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अध्याय 2 : दिल्ली सल्तनत – स्थापना से अंत तक
1-Page सार: ऐबक से बाबर तक – स्थापना, सुदृढ़ीकरण, विस्तार, असफल प्रयोग, अंतिम दौर व पानीपत 1526
1-Page सार: ऐबक से बाबर तक – स्थापना, सुदृढ़ीकरण, विस्तार, असफल प्रयोग, अंतिम दौर व पानीपत 1526
🧭 ऐबक, इल्तुतमिश, रज़िया, बलबन, खिलजी, तुगलक, फीरोज, सैय्यद, लोधी, बाबर, प्रथम पानीपत
📝 UPSC, State PCS, RO/ARO, UPSSSC, Police व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु 1-Page Revision
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भाग – 1 : मुख्य सार–नोट्स (पूरी दिल्ली सल्तनत का 1-Page सार)
Pre + Mains दोनों के लिए सार
🎯 कीवर्ड: Delhi Sultanate Summary, दिल्ली सल्तनत सार, Slave–Khilji–Tughlaq–Sayyid–Lodhi, First Battle of Panipat 1526।
दिल्ली सल्तनत (1206–1526) लगभग 320 वर्षों का वह काल है जब तुर्क–अफगान वंश
दिल्ली केंद्रित शासन चलाते हैं – गुलाम (ममलक) → खिलजी → तुगलक → सैय्यद → लोधी और अंत में
1526 के प्रथम पानीपत युद्ध में बाबर के हाथों यह सत्ता समाप्त हो जाती है।
1️⃣ 1. स्थापना → कुतुबुद्दीन ऐबक (1206–1210)
- पृष्ठभूमि: 1192 – पृथ्वीराज चौहान की हार (तराइन द्वितीय) के बाद मुहम्मद गौरी का प्रभाव; दिल्ली–अजमेर क्षेत्र तुर्कों के हाथ।
- ऐबक: गौरी का प्रमुख दास सेनापति; दिल्ली–लाहौर क्षेत्र का शासक बनता है और 1206 में स्वतंत्रता के साथ शासन आरंभ करता है।
- उपाधि: “लाख–बख्श” – दान–दक्षिणा के कारण।
- निर्माण: कुतुब मीनार का आरंभ, कुछ मस्जिदें (पूर्ववर्ती मंदिर–सामग्री सहित)।
- यही काल दिल्ली सल्तनत की औपचारिक स्थापना माना जाता है।
2️⃣ 2. सुदृढ़ीकरण → इल्तुतमिश (1211–1236)
🏛️ 2.1 राज्य का स्थिरीकरण
- विद्रोहों को कुचलकर दिल्ली सल्तनत को वास्तविक स्थिरता प्रदान की; अक्सर “वास्तविक संस्थापक” कहा जाता है।
- इक्ता प्रणाली को व्यवस्थित रूप से लागू किया – प्रशासन व राजस्व का आधार बना।
- मुद्रा–व्यवस्था, खिराज/जज़िया जैसे कर–ढाँचे को संगठित किया।
🕌 2.2 धार्मिक–राजनीतिक मान्यता
- खिलाफत (बग़दाद) से मंज़ूर–ए–सुल्तानी प्राप्त कर शासन की वैधता बढ़ाई।
- “तुर्क–ए–चहलियान” (40 तुर्क सरदारों) का समूह – बाद में शक्ति–संघर्ष का स्रोत भी।
3️⃣ 3. उच्चतम अनुशासन → ग़यासुद्दीन बलबन (1266–1287)
बलबन ने सल्तनत को कठोर अनुशासन, राजसी–गरिमा व केंद्रीकरण से मज़बूत किया।
उसका सिद्धांत – “नियाबत–ए–खुदाई” (ईश्वर का प्रतिनिधि) – सुल्तान की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण था।
- दरबार में कठोर अनुशासन, सिजदा व पैबोस जैसे प्रोटोकॉल लागू किए।
- मंगोलों से रक्षा, सीमावर्ती इलाकों में कड़ा नियंत्रण।
- जासूसी–व्यवस्था, गश्ती दस्ते, कठोर दंड – प्रशासनिक अनुशासन का शिखर।
4️⃣ 4. विस्तार → अलाउद्दीन खिलजी (1296–1316)
🌏 4.1 क्षेत्रीय विस्तार
- उत्तर–भारत की मज़बूती के साथ–साथ दक्षिण भारत में व्यापक विजय – मलिक काफूर के नेतृत्व में देवगिरि, वारंगल, द्वारसमुद्र, मधुरै आदि।
- राजपूत राज्यों (चित्तौड़ आदि) के विरुद्ध भी सफल अभियान।
📉 4.2 बाज़ार व मूल्य–नियंत्रण
- मूल्य–नियंत्रण नीति – अनाज, घोड़े, दास, कपड़े आदि के दाम निश्चित; सैनिकों की वेतन–शक्ति बनाए रखने हेतु।
- बाज़ार निरीक्षक (शहना–ए–मंडी), कड़ी जाँच–पड़ताल; कर–व्यवस्था (खिराज) में भी बढ़ोतरी।
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1-Line याद:
“खिलजी = विस्तार + बाज़ार–नियंत्रण + दक्षिण अभियानों का काल” –
Prelims में इस फॉर्मूले से विकल्प जल्दी पकड़ आते हैं।
5️⃣ 5. असफल प्रयोग → मुहम्मद–बिन–तुगलक (1325–1351)
मुहम्मद–बिन–तुगलक को “अति महत्वाकांक्षी व प्रयोगशील” शासक के रूप में जाना जाता है।
उसके कई निर्णय विचार में आगे, पर क्रियान्वयन में असफल साबित हुए।
- राजधानी परिवर्तन: दिल्ली से देवगिरि (दौलताबाद) – लंबी दूरी, जन–कष्ट, असंतोष, अंततः वापसी।
- टोकन मुद्रा प्रयोग: ताँबे–पीतल के सिक्कों को लगभग चाँदी के बराबर मूल्य देना – नकली सिक्कों की बाढ़, अर्थ–व्यवस्था में अराजकता।
- दोआब नीति: कर–दर बहुत बढ़ा दी, अकाल व विद्रोह।
- सार: नीति–स्तर पर आधुनिक, पर प्रशासनिक तैयारी और जन–वास्तविकता से कटे निर्णय।
6️⃣ 6. निर्माण कार्य → फ़िरोजशाह तुगलक (1351–1388)
🚿 6.1 नहर व नगर–निर्माण
- कई नहर–प्रणालियों का निर्माण/पुनः–निर्माण – सिंचाई व कृषि मदद।
- फ़िरोजाबाद सहित अनेक नगर, सराय, बाग, बावड़ियाँ।
👥 6.2 सामाजिक–धार्मिक नीति
- दास–प्रथा का विस्तार, हज़ारों दास; उनके पालन–पोषण की व्यवस्था।
- धार्मिक दृष्टि से अधिक रूढ़िवादी, कुछ कठोर दंड–व्यवस्था।
- कुल मिलाकर – निर्माण व लोक–कल्याण के लिए विशेष रूप से याद किया जाता है।
7️⃣ 7. अंतिम दौर → सैय्यद (1414–1451) + लोधी (1451–1526)
- सैय्यद वंश: तैमूर के 1398 के आक्रमण के बाद टूटी दिल्ली; खिज्र खाँ से आलम शाह तक – कमजोर केंद्र, क्षेत्रीय राज्यों का उभार।
- लोधी वंश (अफगान): बहलोल, सिकंदर, इब्राहिम – अफगान शक्ति + केंद्रीकरण की कोशिश; पर अंदरूनी कलह व सरदारों की नाराज़गी।
- सिकंदर लोधी – आगरा को राजधानी, कड़ा प्रशासन।
- इब्राहिम लोधी – कठोर केंद्रीकरण, अफगान सरदारों से टकराव → बाबर को निमंत्रण की पृष्ठभूमि।
8️⃣ 8. अंत → बाबर के हाथों सल्तनत का पतन (प्रथम पानीपत 1526)
ज़हीरुद्दीन मुहम्मद बाबर, काबुल का शासक,
कई आक्रमणों के बाद 21 अप्रैल 1526 को प्रथम पानीपत युद्ध में
इब्राहिम लोधी को हराकर दिल्ली सल्तनत का अंत करता है और
भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखता है।
- अंदरूनी अफगान विद्रोह + इब्राहिम की कठोर नीति + बाबर की तोपें व बेहतर रणनीति – तीनों मिलकर सल्तनत के पतन का कारण बने।
- इतिहास का बड़ा Turning Point – “सल्तनत युग समाप्त, मुगल युग प्रारंभ”।
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पूरे अध्याय के लिए 1-Line मैप:
स्थापना – ऐबक → सुदृढ़ीकरण – इल्तुतमिश → अनुशासन – बलबन → विस्तार – अलाउद्दीन → असफल प्रयोग – मुहम्मद–बिन–तुगलक → निर्माण – फ़िरोजशाह → अंतिम दौर – सैय्यद + लोधी → अंत – बाबर (1526)।
स्थापना – ऐबक → सुदृढ़ीकरण – इल्तुतमिश → अनुशासन – बलबन → विस्तार – अलाउद्दीन → असफल प्रयोग – मुहम्मद–बिन–तुगलक → निर्माण – फ़िरोजशाह → अंतिम दौर – सैय्यद + लोधी → अंत – बाबर (1526)।
Delhi Sultanate 1 Page Summary
ऐबक से बाबर तक सार
UPSC PCS Medieval India
प्रथम पानीपत युद्ध तथ्य
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भाग – 2 : क्विक स्मार्ट रिवीजन – दिल्ली सल्तनत (1-Page)
Quick Smart Revision (Hindi)
⚡ 2–3 मिनट में पूरा अध्याय रिवाइज करने के लिए हाई–यील्ड पॉइंट्स व ट्रिक्स।
📅 1. वंश–क्रम व समय
- गुलाम / ममलक वंश (1206–1290)
- खिलजी वंश (1290–1320)
- तुगलक वंश (1320–1414)
- सैय्यद वंश (1414–1451)
- लोधी वंश (1451–1526)
🧱 2. की–थीम मैप
- स्थापना – ऐबक
- सुदृढ़ीकरण – इल्तुतमिश
- अनुशासन – बलबन
- विस्तार – अलाउद्दीन खिलजी
- असफल प्रयोग – मुहम्मद–बिन–तुगलक
- निर्माण – फ़िरोजशाह
- अंतिम दौर – सैय्यद + लोधी
- अंत – बाबर (1526)
🏛️ 3. प्रशासन–कीवर्ड
- इक्ता प्रणाली – इल्तुतमिश से व्यवस्थित।
- दीवान–ए–अर्ज – सेना विभाग।
- दीवान–ए–वज़ारत – वित्त/राजस्व।
- खिराज, जज़िया, उशर – प्रमुख कर।
⚙️ 4. आर्थिक–सामाजिक पॉइंट्स
- खिलजी – मूल्य–नियंत्रण, बाजार व्यवस्था।
- तुगलक – दोआब नीति, टोकन मुद्रा, राजधानी परिवर्तन।
- फ़िरोजशाह – नहर, नगर, दास–प्रथा विस्तार।
⚔️ 5. युद्ध व आक्रमण
- तराइन (1191, 1192) – सल्तनत–पूर्व पृष्ठभूमि।
- तैमूर (1398) – तुगलक पतन, सैय्यद उदय।
- प्रथम पानीपत (1526) – लोधी अंत, मुगल आरंभ।
🧠 6. सुपर–शॉर्ट ट्रिक
- “ऐ–इल–रज़–ब–खि–तु–फ़ि–सै–लो–बा”
- ऐबक → इल्तुतमिश → रज़िया → बलबन →
- खिलजी (अलाउद्दीन) → तुगलक (मुहम्मद, फ़िरोज) →
- सैय्यद → लोधी → बाबर
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Smart Exam Hack:
टाइम–लाइन वाले सभी MCQ में केवल यह देखो – “1206–1290 गुलाम, 1290–1320 खिलजी, 1320–1414 तुगलक, 1414–1451 सैय्यद, 1451–1526 लोधी, 1526 मुगल।” गलत विकल्प तुरंत eliminate हो जाते हैं।
टाइम–लाइन वाले सभी MCQ में केवल यह देखो – “1206–1290 गुलाम, 1290–1320 खिलजी, 1320–1414 तुगलक, 1414–1451 सैय्यद, 1451–1526 लोधी, 1526 मुगल।” गलत विकल्प तुरंत eliminate हो जाते हैं।
Delhi Sultanate Quick Smart Revision
Timeline Tricks Medieval India
UPSC/PCS 1 Page Notes
❓
भाग – 3 : PYQ व एक पंक्ति प्रश्न – पूरा सल्तनत अध्याय (Show / Hide + व्याख्या)
25+ हाई–यील्ड प्रश्न
यहाँ पूरे दिल्ली सल्तनत अध्याय से संबंधित एक–पंक्ति प्रश्न + संक्षिप्त व्याख्या दी गई है।
इनको बार–बार रिवाइज करने से Prelims के साथ–साथ Mains के लिए भी बेस क्लियर रहेगा।
Q1. दिल्ली सल्तनत की औपचारिक स्थापना किसके शासन से मानी जाती है? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: कुतुबुद्दीन ऐबक (1206).
Q2. दिल्ली सल्तनत का “वास्तविक संस्थापक” किसे कहा जाता है और क्यों? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: इल्तुतमिश।
Q3. “नियाबत–ए–खुदाई” किस सुल्तान से संबंधित सिद्धांत है? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: बलबन।
Q4. दक्षिण भारत में सबसे व्यापक विस्तार किस सुल्तान के समय हुआ – इल्तुतमिश, बलबन या अलाउद्दीन खिलजी? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: अलाउद्दीन खिलजी।
Q5. मूल्य–नियंत्रण व बाज़ार–व्यवस्था से संबंधित सुधार किस सुल्तान ने किए थे? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: अलाउद्दीन खिलजी।
Q6. राजधानी परिवर्तन (दिल्ली–दौलताबाद), टोकन मुद्रा और दोआब नीति – ये प्रयोग किसके हैं? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: मुहम्मद–बिन–तुगलक।
Q7. नहर, नगर, बावड़ी व दास–प्रथा विस्तार से कौन–सा तुगलक शासक जुड़ा है? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: फ़िरोजशाह तुगलक।
Q8. किस आक्रमण (वर्ष सहित) से तुगलक सत्ता का पतन तेज़ हुआ और सैय्यद वंश के लिए मार्ग बना? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: तैमूर का आक्रमण, 1398 ई.
Q9. सैय्यद वंश के चार शासकों का सही क्रम क्या है? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: खिज्र खाँ → मुबारक शाह → मुहम्मद शाह → आलम शाह।
Q10. दिल्ली सल्तनत का अंतिम वंश कौन–सा था और किस मूल (origin) का था? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: लोधी वंश – अफगान मूल का।
Q11. बहलोल, सिकंदर व इब्राहिम – ये तीनों किस वंश के शासक हैं? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: लोधी वंश।
Q12. आगरा को राजधानी बनाने का श्रेय किस लोधी शासक को जाता है? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: सिकंदर लोधी।
Q13. प्रथम पानीपत युद्ध कब हुआ और इसके दो मुख्य पक्ष कौन थे? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: 21 अप्रैल 1526 – बाबर बनाम इब्राहिम लोधी।
Q14. प्रथम पानीपत युद्ध किस राज्य (आज के) में लड़ा गया था? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: हरियाणा (पानीपत)।
Q15. बाबर की सेना की कौन–सी दो विशेषताएँ प्रथम पानीपत युद्ध में निर्णायक सिद्ध हुईं? 👁️उत्तर देखें
संक्षिप्त उत्तर: तोपखाना (तोपें, बंदूकें) + “तुलुगमा” जैसी संगठित रणनीति।
Q16. सल्तनत काल में भूमि–आधारित मुख्य कर को क्या कहा जाता था – खिराज या जज़िया? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: खिराज/खराज – कृषि भूमि कर।
Q17. दीवान–ए–अर्ज विभाग किससे संबंधित था – सेना या न्याय? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: सेना व्यवस्था।
Q18. “इक्ता” किसे कहते थे – भूमि, सैनिक या कर के प्रकार को? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: भूमि की प्रशासनिक इकाई (राजस्व–इकाई), जिसे इक्तादार को दिया जाता था।
Q19. क्या इक्ता इक्तादार की स्थायी निजी ज़मींदारी थी? 👁️उत्तर देखें
उत्तर: नहीं, यह राज्य–स्वामित्व भूमि थी; सुल्तान कभी भी बदल सकता था।
Q20. एक पंक्ति में – “दिल्ली सल्तनत के पतन का समग्र कारण क्या था?” 👁️उत्तर देखें
सार: अंदरूनी कलह, प्रांतीय शक्तियों का उभार, आर्थिक–सैनिक कमजोरी और बाहरी आक्रमण (तैमूर, बाबर) का मेल।
Q21. किस वंश के बाद सीधे मुगल वंश की शुरुआत होती है?👁️उत्तर
उत्तर: लोधी वंश के बाद (1526 से मुगल काल)।
Q22. पूरा सल्तनत काल लगभग कितने वर्ष चला?👁️उत्तर
उत्तर: लगभग 1206 से 1526 – यानी लगभग 320 वर्ष।
Q23. “गुलाम, खिलजी, तुगलक, सैय्यद, लोधी” – ये पाँच शब्द एक साथ दिखें तो प्रश्न किस विषय से होगा?👁️उत्तर
उत्तर: दिल्ली सल्तनत के वंश–क्रम से।
Q24. “ऐबक से बाबर तक” – यह वाक्य किस अध्याय की पूरी रेंज को कवर करता है?👁️उत्तर
उत्तर: दिल्ली सल्तनत का इतिहास (स्थापना से अंत तक)।
Q25. एग्ज़ाम लिखने लायक सार वाक्य – “दिल्ली सल्तनत का भारतीय इतिहास में क्या महत्व है?”👁️उत्तर
मॉडल लाइन:
“दिल्ली सल्तनत ने उत्तर भारत में तुर्क–अफगान शासन,
नई प्रशासनिक–राजस्व प्रणाली, सैन्य तकनीक और सांस्कृतिक–धार्मिक संपर्कों की आधार–भूमि तैयार की,
जिस पर बाद में मुगल साम्राज्य की मजबूत इमारत खड़ी हुई।”
