंश का सबसे चर्चित शासक है।
उसे इतिहासकारों ने कई बार इस रूप में वर्णित किया है कि –
“विचारों में आगे, पर व्यवहार में असफल”।
उसने कई बड़े–बड़े प्रयोग किए, पर अधिकांश प्रशासनिक तैयारी, समय–चयन व जन–समर्थन की कमी से असफल रहे।
- वह विद्वान, अरबी–फारसी में पारंगत, धार्मिक विचारों में भी तेज माना जाता है।
- उसके प्रयोगों का उद्देश्य केवल “पागलपन” नहीं, बल्कि साम्राज्य को विशाल व आधुनिक बनाना था – पर क्रियान्वयन में भारी त्रुटियाँ रहीं।
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Exam Line:
“मोहम्मद–बिन–तुगलक की असफलता उसके प्रयोगों में नहीं, बल्कि उनके समय, स्थान और प्रशासनिक तैयारी की कमज़ोरी में छिपी है।” – यह वाक्य Mains में निष्कर्ष के तौर पर लिख सकते हैं।
“मोहम्मद–बिन–तुगलक की असफलता उसके प्रयोगों में नहीं, बल्कि उनके समय, स्थान और प्रशासनिक तैयारी की कमज़ोरी में छिपी है।” – यह वाक्य Mains में निष्कर्ष के तौर पर लिख सकते हैं।
📍 2. राजधानी परिवर्तन – दिल्ली से देवगिरि (दौलताबाद)
प्रयोग 1: दिल्ली से राजधानी को देवगिरि (बाद में दौलताबाद) ले जाना।
यह उसके सबसे प्रसिद्ध और विवादित निर्णयों में से एक है।
🎯 2.1 उद्देश्य (शासन की दृष्टि से)
- देवगिरि भौगोलिक रूप से लगभग मध्य स्थिति में – उत्तर व दक्षिण पर समान नियंत्रण की सोच।
- मंगोल आक्रमण से कुछ दूरी बनाना – दिल्ली की सुरक्षा।
- दक्षिण भारत में विस्तार के बाद वहाँ से कर व संसाधन पर बेहतर नियंत्रण।
🚶♂️ 2.2 क्रियान्वयन व समस्याएँ
- दिल्ली के बड़े–बड़े अमीर, आम लोग, विद्वान, सूफी, शारीरिक रूप से कमजोर लोग – लगभग सभी को देवगिरि जाने का आदेश।
- लंबी दूरी, कठोर जलवायु, पेयजल की कमी, रास्ते में बीमारी व मृत्यु।
- कई लोग यात्रा सहन नहीं कर सके; जान–माल की भारी क्षति।
- बाद में स्वयं शासक को निर्णय की कठिनाइयाँ समझ आईं और उसने लोगों को वापस दिल्ली आने की अनुमति दी।
असफलता के कारण:
- जलवायु, दूरी, जन–जीवन की वास्तविक स्थिति का गलत अनुमान।
- राजधानी केवल भवन–परिसर नहीं, बल्कि संस्कृति, व्यापार व प्रशासन का पूरा तंत्र होती है – उसको अचानक खींचकर ले जाना व्यावहारिक नहीं था।
- मंगोल खतरे के घटने के बाद भी राजधानी को वापस करने का निर्णय – इससे शासन की अस्थिर व असंगत छवि बनी।
💰 3. टोकन मुद्रा (कमी मुल्य धातु की मुद्रा) प्रयोग
प्रयोग 2: चाँदी की कमी दूर करने और बड़े साम्राज्य में
मुद्रा–आपूर्ति बढ़ाने हेतु कमी मूल्य धातु (ताँबा/पीतल) की टोकन मुद्रा जारी करना।
🪙 3.1 योजना क्या थी?
- ताँबा/पीतल के सिक्कों को राज्य–आदेश से चाँदी के बराबर मूल्य देना।
- लोग पुराने चाँदी के सिक्कों को जमा कर लें, नई टोकन मुद्रा से लेन–देन करें।
- राज्य के लिए – कम लागत में अधिक मुद्रा बन पाती, जिससे खर्च चलाना आसान होता।
⚠️ 3.2 व्यावहारिक परिणाम
- जनता व कारीगरों ने नकली टोकन सिक्कों की बाढ़ ला दी, क्योंकि ताँबा–पीतल आसानी से उपलब्ध था।
- राज्य के पास नकली–असली का सही भेद करने की प्रभावी व्यवस्था नहीं थी।
- बाजार में टोकन मुद्रा पर विश्वास घटा, लोग चाँदी/सोने में लेन–देन चाहने लगे।
- अंततः शासक को यह प्रयोग वापस लेना पड़ा और लोगों को टोकन सिक्कों के बदले चाँदी देने का आदेश देना पड़ा – इससे खजाने पर भारी बोझ पड़ा।
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समझने लायक बिंदु:
विचार आधुनिक था (कम मूल्य धातु की मुद्रा), पर नकली सिक्कों की रोकथाम, जनता की तैयारी, मुहर–तकनीक आदि पर ध्यान न देकर इसे अचानक लागू करना ही असफलता का मूल कारण बना।
विचार आधुनिक था (कम मूल्य धातु की मुद्रा), पर नकली सिक्कों की रोकथाम, जनता की तैयारी, मुहर–तकनीक आदि पर ध्यान न देकर इसे अचानक लागू करना ही असफलता का मूल कारण बना।
🌾 4. दोआब नीति – कर–दर में वृद्धि
प्रयोग 3: गंगा–यमुना के बीच उपजाऊ क्षेत्र दोआब में
लगान की दर अत्यधिक बढ़ाना, ताकि राज्य की आय बढ़ सके।
- दोआब क्षेत्र को सबसे अधिक उपजाऊ मानकर यहाँ से अधिकतम कर लेने की सोच।
- लगान की दर को प्रायः उपज के आधे से भी अधिक तक ले जाने की कोशिश।
- कठोर वसूली, गाँव–गाँव जाकर लगान की मांग; स्थानीय अधिकारी भी अपनी ओर से कठोरता व भ्रष्टाचार दिखाते रहे।
- नतीजतन – किसानों पर भारी बोझ, पलायन, बगावत और उत्पादन में गिरावट।
असफलता के मुख्य कारण:
- अकाल व प्राकृतिक परिस्थितियों को नज़रअंदाज़ कर स्थिर उच्च लगान की नीति।
- किसानों की भुगतान–क्षमता से अधिक कर–दर, जिससे वे भागने लगे।
- स्थानीय अधिकारियों द्वारा अत्याचार व भ्रष्टाचार, जिससे जनता में शासन के प्रति गहरी नाराज़गी हुई।
🧭 5. अन्य महत्वपूर्ण प्रयोग (संक्षेप में)
⚔️ 5.1 खुरासान व कराची–कश्मीर योजनाएँ
- खुरासान (ईरान क्षेत्र) पर आक्रमण की योजना – बड़ी सेना व धन जुटाने की तैयारी, पर अंततः योजना स्थगित/त्याग दी गई।
- बहुत–सी दूरगामी सैन्य योजनाएँ – पर अंत तक अधूरी या बदल दी गईं, जिससे राज्य की ऊर्जा व्यर्थ हुई।
🏞️ 5.2 पहाड़ी क्षेत्रों में आबादी बसाने के प्रयोग
- कुछ क्षेत्रों (जैसे पहाड़ी या जंगल वाले क्षेत्र) में नए शहर बसाने की योजना।
- कठिन भू–भाग, जल–संसाधन की कमी, लोगों की अनिच्छा – इन कारणों से प्रयोग सफल नहीं हो सके।
⚖️ 6. सभी प्रयोगों की असफलता के साझा कारण
- जल्दबाज़ी व अत्यधिक महत्वाकांक्षा: योजनाएँ बड़ी थीं, पर तैयारी कम।
- जन–मानस व स्थानीय परिस्थितियों की अनदेखी: राजधानी का मौसम, किसानों की स्थिति, बाज़ार की मानसिकता को सही नहीं समझा।
- अधिकारी–तंत्र की कमजोरी: भ्रष्ट व कठोर अधिकारी योजनाओं को जनता तक पहुँचाने में पारदर्शी नहीं रहे; इससे विद्रोह व असंतोष बढ़ा।
- नीतियों का बार–बार बदलना: पहले लागू, फिर अचानक समाप्त – इससे शासन की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग गया।
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Mains हेतु सार वाक्य:
“मोहम्मद–बिन–तुगलक की नीतियाँ ‘काल से आगे’ थीं, पर उन्होंने प्रशासन, समाज व अर्थ–व्यवस्था की वास्तविक सीमाओं का सही अंकलन न करके स्वयं अपने लिए संकट तैयार कर दिया।”
“मोहम्मद–बिन–तुगलक की नीतियाँ ‘काल से आगे’ थीं, पर उन्होंने प्रशासन, समाज व अर्थ–व्यवस्था की वास्तविक सीमाओं का सही अंकलन न करके स्वयं अपने लिए संकट तैयार कर दिया।”
मोहम्मद बिन तुगलक प्रयोग नोट्स
राजधानी परिवर्तन व टोकन मुद्रा
दोआब नीति UPSC Hindi
Delhi Sultanate Tughlaq Reforms
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भाग – 2 : क्विक स्मार्ट रिवीजन – मोहम्मद–बिन–तुगलक के प्रयोग (2–3 मिनट में)
Quick Smart Revision (Hindi)
⚡ 2–3 मिनट में पूरा टॉपिक रिवाइज करने के लिए हाई–यील्ड पॉइंट्स (Pre, Mains व One–Day Exams के लिए)।
1️⃣ शासक व काल
- मोहम्मद–बिन–तुगलक (1325–1351 ई.)।
- तुगलक वंश का प्रमुख शासक।
- उच्च शिक्षा प्राप्त, महत्वाकांक्षी, प्रयोगशील।
2️⃣ प्रमुख प्रयोग (3 मुख्य)
- राजधानी परिवर्तन – दिल्ली से देवगिरि (दौलताबाद)।
- टोकन मुद्रा – ताँबे/पीतल के सिक्के।
- दोआब नीति – अधिक लगान।
📍 3️⃣ राजधानी परिवर्तन – सार
- उद्देश्य – मध्य स्थिति, दक्षिण पर नियंत्रण, मंगोल से दूरी।
- परिणाम – लंबी यात्रा, जल–कमी, मौतें, असंतोष।
- अंततः – पुनः दिल्ली वापसी, प्रयोग असफल।
💰 4️⃣ टोकन मुद्रा – सार
- ताँबा/पीतल = चाँदी के बराबर घोषित।
- नकली सिक्कों की बाढ़, बाजार में अविश्वास।
- अंततः वापस ली गई; खजाने पर भारी बोझ।
🌾 5️⃣ दोआब नीति – सार
- उपजाऊ क्षेत्र – अधिकतम लगान।
- किसानों पर अत्यधिक बोझ, पलायन, विद्रोह।
- शासन के प्रति गहरी नाराज़गी।
⚖️ 6️⃣ असफलता के कारण – एक नज़र
- अत्यधिक महत्वाकांक्षा, कम तैयारी।
- जन–मानस व परिस्थितियों की अनदेखी।
- अधिकारी–तंत्र की कमजोरी व भ्रष्टाचार।
- नीतियों का बार–बार बदलना।
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Super Trick (MBT Experiments):
“रा–टो–दो” → राजधानी, टोकन, दोआब – तीन मुख्य प्रयोग एक ही शब्द से याद: रा–टो–दो (राजा ने “रा–टो–दो” वाली नीति कर दी → सब बिगड़ गया)।
“रा–टो–दो” → राजधानी, टोकन, दोआब – तीन मुख्य प्रयोग एक ही शब्द से याद: रा–टो–दो (राजा ने “रा–टो–दो” वाली नीति कर दी → सब बिगड़ गया)।
Muhammad bin Tughlaq Experiments
राजधानी परिवर्तन व टोकन मुद्रा
दोआब नीति Quick Revision
❓
भाग – 3 : PYQ व एक पंक्ति प्रश्न – मोहम्मद–बिन–तुगलक के प्रयोग (Show / Hide + विस्तृत व्याख्या)
40 के करीब महत्वपूर्ण प्रश्न
यहाँ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए पैटर्न पर आधारित
मोहम्मद–बिन–तुगलक के प्रयोगों से संबंधित वन–लाइनर प्रश्न + उत्तर के बाद संक्षिप्त व्याख्या दी गई है।
इससे केवल तथ्य नहीं, बल्कि Reason–Why भी क्लियर होगा।
Q1. मोहम्मद–बिन–तुगलक किस वंश का शासक था? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: तुगलक वंश का।
Q2. मोहम्मद–बिन–तुगलक का शासनकाल लगभग कब से कब तक रहा? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: 1325–1351 ई.
Q3. राजधानी परिवर्तन का प्रयोग किसने किया – अलाउद्दीन खिलजी या मोहम्मद–बिन–तुगलक? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: मोहम्मद–बिन–तुगलक ने।
Q4. किस स्थान को मोहम्मद–बिन–तुगलक ने “दौलताबाद” नाम दिया? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: देवगिरि को।
Q5. राजधानी परिवर्तन का एक प्रमुख घोषित उद्देश्य क्या था? 👁️उत्तर देखें
संक्षिप्त उत्तर: साम्राज्य के मध्य में राजधानी रखकर उत्तर व दक्षिण पर समान नियंत्रण तथा मंगोलों से दूरी।
Q6. राजधानी परिवर्तन के प्रयोग की असफलता का सबसे बड़ा व्यावहारिक कारण क्या था? 👁️उत्तर देखें
मुख्य कारण: लंबी दूरी, जल–कमी, जलवायु व लोगों की शारीरिक–आर्थिक क्षमता का गलत अनुमान।
Q7. क्या मोहम्मद–बिन–तुगलक ने बाद में राजधानी पुनः दिल्ली वापस की? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: हाँ, उसने लोगों को वापस दिल्ली लौटने की अनुमति दी।
Q8. टोकन मुद्रा प्रयोग में किस धातु के सिक्के जारी किए गए थे? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: ताँबा/पीतल।
Q9. टोकन मुद्रा प्रयोग का घोषित उद्देश्य क्या था? 👁️उत्तर देखें
संक्षेप: चाँदी की कमी के बीच कम मूल्य धातु के सिक्कों से मुद्रा–आपूर्ति बढ़ाना।
Q10. टोकन मुद्रा प्रयोग में सबसे बड़ी समस्या क्या पैदा हुई? 👁️उत्तर देखें
मुख्य समस्या: नकली टोकन सिक्कों की बाढ़ – हर कोई सिक्के ढालने लगा।
Q11. टोकन मुद्रा वापस लेने पर राज्य को क्या आर्थिक नुकसान हुआ? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: सरकार को नकली–असली सभी सिक्कों के बदले चाँदी देनी पड़ी,
जिससे खजाने पर भारी बोझ पड़ा।
Q12. दोआब नीति किस भौगोलिक क्षेत्र से संबंधित थी? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: गंगा–यमुना दोआब क्षेत्र से।
Q13. दोआब नीति के अंतर्गत कर–दर में क्या बदलाव किया गया? 👁️उत्तर देखें
संक्षेप: उपज का हिस्सा बढ़ाकर लगभग आधे या उससे भी अधिक तक वसूलने की कोशिश की गई।
Q14. दोआब नीति का किसानों पर क्या प्रभाव पड़ा? 👁️उत्तर देखें
प्रभाव: बोझ अत्यधिक बढ़ा, पलायन, विद्रोह व उत्पादन में गिरावट।
Q15. क्या दोआब नीति को “कठोर राजस्व नीति” के उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: हाँ, यह अत्यधिक कठोर व व्यवहारिकता से दूर राजस्व नीति का उदाहरण है।
Q16. मुहम्मद–बिन–तुगलक की असफल नीतियों के पीछे कौन–सा तंत्र विशेष रूप से कमजोर था – सेना या प्रशासनिक अधिकारी–तंत्र? 👁️उत्तर देखें
संक्षेप: प्रशासनिक अधिकारी–तंत्र; भ्रष्टाचार व उत्पीड़न ने नीतियों को और अधिक अलोकप्रिय बनाया।
Q17. “विचारों में आधुनिक, व्यावहारिकता में कमजोर” – यह टिप्पणी किस शासक पर अधिक लागू होती है – अलाउद्दीन या मोहम्मद–बिन–तुगलक? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: मोहम्मद–बिन–तुगलक।
Q18. क्या मोहम्मद–बिन–तुगलक ने खुरासान पर आक्रमण की भी योजना बनाई थी? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: हाँ, पर युद्ध–तैयारी व परिस्थितियों के कारण योजना पूरी तरह लागू नहीं हो सकी।
Q19. क्या राजधानी परिवर्तन प्रयोग का एक कारण मंगोल आक्रमण से दूरी बनाना भी था? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: हाँ, दिल्ली मंगोल हमलों के मार्ग के पास थी, जबकि देवगिरि अपेक्षाकृत सुरक्षित माना गया।
Q20. टोकन मुद्रा प्रयोग की असफलता से हमें कौन–सा आर्थिक पाठ (lesson) मिलता है? 👁️उत्तर देखें
सार: केवल आदेश से किसी मुद्रा की कीमत तय नहीं की जा सकती;
विश्वास, नकली–रोधक तकनीक और मजबूत तंत्र आवश्यक हैं।
Q21. “रा–टो–दो” ट्रिक से आप कौन–से तीन प्रयोग याद रखते हैं?👁️उत्तर
उत्तर: राजधानी परिवर्तन, टोकन मुद्रा, दोआब नीति।
Q22. क्या दोआब नीति केवल दोआब तक सीमित रही या अन्य क्षेत्रों में भी कठोर कर लागू हुए?👁️उत्तर
संक्षेप: दोआब पर विशेष फोकस था, पर कठोर राजस्व नीति की छाया अन्य क्षेत्रों पर भी पड़ी।
Q23. क्या मोहम्मद–बिन–तुगलक के प्रयोगों से सल्तनत की राजनीतिक स्थिरता बढ़ी या घटी?👁️उत्तर
उत्तर: घटी; विद्रोह, पलायन और असंतोष के कारण केंद्र कमजोर हुआ।
Q24. क्या टोकन मुद्रा प्रयोग के समय नकली सिक्के केवल आम जनता ने बनाए या कुछ अमीर वर्ग भी शामिल थे?👁️उत्तर
विश्लेषणात्मक: दोनों – ताँबे/पीतल की आसान उपलब्धता के कारण हर स्तर पर नकली सिक्के ढलने लगे।
Q25. क्या राजधानी परिवर्तन से दक्षिण भारत पर नियंत्रण वास्तव में मजबूत हुआ?👁️उत्तर
उत्तर: अल्पकालिक प्रशासनिक पहुँच तो बढ़ी, पर दीर्घकाल में असंतोष व अव्यवस्था ने नियंत्रण कमजोर कर दिया।
Q26. क्या मोहम्मद–बिन–तुगलक को “प्रयोगवादी” शासक कहा जा सकता है?👁️उत्तर
उत्तर: हाँ, उसके शासनकाल की सबसे बड़ी विशेषता ही प्रयोग–प्रधान नीतियाँ हैं।
Q27. MCQ में यदि “दौलताबाद” शब्द आए, तो आपको तुरंत कौन–सा टॉपिक याद रखना चाहिए?👁️उत्तर
उत्तर: राजधानी परिवर्तन – दिल्ली से देवगिरि/दौलताबाद (मोहम्मद–बिन–तुगलक)।
Q28. “कम मूल्य धातु की मुद्रा” प्रयोग से किस शासक का नाम तुरंत जुड़ता है?👁️उत्तर
उत्तर: मोहम्मद–बिन–तुगलक।
Q29. कौन–सा प्रयोग किसानों से सीधा जुड़ा है – टोकन मुद्रा या दोआब नीति?👁️उत्तर
उत्तर: दोआब नीति (राजस्व/लगान से संबंधित)।
Q30. एग्ज़ाम लिखने लायक सार – “मोहम्मद–बिन–तुगलक के प्रयोगों की ऐतिहासिक उपयोगिता क्या है?”👁️उत्तर
मॉडल लाइन:
“मोहम्मद–बिन–तुगलक के प्रयोग मध्यकालीन भारतीय इतिहास में
इस बात की सीख देते हैं कि केवल अच्छे विचार पर्याप्त नहीं,
बल्कि स्थान–काल, प्रशासनिक क्षमता, जन–समर्थन और व्यावहारिक नीति का संतुलन भी उतना ही आवश्यक है।”
