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अध्याय 10 • भक्ति एवं सूफी आंदोलन
10.1 भक्ति आंदोलन – प्रमुख संत व विचार (कबीर, मीरा, तुलसी, नामदेव आदि)
10.1 भक्ति आंदोलन – प्रमुख संत व विचार (कबीर, मीरा, तुलसी, नामदेव आदि)
🕉️ निर्गुण–सगुण, दक्षिण–उत्तरी धारा, सामाजिक प्रभाव – क्रोनोलॉजिकल कवरेज
📝 UPSC / PCS / RO-ARO / UPSSSC / Police हेतु Very Scoring Topic – High Yield Notes
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10.1 भक्ति आंदोलन – Deep Magic Study Notes
Very Scoring – Concept + Facts
क्यों महत्वपूर्ण? भक्ति आंदोलन से हर परीक्षा में
लगभग 3–4 MCQs + 1 वर्णनात्मक प्रश्न अवश्य आता है –
कभी संत–रचना, कभी विचार, कभी सामाजिक प्रभाव पर।
यह टॉपिक स्टैटिक + वैल्यू–एडेड दोनों में काम आता है।
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SMART ट्रिक:
“दक्षिण से शुरुआत → निर्गुण–सगुण विभाजन → उत्तर के संत → सामाजिक परिवर्तन”
अगर उत्तर इसी क्रम में लिखोगे तो स्ट्रक्चर अपने–आप बेहतरीन बन जाएगा।
📜 भक्ति आंदोलन – मूल स्वरूप
- “भक्ति” = ईश्वर के प्रति निजी, गहन, प्रेमपूर्ण समर्पण।
- मध्यकाल (लगभग 7वीं–17वीं सदी) में सामाजिक–धार्मिक सुधार की शांत क्रांति के रूप में उभरा।
- जोर: कर्मकांड, पुरोहितवाद, जाति–भेद की आलोचना; मुक्ति के लिए सरल भक्ति–मार्ग को सर्वोपरि माना।
- गुरु–शिष्य, संत–समाज और लोक–भाषाओं के माध्यम से संदेश पूरे देश में फैला।
🌊 प्रारंभिक चरण – दक्षिण की आलवार–नयनार परम्परा
- आलवार: विष्णु–भक्त कवि–संत; नयनार: शिव–भक्त कवि–संत – तमिल क्षेत्र (6–9वीं सदी)।
- मंदिर–मंदिर घूमकर तमिल भक्ति–गीतों के माध्यम से भक्ति–संदेश का प्रचार।
- वेद–पुराण ज्ञान से अधिक प्रेम–भक्ति पर जोर; उच्च–निम्न सभी जातियों के लिए मुक्ति–मार्ग खुला।
- इनकी रचनाएँ आगे चलकर मंदिर–पूजा व भक्ति–साहित्य की आधारशिला बनीं।
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एक्जाम टिप: “आलवार = विष्णु, नयनार = शिव, भाषा = तमिल” –
यह मैचिंग–टाइप प्रश्नों में बार–बार आता है, ज़रूर याद रखें।
⚖️ निर्गुण व सगुण भक्ति – मुख्य अंतर
- निर्गुण भक्ति: निराकार, निरगुण, नामरूप से परे ईश्वर – मूर्ति–पूजा, मंदिर–मस्जिद, जाति–भेद की तीखी आलोचना।
- मुख्य संत – कबीर, दादू, रैदास, नामदेव आदि।
- सगुण भक्ति: राम, कृष्ण आदि साकार रूप में ईश्वर – प्रेम, लीला, भक्ति–रस को केंद्र में रखा।
- मुख्य संत – तुलसीदास, सूरदास, मीरा, चैतन्य आदि।
🧭 उत्तर भारत की संत–परम्परा
- रामानंद: गंगा–यमुना दोआब में राम–भक्ति की उदार धारा; उनसे कबीर, रैदास आदि संतों को प्रेरणा मानी जाती है।
- कबीर, नानक: न किसी पंथ के बंधन में; हिंदू–मुस्लिम दोनों और सभी जातियों को एक ईश्वर–भक्ति का संदेश।
- तुलसी, सूर, मीरा: राम–कृष्ण के सगुण, साकार, प्रेममय रूप पर बल।
- भाषाएँ – अवधी, ब्रज, पंजाबी, मराठी, राजस्थानी आदि; इससे स्थानीय साहित्य व लोक–संस्कृति समृद्ध हुई।
🪔 कबीर – निर्गुण संत, तीखा सत्य
- सम्भवतः 15वीं सदी; वाराणसी क्षेत्र; पेशा – जुलाहा (बुनकर)।
- किसी एक धर्म–मत से नहीं बंधे – खुद को “जुलाहा–कबीर” कहकर पहचानते हैं।
- केन्द्र विचार:
- मूर्ति–पूजा, मंदिर–मस्जिद, तीर्थ–यात्रा, बाह्य कर्मकांड की निन्दा।
- “साँई इतना दीजिए, जामे कुटुंब समाय” – साधारण जीवन, उच्च विचार।
- जाति–भेद, ऊँच–नीच के विरुद्ध; सबको एक ही निर्गुण ईश्वर का अंश माना।
- रचनाएँ – दोहे, साखी, सबद; विभिन्न बीजक, गुरुग्रंथ साहिब आदि में संरक्षित।
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एक्जाम टिप: “कबीर – निर्गुण, दोहा–साखी, मूर्ति–विरोध, जाति–विरोध” –
यही चार पॉइंट लगभग हर ओब्जेक्टिव प्रश्न का उत्तर बन जाते हैं।
🎶 नामदेव, रैदास व अन्य निर्गुण संत
- नामदेव: महाराष्ट्र; भक्ति–कविता में “विट्ठल–भक्ति”; जाति–भेद के विरुद्ध; उनके कई पद गुरुग्रंथ साहिब में संकलित।
- रैदास (रैदास/रविदास): जूता–सिलाई का पेशा; “मन चंगा तो कठौती में गंगा” – अंतःकरण की शुद्धि को महत्वपूर्ण माना।
- इन संतों ने मंदिर–मस्जिद की बजाय मन के मंदिर को पूजा–स्थल माना।
💖 मीरा बाई – सगुण भक्ति की प्रतीक
- राजपूत कुल की राजकुमारी; लेकिन जीवन भर स्वयं को “श्रीकृष्ण की दासी” मानती हैं।
- रचनाएँ – मीरा के पद; ब्रज/राजस्थानी मिश्रित भाषा; विषय – कृष्ण–प्रेम, विरह, समर्पण।
- समाज–रूढ़ियों, पति–कुल के दबाव, स्त्री–मर्यादाओं से टकराकर भी भक्ति–मार्ग नहीं छोड़ा।
- महत्त्व – भक्ति आंदोलन में स्त्री–स्वर व स्वतंत्रता की सशक्त आवाज़।
📖 तुलसीदास – रामचरितमानस व अन्य रचनाएँ
- मुख्य कृति – रामचरितमानस (अवधी); अन्य – विनय–पत्रिका, दोहावली, कवितावली आदि।
- विषय – मर्यादा–पुरुषोत्तम राम; धर्म, नीति, कर्तव्य, करुणा का आदर्श चित्रण।
- भाषा – अवधी/लोकभाषा; इससे राम–कथा जन–जन की हो गई, संस्कृत–शास्त्र तक सीमित नहीं रही।
- भक्ति + सामाजिक–नैतिक मूल्यों का समन्वय, इसलिए आज भी अत्यधिक लोकप्रिय।
🌱 भक्ति आंदोलन – सामाजिक प्रभाव
- जाति–आधारित ऊँच–नीच, अस्पृश्यता आदि पर सीधा प्रहार।
- स्त्रियों, निम्न–वर्ग, हाशिये के समुदायों को धार्मिक–समानता का संदेश।
- लोक–भाषाओं में साहित्य, संगीत, कीर्तन, भजन के कारण क्षेत्रीय भाषाओं का विकास।
- हिंदू–मुस्लिम, शहरी–ग्रामीण के बीच साझा सांस्कृतिक स्पेस तैयार – जो आगे सूफी आंदोलन से मिलकर “सिंक्रेटिक कल्चर” को जन्म देता है।
🤝 भक्ति–सूफी – समानताएँ व अंतर
- समानताएँ – व्यक्तिगत भक्ति/इश्क, बाह्य कर्मकांड की आलोचना, प्रेम, समता, मानवीयता पर जोर।
- अंतर – भक्ति का मूल आधार हिन्दू परम्परा, सूफी का आधार इस्लामी रहस्यवाद; प्रतीक, भाषा, संस्थाएँ भिन्न।
- दोनों ने मिलकर मध्यकालीन भारत में समन्वयवादी संस्कृति को मजबूत किया।
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एक्जाम टिप (मेनस):
“भक्ति एवं सूफी आंदोलन ने भारतीय समाज को कैसे मानवीय और समन्वयवादी बनाया?”
– यह क्लासिक 10–15 मार्क्स का प्रश्न है; ऊपर दिए बिंदुओं को ही एक्सपैंड कर लिखना है।
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त्वरित पुनरावृत्ति – 10.1 भक्ति आंदोलन
5–7 मिनट का Super Fast Revision
यह सेक्शन पूरी तरह हिंदी शब्दों में तैयार है। परीक्षा से ठीक पहले बस इन कार्ड्स को दो–तीन बार देख लेना काफी है।
📜 भक्ति आंदोलन – सार
- ईश्वर तक पहुँच का मार्ग – सीधी भक्ति, न कि जटिल कर्मकांड।
- साधारण भाषा, साधारण जन, पर गहरी आध्यात्मिकता।
- जाति, लिंग, मजहब से ऊपर उठकर मानव–एकता पर जोर।
🌊 दक्षिण की भक्ति
- आलवार – विष्णु के गायक संत।
- नयनार – शिव के गायक संत।
- तमिल गीतों से मंदिर–भक्ति और तीर्थ–संस्कृति मजबूत।
⚖️ निर्गुण बनाम सगुण
- निर्गुण – बिना रूप–रंग का ईश्वर, मूर्ति–विरोध, जाति–विरोध।
- सगुण – राम–कृष्ण जैसे रूप, लीला, प्रेम, भक्ति–रस।
- दोनों का लक्ष्य – ईश्वर से सीधा, प्रेमपूर्ण सम्बन्ध।
🪔 कबीर – मुख्य सूत्र
- धर्म–पंथ से ऊपर “मानव–धर्म” की बात।
- मूर्ति–पूजा, दिखावा, पाखंड – कड़ी आलोचना।
- छोटे–छोटे दोहे, सीधी, व्यंग्यपूर्ण भाषा।
🎶 नामदेव, रैदास
- हुनरमंद कारीगर–वर्ग से आए संत।
- कर्म से ऊँच–नीच नहीं, भक्ति से महत्व।
- “मन चंगा तो कठौती में गंगा” – अंतर की पवित्रता पर जोर।
💖 मीरा – प्रेममय भक्ति
- कृष्ण को पति–प्रभु, स्वयं को दासी मानने वाली भक्ति।
- सामाजिक बंधनों की अवहेलना, केवल भक्ति का पालन।
- पदों में विरह, मिलन, समर्पण की गहरी अनुभूति।
📖 तुलसीदास – राम मार्ग
- रामचरितमानस – लोक–भाषा में राम–कथा।
- भक्ति + नीति + आदर्श जीवन–मूल्य।
- आज भी गाँव–कस्बे तक कंठस्थ, अत्यन्त प्रभावी।
🌱 सामाजिक परिवर्तन
- जाति–आधारित भेदभाव पर चोट।
- लोक–भाषाओं को साहित्यिक प्रतिष्ठा।
- हिंदू–मुस्लिम के बीच साझा सांस्कृतिक धरातल।
🤝 भक्ति और सूफी – जोड़ बिंदु
- दोनों में प्रेम, करुणा, समता – मूल मूल्य।
- दोनों ने बाहरी दिखावे का विरोध किया।
- इन्हीं से “गंगा–जमुनी संस्कृति” की पहचान बनी।
💡 परीक्षा रणनीति
- हर संत के साथ 3 चीजें – काल, विचार, रचना जोड़कर याद करें।
- निर्गुण–सगुण के उदाहरण अलग–अलग लिखकर रिवीजन करें।
- मेनस में “सामाजिक प्रभाव” को हमेशा उत्तर में जोड़ें।
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10.1 भक्ति आंदोलन – वन लाइनर PYQs (40 प्रश्न)
Very Scoring – Concept + Facts
इस सेक्शन में 40 सबसे महत्वपूर्ण वन लाइनर PYQs दिए गए हैं।
हर कार्ड में 1 प्रश्न + उत्तर + छोटी व्याख्या👁️ View Answer
1. भक्ति आंदोलन की दो मुख्य धाराएँ कौन-सी मानी जाती हैं?
2. उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन के प्रारंभिक विस्तार से किस संत का नाम जोड़ा जाता है?
3. आलवार और नयनार संत किस क्षेत्र से संबंधित थे?
4. आलवार संत मुख्यतः किस देवता के भक्त थे और उनकी रचनाएँ किस भाषा में थीं?
5. नयनार संत किस देवता के उपासक थे?
6. “भक्ति” शब्द का मूल अर्थ क्या है?
7. “विशिष्टाद्वैतवाद” सिद्धांत किस संत–दर्शन से संबंधित है?
8. “द्वैतवाद” (शुद्ध द्वैत) सिद्धांत किस दार्शनिक–संत से जुड़ा है?
9. वल्लभाचार्य द्वारा स्थापित “पुष्टिमार्ग” किस देवता की भक्ति पर आधारित है?
10. “रामानंद” किस भक्ति–धारा के प्रमुख संत माने जाते हैं?
11. परंपरा के अनुसार कबीर का गुरु किसे माना जाता है?
12. कबीर की रचनाएँ मुख्यतः किस–किस रूप में मिलती हैं?
13. कबीर किस सामाजिक–पेशागत वर्ग से जुड़े माने जाते हैं?
14. संत रविदास किस समस्याग्रस्त सामाजिक वर्ग से आते थे, जो भक्ति आंदोलन की एक खास विशेषता दिखाता है?
15. संत रविदास की कल्पित आदर्श नगरी का नाम क्या है, जिसका वे अपनी वाणी में उल्लेख करते हैं?
16. मीरा बाई मुख्यत: किस देवता की उपासक थीं और उनकी प्रमुख भाषा कौन–सी थी?
17. “सूरसागर” के रचयिता कौन हैं और इसका मुख्य विषय क्या है?
18. “रामचरितमानस” किस भाषा/बोली में लिखी गयी और इसका मूल आधार कौन–सा ग्रंथ है?
19. किस संत–कवि को “सगुण रामभक्ति” का सबसे बड़ा कवि माना जाता है?
20. किस संत–कवि के बारे में कहा जाता है कि वे अकबर के नवरत्नों में भी शामिल थे और हिंदी दोहों के लिए भी प्रसिद्ध हैं?
21. गुरु नानक ने ईश्वर की अवधारणा किस छोटे वाक्य में व्यक्त की – जो सिख धर्म का मूल मंत्र भी है?
22. गुरु नानक द्वारा विशेष रूप से किन तीन सिद्धांतों पर ज़ोर दिया गया – जो सिख धर्म की नींव बने?
23. “ज्ञानेश्वरी” किस ग्रंथ की क्षेत्रीय भाषा में व्याख्या मानी जाती है और किस भाषा में लिखी गयी है?
24. महाराष्ट्र में “वारकरी संप्रदाय” किन दो प्रमुख संतों से अधिक जुड़ा माना जाता है?
25. भक्ति संतों ने किस प्रकार की भाषाओं को माध्यम बनाया – संस्कृत/फारसी या लोकभाषाएँ?
26. किस संत ने मंदिर–मस्जिद दोनों की औपचारिकता पर प्रहार करते हुए “ईश्वर भीतर है” की बात कही?
27. भक्ति आंदोलन ने जाति–व्यवस्था के संदर्भ में किस प्रकार की सोच को बढ़ावा दिया?
28. “हरी नाम संकीर्तन” को विशेष रूप से किस संत ने लोकप्रिय बनाया, जो बंगाल से जुड़े थे?
29. भक्ति आंदोलन के कारण किस प्रकार का हिंदू–मुस्लिम सांस्कृतिक सम्पर्क बढ़ा?
30. किस संत की रचनाएँ गुरु ग्रंथ साहिब, बीजक और अन्य संकलनों में एक साथ मिलती हैं – जो उनकी सर्व–स्वीकार्यता दिखाती हैं?
31. “मीरा बाई” किस राजघराने से संबंधित थीं और उन्होंने समाजिक बंधनों से ऊपर किसको अपना “सच्चा पति” माना?
32. किस संत–कवि ने अपनी वाणी में “सहज योग” या “सहज समाधि” का विचार दिया – जो सरल आंतरिक ध्यान पर ज़ोर देता है?
33. “भक्ति आंदोलन = लोकभाषा + लोकधर्म” यह संक्षिप्त सूत्र किस बात की ओर इशारा करता है?
34. “नामदेव – तुकाराम – एकनाथ” त्रयी किस प्रदेश की भक्ति–परंपरा के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं?
35. हिंदी साहित्य के इतिहास में भक्ति आंदोलन को किस “काल” से जोड़ा जाता है – आदिकाल, भक्तिकाल या रीतिकाल?
36. भक्ति संतों ने धर्म–परिवर्तन (conversion) या धर्म–सुधार (reform) में से किस पर अधिक ज़ोर दिया?
37. भक्ति आंदोलन ने मध्यकालीन भारतीय समाज में किस “तीन R” को चुनौती दी – Ritual, Rigid caste, Religious intolerance या कुछ और?
38. किस प्रसिद्ध उक्ति से कबीर ने कर्मकांड–प्रधान साधु/मौलवी दोनों पर कटाक्ष किया – “पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ…” या कुछ और?
39. भक्ति आंदोलन ने किस प्रकार की राजनीति को अप्रत्यक्ष रूप से मजबूत किया – केन्द्रीय/सम्राट–केंद्रित या क्षेत्रीय विखंडन वाली?
40. एक वाक्य में लिखें – मध्यकालीन भक्ति आंदोलन का “सबसे बड़ा योगदान” क्या माना जा सकता है?
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