दक्षिण मध्यकालीन भारत – चोल, चेर व पांड्य (नौसैनिक शक्ति, मंदिर अर्थव्यवस्था, समुद्री व्यापार) || Chola, Chera & Pandya Notes | Early Medieval South India

दक्षिण मध्यकालीन भारत – चोल, चेर व पांड्य (नौसैनिक शक्ति, मंदिर अर्थव्यवस्था, समुद्री व्यापार) || Chola, Chera & Pandya Notes | Early Medieval South India

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Early Medieval South India5️⃣ दक्षिण भारत – चोल, चेर व पांड्य (समुद्री शक्ति, मंदिर–अर्थव्यवस्था व सांस्कृतिक विस्तार)
🚢 चोल नौसैनिक शक्ति, प्रशासन, मंदिर–केंद्रित अर्थव्यवस्था, नगर–व्यवस्था, चेर–पांड्य की भूमिका, समुद्री व्यापार व सांस्कृतिक प्रसार 📚 NCERT + मानक इतिहास पुस्तकें + विश्वसनीय वेबसाइट आधारित स्मार्ट नोट्स (UPSC / PCS / SSC / Railway / State Exams)
📚 मध्यकालीन भारतीय इतिहास अध्याय 1 : प्रारंभिक मध्यकालीन भारत (650–1200 ई.) दक्षिण भारत – चोल, चेर, पांड्य
📘 भाग – 1 : विस्तृत स्टडी नोट्स – दक्षिण भारत के प्रारंभिक मध्यकालीन राज्य (चोल, चेर, पांड्य)
UPSC / State PCS Level
🎯 डेटा आधार – NCERT (कक्षा 6–12), तमिलनाडु बोर्ड, मानक इतिहास पुस्तकें, भरोसेमंद शिक्षा वेबसाइट – सरल हिंदी में समन्वित रूप।

🧭 1. दक्षिण भारत – प्रारंभिक मध्यकाल में स्थिति

प्रारंभिक मध्यकाल (लगभग 7वीं–12वीं सदी) में दक्षिण भारत में तीन प्रमुख राजवंशों – चोल, चेर, पांड्य – की महत्वपूर्ण भूमिका रही। ये केवल क्षेत्रीय शक्ति नहीं थे, बल्कि समुद्री व्यापार, मंदिर–केंद्रित अर्थव्यवस्था, नगर–विकास व सांस्कृतिक प्रसार
  • चोल: कावेरी–डेल्टा से उठकर शक्तिशाली साम्राज्य, नौसैनिक शक्ति के लिए प्रसिद्ध।
  • चेर: पश्चिमी तट (केरल क्षेत्र), मसालों व समुद्री व्यापार से जुड़ा राजवंश।
  • पांड्य: दक्षिण–पूर्व (मदुरै केन्द्र), मोती–मछली, लंका व दक्षिण–पूर्व एशिया से संपर्क।
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Prelims Tip: “तीन C” याद रखें – Chola (Coromandel), Chera (Coconut–Coast / Kerala), Pandya (Pearl–Fishery / Madurai) – समुद्री–व्यापार से जुड़ी पहचान।

🏰 2. चोल साम्राज्य – उदय, प्रमुख शासक व विस्तार

🌾 2.1 क्षेत्र व राजधानी
  • मुख्य क्षेत्र – कावेरी–डेल्टा (तंजावुर, उरैयूर आदि)।
  • राजधानी – तंजावुर, बाद में गंगैकोंडा चोलपुरम।
  • समुद्री तट – कोरोमंडल तट, बंदरगाह – नागपट्टनम आदि।
👑 2.2 प्रमुख शासक
  • रार्जराज चोल I: तंजावुर मंदिर निर्माण, नौसैनिक व स्थलीय विस्तार।
  • राजेन्द्र चोल I: गंगैकोंडा चोलपुरम की स्थापना, गंगा तक विजय का दावा, समुद्री अभियानों का विस्तार।
  • अन्य – कुलोत्तुंग, आदित्य आदि शासकों ने भी साम्राज्य की शक्ति बढ़ाई।
2.3 सांस्कृतिक पहचान
  • विशाल मंदिर–निर्माण – विशेषकर द्रविड़ शैली के ऊँचे गोपुरम।
  • ब्राह्मणों, मंदिरों व कला–संरक्षण के माध्यम से राजनीतिक वैधता।
  • तमिल साहित्य, शिलालेख, नृत्य, संगीत – सब पर चोल का गहरा प्रभाव।

📜 3. चोल प्रशासन – गाँव से साम्राज्य तक

🏛️ 3.1 केन्द्रीय प्रशासन
  • राजा – सर्वोच्च; “सम्राट”, “चक्रवर्ती” जैसी उपाधियाँ।
  • मंत्रिपरिषद, उच्च अधिकारी, सेना के प्रधान, मंदिर–प्रबंधक – राजा के अधीन।
  • कई पद hereditary (वंशानुगत) – सामन्ती–जैसा ढाँचा और मजबूत राजा दोनों।
🗺️ 3.2 प्रांतीय / क्षेत्रीय विभाजन
  • साम्राज्य को कई भागों में बाँटा गया – मंडल (महा-मंडल), नाडु, कुर्रम आदि।
  • हर स्तर पर अधिकारी – कर वसूलना, कानून लागू करना, सेना जुटाना।
  • अनेक स्थानों पर स्थानीय कुलीन व भू–स्वामी भी प्रशासन में जुड़ते थे।
🏘️ 3.3 ग्राम पंचायत प्रणाली – सभा, उर, नागरम्
  • सभा: ब्राह्मण–ग्राम की पंचायत (ब्रह्मदेय गाँव)।
  • उर: सामान्य गाँव की सभा (नॉन–ब्राह्मण)।
  • नागरम्: व्यापारी–नगर की परिषद।
  • ये संस्थाएँ कर–निर्धारण, सिंचाई, सड़क–मरम्मत, मंदिर–प्रबंधन तक देखती थीं।
📌
परीक्षा–बिंदु: चोल प्रशासन के उत्तर में हमेशा सभा–उर–नागरम् का उदाहरण अवश्य दें – “दक्षिण भारत में स्थानीय स्वशासन (local self–government) की मजबूत परंपरा” दिखाने के लिए।

🚢 4. चोल नौसैनिक शक्ति, समुद्री व्यापार व सांस्कृतिक विस्तार

4.1 नौसैनिक शक्ति
  • चोल अपने समय के सबसे शक्तिशाली भारतीय नौसैनिक माने जाते हैं।
  • उन्होंने श्रीलंका, मालदीव, दक्षिण–पूर्व एशिया तक जहाजी अभियान चलाए।
  • राजेन्द्र चोल के समय समुंदर–पारी अभियानों का विस्तृत वर्णन मिलता है।
🌏 4.2 समुद्री व्यापार
  • कोरोमंडल व मलय तट के बीच गहरा संपर्क।
  • चीन, श्रीविजय (इंडोनेशिया), अरब, श्रीलंका तक व्यापारिक जहाज जाते थे।
  • निर्यात – कपड़ा, मसाले, मोती, हाथी दाँत; आयात – घोड़े, कीमती धातु, विलासी वस्तुएँ।
🕉️ 4.3 सांस्कृतिक विस्तार
  • दक्षिण–पूर्व एशिया के अनेक क्षेत्रों में भारतीय स्थापत्य, देवी–देवता, लिपि का प्रभाव।
  • मंदिर–आधारित कला–संस्कृति, शिलालेख, तमिल साहित्य – विदेश तक पहुँचा।
  • कई स्थानों पर “इंडियनाइज्ड किंगडम” की अवधारणा – जहाँ स्थानीय शासक भारतीय शैली अपनाते हैं।

5. मंदिर–केंद्रित अर्थव्यवस्था और नगर–संरचना

💰 5.1 मंदिर – आर्थिक केन्द्र
  • मंदिर केवल पूजा–स्थल नहीं, बल्कि भूमि–स्वामी थे।
  • मंदिरों के पास गाँव, खेत, तालाब, गोदाम, पशु–धन आदि होते थे।
  • यही मंदिर रोज़गार, अन्न–भंडारण, कला–सहयोग, दान के केन्द्र बनते थे।
🏙️ 5.2 नगर–व्यवस्था
  • बड़े मंदिर–शहर – जैसे तंजावुर – के चारों ओर बाजार, कारीगर, व्यापारी बसते थे।
  • सड़कों, सराय, जलस्रोत, गोदाम आदि की देखभाल स्थानीय निकाय करते थे।
  • “नागरम्” संस्था – व्यापारिक नगर की परिषद – व्यापारी व शिल्पी इसमें भाग लेते थे।
👨‍🏭 5.3 शिल्पी व व्यापारी संगठन
  • दक्षिण भारत में प्रसिद्ध व्यापारी संघ – जैसे “माणिग्रमम्”, “अाइनूरु वर” आदि का उल्लेख।
  • ये संघ दूर–दूर तक व्यापार करते, अपने जहाज व गोदाम रखते थे।
  • मंदिर इन्हें संरक्षण व सुरक्षा प्रदान करते, बदले में ये दान व सेवा देते।

🌴 6. चेर व पांड्य – समुद्री व्यापार व संस्कृति में योगदान

🥥 6.1 चेर (Chera)
  • क्षेत्र – वर्तमान केरल व आस–पास का पश्चिमी तट।
  • पुरातन समय से मसालों (काली मिर्च), नारियल, समुद्री व्यापार से जुड़ा।
  • रोमन, अरब, बाद में अन्य शक्तियों के साथ व्यापार परंपरा।
🐚 6.2 पांड्य (Pandya)
  • क्षेत्र – मदुरै केन्द्र, दक्षिण–पूर्वी तट व उससे जुड़े इलाके।
  • मोती–मछली (Pearl–Fishery), मछली–व्यापार व समुद्री संपर्क के लिए प्रसिद्ध।
  • श्रीलंका एवं दक्षिण–पूर्व एशिया से सांस्कृतिक व व्यापारिक संबंध।
📚 6.3 सांस्कृतिक योगदान
  • संगम साहित्य की परंपरा – चोल, चेर, पांड्य सबका योगदान।
  • मंदिर, नृत्य, संगीत, तमिल–भाषा, भक्ति–आंदोलन – दक्षिण भारतीय संस्कृति की धारा।
  • विदेशी यात्रियों ने इन क्षेत्रों के शहरों, बंदरगाहों, बाजारों का वर्णन किया।
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Mains निष्कर्ष–लाइन:
“प्रारंभिक मध्यकालीन दक्षिण भारत में चोल, चेर व पांड्य केवल क्षेत्रीय राजवंश नहीं थे, बल्कि मंदिर–केंद्रित अर्थव्यवस्था, स्थानीय स्वशासन, नौसैनिक शक्ति व समुद्री व्यापार के माध्यम से पूरे हिंद महासागर–विश्व में भारतीय प्रभाव के प्रमुख वाहक थे।”
भाग – 2 : त्वरित पुनरावृत्ति (दक्षिण भारत – चोल, चेर, पांड्य) – हिंदी शॉर्ट नोट्स
3–4 मिनट रिवीजन
Prelims + Mains के लिए मुख्य बिंदु – सीधा याद रहने वाला सार
🧭 1. मुख्य राजवंश
  • चोल – कावेरी–डेल्टा, तंजावुर; नौसैनिक व मंदिर–केंद्रित शक्ति।
  • चेर – केरल तट; मसाले व व्यापार।
  • पांड्य – मदुरै; मोती–मछली व समुद्री व्यापार।
Chola Chera Pandya
👑 2. चोल – प्रमुख शासक
  • रार्जराज I – तंजावुर मंदिर, स्थलीय–समुद्री विस्तार।
  • राजेन्द्र I – गंगैकोंडा चोलपुरम, गंगा–अभियान, विदेश अभियानों की परंपरा।
Rajaraja I Rajendra I
📜 3. चोल प्रशासन
  • राजा – सर्वोच्च, पर स्थानीय पंचायतें बहुत सक्रिय।
  • मंडल–नाडु–कुर्रम – प्रशासनिक विभाजन।
  • सभा (ब्राह्मण गाँव), उर (सामान्य गाँव), नागरम् (व्यापारी नगर)।
Local Self Govt
🚢 4. नौसैनिक शक्ति व व्यापार
  • श्रीलंका, दक्षिण–पूर्व एशिया तक जहाजी अभियान।
  • समुद्री व्यापार – कपड़ा, मसाले, मोती, घोड़े, धातु।
  • चोल–केंद्रित हिंद महासागर व्यापार नेटवर्क।
Indian Ocean
5. मंदिर–अर्थव्यवस्था व नगर
  • मंदिर = भूमि–स्वामी + नियोक्ता + भंडार–केंद्र।
  • तंजावुर जैसे मंदिर–नगर, व्यापारी–संघ, शिल्पी–बस्तियाँ।
  • नगरों को “नागरम्” संस्था संचालित करती थी।
Temple Economy
🌴 6. चेर व पांड्य – संक्षेप में
  • चेर – केरल; मसाला–व्यापार, पश्चिमी तट के बंदरगाह।
  • पांड्य – मदुरै; मोती–मछली, श्रीलंका–संपर्क।
  • तीनों – संगम परंपरा, मंदिर व तमिल–संस्कृति से जुड़े हुए।
Spice Trade Pearl Fishery
भाग – 3 : PYQ / One Liners – दक्षिण भारत (चोल, चेर, पांड्य) – Show / Hide Answer
40+ High Yield Qs
फोकस: चोल नौसैनिक शक्ति, प्रशासन, सभा–उर–नागरम्, मंदिर–अर्थव्यवस्था, चेर–पांड्य, समुद्री व्यापार व सांस्कृतिक विस्तार – 1–2 लाइन के छोटे, सटीक प्रश्न–उत्तर।
Q1. प्रारंभिक मध्यकाल में दक्षिण भारत के तीन प्रमुख राजवंश कौन–से थे? 👁️Show / Hide
उत्तर: चोल, चेर और पांड्य।
इनके साथ कभी–कभी चालुक्य, होयसल आदि भी संदर्भ में आते हैं, पर मुख्य त्रय यही है।
Q2. चोलों की शक्ति का मुख्य क्षेत्र कौन सा था – कावेरी–डेल्टा या गंगा–घाटी? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: कावेरी–डेल्टा (दक्षिण भारत)।
गंगा–घाटी उत्तर भारतीय शक्तियों से जुड़ी है।
Q3. रार्जराज चोल I किस लिए प्रसिद्ध हैं – तंजावुर मंदिर या कुतुब मीनार के निर्माण के लिए? 👁️Show / Hide
उत्तर: तंजावुर का बृहदेश्वर मंदिर (बड़ा शिव मंदिर) बनवाने के लिए।
कुतुब मीनार – बाद में दिल्ली सल्तनत के समय।
Q4. राजेन्द्र चोल I ने कौन–सा नया नगर/राजधानी बसाई, जो उनकी गंगा–विजय का प्रतीक माना जाता है? 👁️Show / Hide
उत्तर: गंगैकोंडा चोलपुरम।
अर्थ – “गंगा जीत कर लौटे चोल की राजधानी”।
Q5. चोल प्रशासन में ब्राह्मण–ग्राम की ग्राम–सभा को क्या कहा जाता था – सभा या उर? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: सभा।
उर – सामान्य गाँव की पंचायत।
Q6. चोल शासन में व्यापारी–नगर की परिषद को क्या कहा जाता था – नागरम् या महासभा? 👁️Show / Hide
उत्तर: नागरम्।
यह व्यापारी व शिल्पी–समूहों की संस्था थी।
Q7. किस राजवंश को प्रारंभिक मध्यकाल में भारत की प्रमुख नौसैनिक शक्ति माना जाता है – चोल या नंद? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: चोल।
इनकी समुद्री शक्ति दक्षिण–पूर्व एशिया तक प्रसिद्ध थी।
Q8. चेर राजवंश मुख्यतः किस क्षेत्र से सम्बंधित था – केरल तट या कावेरी–डेल्टा? 👁️Show / Hide
उत्तर: केरल तट व उसके आसपास का पश्चिमी तटीय क्षेत्र।
चोल – कावेरी–डेल्टा।
Q9. पांड्य राजवंश की मुख्य राजधानी कौन–सी मानी जाती है – मदुरै या तंजावुर? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: मदुरै।
तंजावुर – चोल राजधानी।
Q10. किस राजवंश को मोती–मछली (Pearl Fishery) के लिए जाना जाता है – पांड्य या गुप्त? 👁️Show / Hide
उत्तर: पांड्य।
समुद्री तट व मोती–मछली से सम्बंधित व्यापार।
Q11. चोल शासन में मंदिर क्या–क्या भूमिका निभाते थे – केवल पूजा–स्थल या आर्थिक–सामाजिक केन्द्र भी? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक – सभी प्रकार के केन्द्र।
मंदिरों के पास भूमि, गोदाम, कर्मचारी, शिल्पी आदि होते थे।
Q12. चोल शासन में “सभा” किस स्तर की संस्था थी – ग्राम या साम्राज्य स्तर पर? 👁️Show / Hide
उत्तर: ग्राम स्तर की संस्था (ब्राह्मण–ग्राम पंचायत)।
इसे स्थानीय स्वशासन का उदाहरण माना जाता है।
Q13. चोल–कालीन प्रशासन में “उर” का क्या अर्थ था? 👁️Show / Hide
संक्षिप्त उत्तर: सामान्य गाँव की ग्राम–सभा/पंचायत (नॉन–ब्राह्मण गाँव)।
सभा – ब्राह्मण गाँव के लिए प्रयुक्त शब्द।
Q14. निम्न में से कौन–सा जोड़ा सही है?
(अ) चोल – तंजावुर
(ब) चेर – केरल तट
(स) पांड्य – मदुरै
(द) उपरोक्त सभी
👁️Show / Hide
सही विकल्प: (द) उपरोक्त सभी।
ये basic mapping प्रश्न बार–बार पूछे जाते हैं।
Q15. चोलों का समुद्री व्यापार मुख्यतः किन क्षेत्रों से था – श्रीलंका व दक्षिण–पूर्व एशिया या मध्य एशिया के स्थलीय मार्गों से? 👁️Show / Hide
उत्तर: श्रीलंका, दक्षिण–पूर्व एशिया, चीन, अरब आदि से समुद्री मार्गों द्वारा।
स्थलीय मार्ग अधिकतर उत्तर–पश्चिम से जुड़ते हैं।
Q16. चोल–काल के बड़े मंदिर–नगरों में से एक, जो UNESCO Heritage भी है – उसका नाम क्या है? 👁️Show / Hide
संकेतात्मक उत्तर: तंजावुर का बृहदेश्वर मंदिर (राजाराजेश्वरम)।
Dravidian शैली का ऊँचा शिखर, चोल–कला का प्रतीक।
Q17. दक्षिण भारत के व्यापारी–संघों में से एक प्रसिद्ध संघ का नाम लिखिए, जो दूर–दूर तक व्यापार करता था। 👁️Show / Hide
उदाहरण: माणिग्रमम्, अइनूरु–वर (Ayyavole–500) आदि।
इनका उल्लेख शिलालेखों व विदेशी स्रोतों में मिलता है।
Q18. चेर राजवंश किस प्रमुख उत्पाद के कारण निरंतर विदेशी व्यापार में महत्वपूर्ण था – मसाले या घोड़े? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: मसाले (विशेषकर काली मिर्च)।
घोड़े अधिकतर अरब/मध्य–एशिया से भारत आते थे।
Q19. पांड्य राजवंश की एक महत्वपूर्ण समुद्री विशेषता – ______ मछली–व्यवसाय से जुड़ी है। (रिक्त स्थान भरें) 👁️Show / Hide
उत्तर: मोती–मछली (Pearl–Fishery)।
तमिल–ग्रन्थों व विदेशी विवरणों में उल्लेख।
Q20. “मंदिर–केंद्रित अर्थव्यवस्था” का अर्थ एक वाक्य में समझाइए (चोल संदर्भ में)। 👁️Show / Hide
Line: “चोल काल में मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भूमि–स्वामी, नियोक्ता, अन्न–भंडार व संस्कृति–केन्द्र के रूप में स्थानीय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार थे।”
इसे सीधे mains उत्तर में लिख सकते हैं।
Q21. निम्न में से कौन–सा जोड़ा गलत है?
(अ) सभा – ब्राह्मण–ग्राम पंचायत
(ब) उर – सामान्य ग्राम पंचायत
(स) नागरम् – व्यापारी नगर परिषद
(द) महासभा – दिल्ली सल्तनत की सलाह–परिषद
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गलत जोड़ा: (द) महासभा – दिल्ली सल्तनत की सलाह–परिषद नहीं।
बाकी तीन जोड़े चोल–कालीन सन्दर्भ में सही हैं।
Q22. दक्षिण भारत के किस राजवंश ने दक्षिण–पूर्व एशिया में “भारतीय संस्कृति के प्रसार” में प्रमुख भूमिका निभाई – चोल या नंद? 👁️Show / Hide
उत्तर: चोल।
समुद्री अभियान व व्यापार के माध्यम से।
Q23. “इंडियनाइज़्ड किंगडम” (भारतीय–प्रभावित राज्य) की अवधारणा अधिकतर किस क्षेत्र से जुड़ी है – दक्षिण–पूर्व एशिया या यूरोप से? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: दक्षिण–पूर्व एशिया से।
जहाँ मंदिर, लिपि, भाषा, उपाधियाँ आदि भारतीय शैली में अपनाई गईं।
Q24. संगम साहित्य मुख्यतः किन राजवंशों की प्रारंभिक परंपरा से जुड़ा है – चोल, चेर, पांड्य या मौर्य? 👁️Show / Hide
उत्तर: चोल, चेर, पांड्य (तीनों तमिल वंश)।
मौर्य – उत्तर भारतीय सन्दर्भ।
Q25. एक वाक्य में लिखिए – “चोल प्रशासन की सबसे बड़ी विशेषता क्या थी?” (GS–1 के लिए) 👁️Show / Hide
Mains Line: “चोल प्रशासन की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि मजबूत राज–सत्ता के साथ–साथ ग्राम–स्तरीय पंचायतें (सभा, उर, नागरम्) अत्यंत सक्रिय व संगठित थीं, जो स्थानीय स्वशासन की उन्नत परंपरा को दिखाती हैं।”
इसे conclusion या body में लिख सकते हैं।
Q26. चोलों के संदर्भ में “कावेरी–डेल्टा” की विशेषता क्या रही है – उपजाऊ खेत या रेगिस्तानी क्षेत्र? 👁️Show / Hide
उत्तर: अत्यंत उपजाऊ खेत, धान–उत्पादन का मुख्य क्षेत्र।
यहीं से चोलों की आर्थिक शक्ति आती थी।
Q27. दक्षिण भारत में मंदिर–नगरों की एक आर्थिक भूमिका बताइए (1 लाइन में)। 👁️Show / Hide
Line: मंदिर–नगरों में बाजार, गोदाम, शिल्पी–बस्तियाँ व व्यापारी–संघ होते थे, जो पूरे क्षेत्र की कृषि–उत्पाद व व्यापार को संगठित करते थे।
Economic hub के रूप में।
Q28. किस राजवंश के संदर्भ में “गंगैकोंडा चोलपुरम” का नाम आता है – चोल या चेर? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: चोल।
राजेन्द्र चोल I से सम्बंधित।
Q29. चोल–काल की किस संस्था को “Local Self Government” का श्रेष्ठ उदाहरण माना जाता है – सभा/उर या मनसबदारी? 👁️Show / Hide
उत्तर: सभा/उर (ग्राम पंचायतें)।
मनसबदारी – बाद में मुगल–काल की व्यवस्था है।
Q30. “दक्षिण भारत के प्रारंभिक मध्यकाल की पहचान – मंदिर, समुद्र और व्यापार” – इस वाक्य को 2 पंक्तियों में विस्तार से लिखिए। 👁️Show / Hide
Mains Line: “चोल, चेर व पांड्य राजवंशों के दौर में विशाल मंदिर–नगर, शक्तिशाली नौसैनिक बेड़े और अरब से लेकर दक्षिण–पूर्व एशिया तक फैला समुद्री व्यापार, दक्षिण भारत की राजनीतिक–आर्थिक पहचान बन गया था।”
GS–1 में सीधे उपयोगी।
Q31. चेर, चोल, पांड्य – तीनों राजवंश किस भाषा/सांस्कृतिक क्षेत्र से प्रमुख रूप से जुड़े हैं? 👁️Show / Hide
उत्तर: तमिल भाषा व द्रविड़ सांस्कृतिक क्षेत्र से।
संगम साहित्य, भक्ति–आंदोलन आदि साक्ष्य हैं।
Q32. चोल शासन में कर–प्रणाली का बड़ा हिस्सा किस पर आधारित था – भूमि–राजस्व या औद्योगिक करों पर? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: भूमि–राजस्व (कृषि पर आधारित)।
साथ में व्यापारिक कर भी थे, पर आधार भूमि थी।
Q33. किस समुद्र से घिरा क्षेत्र चोल नौसैनिक शक्ति का मुख्य क्षेत्र था – हिंद महासागर का कौन सा भाग? 👁️Show / Hide
उत्तर: हिंद महासागर का दक्षिण–पूर्वी भाग – कोरोमंडल तट, श्रीलंका, मलय प्रायद्वीप क्षेत्र।
यहीं से चोल जहाज चलते थे।
Q34. चोल/दक्षिण भारत की मंदिर–संस्कृति का एक सामाजिक प्रभाव लिखिए (1 लाइन में)। 👁️Show / Hide
Line: मंदिरों ने समाज में दान, अन्न–दान, त्योहार, नृत्य–संगीत व सामूहिक उत्सव की परंपरा को मजबूत किया, जिससे स्थानीय समाज एकजुट हुआ।
Social cohesion का point।
Q35. कौन–सा कथन सही है?
(अ) चोल – केवल स्थलीय शक्ति, नौसेना नहीं
(ब) चोल – स्थलीय + नौसैनिक दोनों रूप से शक्तिशाली
👁️Show / Hide
सही विकल्प: (ब)।
यही चोलों की विशेषता है।
Q36. “दक्षिण भारत के प्रारंभिक मध्यकाल में मंदिर–अर्थव्यवस्था और समुद्री व्यापार एक–दूसरे के पूरक थे।” – 2 पंक्तियों में टिप्पणी कीजिए। 👁️Show / Hide
Mains Point: समुद्री व्यापार से प्राप्त धन का बड़ा भाग मंदिर–निर्माण, दान व अनुदान में लगाया गया; बदले में मंदिर व्यापारी–संघों को सुरक्षा, वैधता व सामाजिक प्रतिष्ठा देते थे – इस प्रकार दोनों ने मिलकर क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत किया।
GS–1 में अच्छा विश्लेषण।
Q37. दक्षिण भारत के इन तीन राजवंशों की एक समानता क्या है – (चोल, चेर, पांड्य) – संक्षेप में लिखिए। 👁️Show / Hide
Line: तीनों ही समुद्री–तट से जुड़े, तमिल–सांस्कृतिक क्षेत्र के, मंदिर–केंद्रित समाज व समुद्री व्यापार से समृद्ध राजवंश थे।
Common features याद रखने के लिए।
Q38. “चोल, चेर और पांड्य – महज़ क्षेत्रीय शक्ति, या भारतीय महासागरीय इतिहास के मुख्य पात्र?” – 2 लाइन का comment दीजिए। 👁️Show / Hide
Comment: ये तीनों केवल क्षेत्रीय राज्य नहीं, बल्कि हिंद महासागर के समुद्री व्यापार, सांस्कृतिक संपर्क व राजनीतिक प्रभाव के महत्वपूर्ण खिलाड़ी थे, जिन्होंने भारत–दक्षिण–पूर्व एशिया संबंधों को गहराई से प्रभावित किया।
UPSC के लिए High–value line।
Q39. चोल–चेर–पांड्य टॉपिक का मैप–आधारित प्रश्न आए तो कौन–से 3 बिंदु जरूर लिखने हैं? (केवल सूची दें) 👁️Show / Hide
  • चोल – कावेरी–डेल्टा, तंजावुर / गंगैकोंडा चोलपुरम, कोरोमंडल तट।
  • चेर – केरल तट, मसाला–उत्पादन व समुद्री बंदरगाह।
  • पांड्य – मदुरै, मोती–मछली क्षेत्र, श्रीलंका से समुद्री संपर्क।
ये तीन बिंदु Map–answer को पूर्ण बनाते हैं।
Q40. निष्कर्षात्मक – “दक्षिण भारत के प्रारंभिक मध्यकालीन राज्यों ने भारतीय इतिहास को क्या दिया?” – 3 पंक्तियों का मॉडल निष्कर्ष लिखिए। 👁️Show / Hide
Model Conclusion:
“चोल, चेर और पांड्य ने प्रारंभिक मध्यकाल में भारतीय इतिहास को मजबूत स्थानीय स्वशासन, मंदिर–केंद्रित अर्थव्यवस्था, उन्नत नगर–व्यवस्था, और दूर–दूर तक फैले समुद्री व्यापार व सांस्कृतिक संपर्क की विरासत दी, जिसने आगे के मध्यकालीन भारत व हिंद महासागर–विश्व की रूपरेखा को गहराई से प्रभावित किया।”
इसे chapter–ending पर सीधे उपयोग करें।

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