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अध्याय 2 : दिल्ली सल्तनत – तुगलक वंश
5.2 फ़िरोजशाह तुगलक – नहरें, निर्माण कार्य, दास-प्रथा व जागीर व्यवस्था (विस्तृत नोट्स)
5.2 फ़िरोजशाह तुगलक – नहरें, निर्माण कार्य, दास-प्रथा व जागीर व्यवस्था (विस्तृत नोट्स)
💧 नहर–सिंचाई, नगर–निर्माण, कर–राहत, दास–प्रथा, जागीर सुधार
📝 UPSC, State PCS, RO/ARO, UPSSSC, Police व अन्य सभी परीक्षाओं हेतु
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भाग – 1 : विस्तृत स्टडी नोट्स – फ़िरोजशाह तुगलक
गहन अध्ययन हेतु उपयुक्त
🎯 प्रमुख कीवर्ड: फ़िरोजशाह तुगलक नोट्स, नहर–सिंचाई, दास–प्रथा, जागीर व्यवस्था, कर–नीति, दिल्ली सल्तनत मध्यकालीन भारत।
🏛️ 1. फ़िरोजशाह तुगलक – पृष्ठभूमि व समय
फ़िरोजशाह तुगलक, तुगलक वंश का महत्त्वपूर्ण शासक था।
उसे सामान्यतः निर्माण–प्रिय, सिंचाई–प्रेमी व परंपरावादी शासक के रूप में वर्णित किया जाता है।
विस्तार की तुलना में उसने रख–रखाव (मेंटेनेंस), लोक–कल्याण व धार्मिक परंपरावाद पर ज़्यादा ध्यान दिया।
- मोहम्मद-बिन-तुगलक के उथल–पुथल भरे काल के बाद फ़िरोजशाह का शासन अपेक्षाकृत शांत और व्यवस्थित माना जाता है।
- राजनीतिक दृष्टि से सल्तनत कमजोर हो चुकी थी, इसलिए इसने आक्रामक नीति की बजाय अंदरूनी व्यवस्था पर ध्यान दिया।
- उसका ध्यान विशेष रूप से – सिंचाई, नगर–निर्माण, दास–प्रथा, जागीर व्यवस्था और धार्मिक मामलों पर रहा।
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एग्ज़ाम टिप:
फ़िरोजशाह तुगलक को “निर्माण व नहर–शासक” और मोहम्मद-बिन-तुगलक को “असफल प्रयोगों का शासक” –
दोनों को आपस में तुलना कर याद करें, MCQ व वर्णनात्मक दोनों में मदद मिलेगी।
💧 2. नहर–सिंचाई एवं निर्माण कार्य
🚰 2.1 नहर–सिंचाई व्यवस्था
- फ़िरोजशाह ने अनेक नहरों का निर्माण व पुनरुद्धार कराया, जिससे कृषि–उत्पादन में वृद्धि हुई।
- यमुना तथा अन्य नदियों से नहरें निकालकर खेतों तक पानी पहुँचाया गया।
- कई क्षेत्रों में सूखे की स्थिति कम हुई और नई भूमि पर खेती शुरू हो सकी।
🏗️ 2.2 नगर, इमारतें व सार्वजनिक कार्य
- नई बस्तियाँ, किले, मस्जिदें, सराय, पुल, बावड़ियाँ और बाग़ों का निर्माण कराया।
- दिल्ली क्षेत्र में फ़िरोज़ाबाद नामक नगर का निर्माण कराया, जो उसके शासनकाल की महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जाती है।
- सड़कें, धर्मशालाएँ, विश्राम स्थल आदि बनवाकर यात्री एवं व्यापारिक आवागमन को सुगम बनाया।
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एग्ज़ाम टिप:
“किस सुल्तान को नहर–निर्माण व सार्वजनिक निर्माण कार्यों के लिए जाना जाता है?”
इस प्रश्न का उत्तर लगभग हर परीक्षा में – फ़िरोजशाह तुगलक ही होता है।
🧑🔧 3. दास–प्रथा का विस्तार
फ़िरोजशाह तुगलक ने दास–प्रथा को बहुत बढ़ावा दिया।
विभिन्न स्रोतों में बताया गया है कि उसके अधीन बड़ी संख्या में दास रखे गए,
जिन्हें राजकीय निर्माण, बाग़, महलों और अन्य कार्यों में लगाया जाता था।
- दासों की देख–रेख के लिए अलग विभाग और अधिकारी नियुक्त किए गए।
- दासों को भोजन, वस्त्र आदि तो उपलब्ध कराया जाता था, पर स्वतंत्रता नहीं होती थी।
- राज्य के लिए यह सस्ता श्रम था, पर सामाजिक–नैतिक दृष्टि से आलोचना योग्य प्रणाली।
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एग्ज़ाम टिप:
“दास–प्रथा के विस्तार से संबंधित सुल्तान” पूछा जाए तो –
विकल्पों में हो तो सीधे फ़िरोजशाह तुगलक पर टिक करें।
📜 4. जागीर व इक्ता व्यवस्था में परिवर्तन
फ़िरोजशाह ने जागीरदारों और इक्तादारों के साथ समझौता–पूर्ण नीति अपनाई।
इससे अल्पकाल में शांति बनी रही, पर दीर्घकाल में केंद्र की शक्ति कमजोर होने लगी।
- कई स्थानों पर इक्ताओं/जागीरों को वंशानुगत मानने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिला।
- अमीरों के पुराने बकाया, कर–दंड आदि माफ़ कर उनके साथ सौहार्द बनाए रखने की कोशिश की गई।
- इसी नीति के कारण प्रांतीय शक्तियाँ धीरे–धीरे मज़बूत और केंद्रीय सत्ता अपेक्षाकृत कमजोर हुई।
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एग्ज़ाम टिप (विश्लेषणात्मक):
फ़िरोजशाह की जागीर–नीति से तत्काल विद्रोह कम हुए,
पर आगे चलकर यही केंद्र–विकेंद्रीकरण की समस्या बन गई –
इसे Mains में “सकारात्मक + नकारात्मक” दोनों दृष्टि से लिखें।
💰 5. कर–नीति, राहत व नए कर
- कई पुराने लगान व दंड माफ़ कर स्वयं को जनता का हितैषी शासक दिखाने की कोशिश की।
- किसानों के लिए सूखा, बाढ़ आदि की स्थिति में कुछ राहत–नीतियाँ भी अपनाईं।
- साथ ही कुछ नए कर (जैसे भूमि पर कर, सिंचाई से संबंधित कर, आदि) भी वसूल किए जाते थे, पर उसकी छवि ज़्यादातर अत्यधिक कठोर कर–शासक की नहीं बनती।
📿 6. धार्मिक नीति व जज़िया
फ़िरोजशाह तुगलक ने स्वयं को सुन्नी इस्लामी परंपरा का समर्थक माना।
धार्मिक मामलों में वह अपेक्षाकृत रूढ़िवादी व कठोर माना जाता है।
- ग़ैर–मुसलमानों पर जज़िया कर को सख्ती से लागू किया।
- कुछ विवरणों में यह उल्लेख मिलता है कि उसने जज़िया के दायरे को पहले से अधिक कड़ा किया।
- धार्मिक परंपरावाद के कारण कुछ वर्गों में असंतोष, पर साथ ही धार्मिक संस्थानों को दान–अनुदान भी दिया।
🏫 7. सांस्कृतिक व शैक्षिक गतिविधियाँ
- मदरसों, पुस्तकालयों, मस्जिदों, शिक्षा–केंद्रों को प्रोत्साहन दिया।
- पुराने स्तंभों (जैसे अशोक स्तंभ) को लाकर अपने राज्य में स्थापित करवाया – इससे प्राचीन स्मारकों के प्रति उसकी रुचि दिखती है।
- धार्मिक–शैक्षिक प्रतिष्ठानों को ज़मीन, अनुदान आदि प्रदान किए।
⚖️ 8. प्रशासनिक शैली व समग्र मूल्यांकन
✅ 8.1 सकारात्मक पक्ष
- नहर–निर्माण व सिंचाई व्यवस्था से कृषि को लाभ।
- सड़क, पुल, सराय, बावड़ी, नगर–निर्माण से लोक–जीवन में सुविधा।
- कुछ कर–माफी और राहत से किसान व आम जनता को तत्काल लाभ।
⚠️ 8.2 नकारात्मक पक्ष
- जागीरों की वंशानुगत प्रवृत्ति से केंद्र की शक्ति कमजोर।
- दास–प्रथा का अत्यधिक विस्तार – मानव–समाज के दृष्टिकोण से नकारात्मक।
- धार्मिक कठोरता व जज़िया नीतियाँ – समाज के कुछ वर्गों में असंतोष।
समग्र रूप से फ़िरोजशाह तुगलक को “निर्माण–प्रधान, सिंचाई–उन्मुख और परंपरावादी” शासक कहा जा सकता है।
उसने तत्कालीन समाज को कुछ राहत और सुविधाएँ दीं,
लेकिन उसकी नीतियों ने केंद्र के कमजोर पड़ने व प्रांतीय शक्तियों के मज़बूत होने की प्रक्रिया को भी तेज़ किया।
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Mains के लिए सार वाक्य:
“फ़िरोजशाह तुगलक ने सल्तनत को विजयों से नहीं, बल्कि नहरों, निर्माण–कार्य और जागीर–समझौते के सहारे चलाने की कोशिश की; यही उसकी शक्ति भी थी और दीर्घकालिक कमजोरी भी।”
“फ़िरोजशाह तुगलक ने सल्तनत को विजयों से नहीं, बल्कि नहरों, निर्माण–कार्य और जागीर–समझौते के सहारे चलाने की कोशिश की; यही उसकी शक्ति भी थी और दीर्घकालिक कमजोरी भी।”
फ़िरोजशाह तुगलक नोट्स हिंदी में
तुगलक वंश मध्यकालीन भारत
नहर–सिंचाई व निर्माण कार्य
दास–प्रथा व जागीर व्यवस्था
दिल्ली सल्तनत महत्वपूर्ण तथ्य
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भाग – 2 : त्वरित पुनरावृत्ति – फ़िरोजशाह तुगलक (3–4 मिनट)
हिंदी क्विक रिवीज़न
⚡ यह भाग खास तौर पर UPSC, State PCS, RO/ARO, UPSSSC, Police व अन्य एकदिवसीय परीक्षाओं की तेज़ पुनरावृत्ति के लिए बनाया गया है।
1️⃣ शासक की मूल छवि
- निर्माण–प्रिय, सिंचाई–उन्मुख, परंपरावादी शासक।
- विजय के स्थान पर रख–रखाव और लोक–कल्याण पर ज़ोर।
- धार्मिक मामलों में रूढ़िवादी दृष्टिकोण।
2️⃣ नहर–सिंचाई
- कई नहरों का निर्माण/पुनरुद्धार।
- कृषि–उत्पादन में वृद्धि, नए क्षेत्रों में खेती।
- सूखे की समस्या कुछ हद तक कम।
3️⃣ निर्माण–कार्य
- नए नगर, मस्जिदें, सराय, पुल, बावड़ियाँ।
- फ़िरोज़ाबाद नगर – प्रमुख उपलब्धि।
- यात्रियों व व्यापारियों के लिए सुविधाएँ।
4️⃣ दास–प्रथा
- दासों की संख्या बहुत अधिक।
- राज्य–निर्माण व अन्य कार्यों में दास–श्रम।
- प्रशासन के लिए सस्ता श्रम, पर सामाजिक दृष्टि से नकारात्मक।
5️⃣ जागीर/इक्ता नीति
- जागीरों को वंशानुगत बनने की प्रवृत्ति।
- अमीरों से समझौता – विद्रोह कम, पर केंद्र कमजोर।
6️⃣ कर–नीति व जज़िया
- कुछ कर–माफी व राहत, पर जज़िया सख्ती से लागू।
- धार्मिक परंपरावाद की स्पष्ट छाप।
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एग्ज़ाम टिप:
अगर प्रश्न में “नहर”, “दास–प्रथा विस्तार”, “जागीर वंशानुगत” तीनों एक साथ दिखें,
तो लगभग निश्चित रूप से उत्तर – फ़िरोजशाह तुगलक होगा।
फ़िरोजशाह तुगलक त्वरित पुनरावृत्ति
तुगलक वंश शॉर्ट सार
मध्यकालीन भारत रिवीज़न
❓
भाग – 3 : PYQ व एक पंक्ति प्रश्न – फ़िरोजशाह तुगलक (Show / Hide उत्तर)
लगभग 35–40 महत्वपूर्ण प्रश्न
इस भाग में फ़िरोजशाह तुगलक से जुड़े परीक्षाओं में बार–बार पूछे जाने वाले प्रश्न,
एक पंक्ति तथ्य और साथ में संक्षिप्त व्याख्या दी गई है, ताकि अवधारणा अच्छे से बैठ जाए।
Q1. दिल्ली सल्तनत में नहर–सिंचाई व्यवस्था के विकास के लिए कौन–सा सुल्तान विशेष रूप से प्रसिद्ध है? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: फ़िरोजशाह तुगलक।
Q2. फ़िरोजशाह तुगलक ने किस प्रकार के सार्वजनिक कार्यों पर विशेष बल दिया? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: नहर, सड़क, सराय, पुल, बावड़ी, मस्जिद व नगर–निर्माण।
Q3. फ़िरोजशाह द्वारा बसाए गए दिल्ली क्षेत्र के प्रसिद्ध नगर का नाम क्या था? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: फ़िरोज़ाबाद।
Q4. किस सुल्तान के शासनकाल में दास–प्रथा का अत्यधिक विस्तार हुआ और दासों की संख्या बहुत बढ़ गई? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: फ़िरोजशाह तुगलक।
Q5. दास–प्रथा को बढ़ाने से राज्य को क्या लाभ मिला? 👁️उत्तर देखें
संक्षिप्त उत्तर: निर्माण–कार्य व अन्य सेवाओं के लिए सस्ता व नियंत्रित श्रम उपलब्ध हुआ।
Q6. क्या फ़िरोजशाह ने जागीरों/इक्ताओं को पूरी तरह समाप्त कर दिया था? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: नहीं, बल्कि कई को वंशानुगत मानने की प्रवृत्ति को स्वीकार किया।
Q7. फ़िरोजशाह की जागीर नीति का प्रमुख लक्ष्य क्या था – विद्रोह रोकना या केंद्र मजबूत करना? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: विद्रोह रोकना और अमीरों को संतुष्ट रखना।
Q8. क्या फ़िरोजशाह तुगलक ने कर–बकाया (पुराने लगान व दंड) माफ़ करने की नीति अपनाई थी? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: हाँ, कई पुराने बकाया कर माफ़ किए गए।
Q9. क्या फ़िरोजशाह तुगलक ने जज़िया कर को ढीला किया या अधिक सख्ती से लागू किया? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: जज़िया कर को सख्ती से लागू किया।
Q10. फ़िरोजशाह तुगलक की धार्मिक नीति कैसी मानी जाती है – उदार या रूढ़िवादी? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: अधिकतर रूढ़िवादी व परंपरावादी।
Q11. किस सुल्तान ने कुछ प्राचीन स्तंभों (जैसे अशोक स्तंभ) को उठवाकर अपने समय में पुन: स्थापित कराया? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: फ़िरोजशाह तुगलक।
Q12. क्या फ़िरोजशाह ने केवल धार्मिक इमारतें बनवाईं या लोक–उपयोगी इमारतें भी? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: दोनों प्रकार की – मस्जिदें, सराय, पुल, बावड़ियाँ, नगर, बाग़ आदि।
Q13. क्या फ़िरोजशाह तुगलक ने सैन्य विस्तार पर ज़्यादा ज़ोर दिया या निर्माण–कार्य पर? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: निर्माण–कार्य और रख–रखाव पर।
Q14. जागीरों के वंशानुगत होने से दीर्घकाल में क्या प्रभाव पड़ा? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: प्रांतीय शक्तियाँ मजबूत और केंद्र कमजोर हुआ।
Q15. क्या फ़िरोजशाह तुगलक को “कठोर विजेता” कहना उचित होगा? 👁️उत्तर देखें
उत्तर (समझने योग्य): नहीं, उसे अधिकतर “निर्माण–प्रिय, लोक–कल्याणकारी और परंपरावादी” रूप में ही याद किया जाता है।
Q16. नहर–सिंचाई से किस क्षेत्र को सीधा लाभ हुआ – कृषि या शहरी व्यापार? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: मुख्य रूप से कृषि को।
Q17. क्या फ़िरोजशाह की नहर–नीति केवल धार्मिक कारणों से थी? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: नहीं, यह मुख्य रूप से आर्थिक व लोक–कल्याणकारी नीति थी।
Q18. दास–प्रथा के विस्तार का एक नकारात्मक प्रभाव क्या था? 👁️उत्तर देखें
संक्षिप्त उत्तर: स्वतंत्र श्रमिक वर्ग कमजोर होता गया और मानव–अधिकारों की दृष्टि से समाज असंतुलित हुआ।
Q19. किस सुल्तान के समय “केंद्र की शक्ति घटने और प्रांतीय अमीरों के बढ़ने” की प्रक्रिया तेज हुई, जो तुगलक वंश के पतन से जुड़ी है? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: फ़िरोजशाह तुगलक।
Q20. फ़िरोजशाह की कर–नीति को एक वाक्य में कैसे याद रखें? 👁️उत्तर देखें
सार वाक्य: “कुछ कर–माफी व राहत के साथ, धार्मिक कर (जज़िया) की सख्ती – नरमी और कठोरता का मिश्रण।”
Q21. फ़िरोजशाह तुगलक के समय मुख्य ध्यान किस पर था – नए विजय अभियान या राज्य की व्यवस्था सम्भालने पर?👁️उत्तर
उत्तर: राज्य की व्यवस्था सम्भालने और लोक–कल्याण कार्यों पर।
Q22. क्या फ़िरोजशाह ने शिक्षा–संस्थानों को भी प्रोत्साहन दिया?👁️उत्तर
उत्तर: हाँ, मदरसों, पुस्तकालयों आदि को ज़मीन व अनुदान दिए।
Q23. क्या फ़िरोजशाह की नीतियाँ पूरी तरह प्रगतिशील थीं?👁️उत्तर
उत्तर (विश्लेषण): आंशिक – निर्माण व सिंचाई प्रगतिशील, पर दास–प्रथा व धार्मिक कठोरता रूढ़िवादी।
Q24. जागीरों की वंशानुगत मान्यता किस वर्ग को सबसे अधिक लाभ देती थी?👁️उत्तर
उत्तर: अमीर व जागीरदार वर्ग को।
Q25. क्या फ़िरोजशाह तुगलक ने अपने काल में बड़े सुधार–प्रयोग किये, जैसे मोहम्मद-बिन-तुगलक ने?👁️उत्तर
उत्तर: नहीं, उसके प्रयोग इतने उग्र नहीं थे; उसने अधिक स्थिर और संतुलित नीति अपनाई।
Q26. “नहर, नगर, दास और जागीर” चार शब्द मिलें तो किस तुगलक शासक की याद आती है?👁️उत्तर
उत्तर: फ़िरोजशाह तुगलक।
Q27. जज़िया कर किस वर्ग पर लगाया जाता था?👁️उत्तर
उत्तर: ग़ैर–मुसलमान प्रजा पर, विशेष रूप से वयस्क पुरुषों पर।
Q28. फ़िरोजशाह की नहर–नीति से किस प्रकार की फसलें विशेष लाभान्वित हो सकती थीं – सिंचाई पर निर्भर या वर्षा पर निर्भर?👁️उत्तर
उत्तर: सिंचाई पर निर्भर फसलें।
Q29. क्या फ़िरोजशाह की नीतियों से तुरंत विद्रोह बढ़े या घटे?👁️उत्तर
उत्तर: तत्काल अवधि में विद्रोह अपेक्षाकृत कम रहे, पर केंद्र धीरे–धीरे कमजोर हुआ।
Q30. एक पंक्ति में – “फ़िरोजशाह तुगलक का शासन किस प्रकार का था?”👁️उत्तर
सार: “निर्माण–प्रधान, सिंचाई–उन्मुख, परंपरावादी और जागीर–समझौते पर आधारित शासन।”
Q31. फ़िरोजशाह ने किस शैक्षिक व्यवस्था को बढ़ावा दिया – मदरसा प्रणाली या गुरुकुल प्रणाली?👁️उत्तर
उत्तर: मदरसा प्रणाली, पुस्तकालय व इस्लामी शिक्षा–केंद्र।
Q32. क्या फ़िरोजशाह की नीतियों से पूरी तरह बराबरी वाला समाज बन पाया?👁️उत्तर
उत्तर: नहीं, दास–प्रथा व धार्मिक विभाजन के कारण समाज में असमानता बनी रही।
Q33. फ़िरोजशाह तुगलक के काल को हम किस दो शब्दों से जोड़कर याद रख सकते हैं?👁️उत्तर
उत्तर: “नहर और दास” –
नहर–निर्माण व दास–प्रथा दोनों उसके शासन की मुख्य पहचान हैं।
Q34. क्या फ़िरोजशाह तुगलक ने अपने शासन को बहुत अधिक विस्तार देने की कोशिश की?👁️उत्तर
उत्तर: नहीं, उसने अधिकतर वर्तमान क्षेत्रों की व्यवस्था सुधारने पर ध्यान दिया।
Q35. फ़िरोजशाह तुगलक की सबसे बड़ी उपलब्धि और सबसे बड़ी कमजोरी को एक साथ कैसे लिख सकते हैं?👁️उत्तर
एग्ज़ाम हेतु सार:
“लोक–कल्याणकारी निर्माण व नहरें – बड़ी उपलब्धि,
वंशानुगत जागीर व दास–प्रथा – दीर्घकालिक कमजोरी।”
