प्रारम्भिक मध्यकालीन भारत – गुप्तोत्तर से 750 ई. तक की राजनीतिक पृष्ठभूमि || Early Medieval India (650–750 CE) Political Background- Full Magic Notes – Noble Exam City

प्रारम्भिक मध्यकालीन भारत – गुप्तोत्तर से 750 ई. तक की राजनीतिक पृष्ठभूमि || Early Medieval India (650–750 CE) Political Background- Full Magic Notes – Noble Exam City

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Early Medieval India (650–1200 CE) – Political Backgroundअध्याय 1: प्रारंभिक मध्यकालीन भारत (650–1200 ई.) – गुप्तोत्तर से 750 ई. तक की राजनीतिक पृष्ठभूमि
🧭 Guptottar decline, Harsha ke baad विघटन, क्षेत्रीय राज्यों का उभार, 650–750 ई. की power–shift समझें 🧠 UPSC, State PSC, UPSSSC, Railway, Police हेतु Smart Notes + Hindi Quick Revision + 40+ PYQs
📚 Medieval Indian History Chapter 1: प्रारंभिक मध्यकालीन भारत गुप्तोत्तर से 750 ई. तक – राजनीतिक पृष्ठभूमि
📘 भाग – 1 : विस्तृत Study Notes – गुप्तोत्तर से 750 ई. तक की राजनीतिक पृष्ठभूमि
NCERT + Standard Books Integrated
🎯 आधार: NCERT, R.S. Sharma, Upinder Singh, NIOS व reputed coaching notes – UPSC/PSC Level पर ट्यून किए गए बिंदु

🧭 1. 650–750 ई.: संक्रमण–काल – प्राचीन से मध्यकाल की ओर

समय–सीमा: गुप्त साम्राज्य के पतन (लगभग 550 ई.) के बाद से लेकर लगभग 750 ई. तक का काल “प्रारंभिक मध्यकालीन भारत” का प्रारंभिक चरण माना जाता है। इस बीच केन्द्रिय शक्ति कमजोरक्षेत्रीय राज्यों का उभार हुआ। आगे चलकर यही “राज्यों का युग / Age of Regional Kingdoms” और त्रिपक्षीय संघर्ष (कन्नौज पर प्रभुत्व के लिए) की भूमिका तैयार करता है।
  • गुप्तों के समय की अपेक्षाकृत केंद्रीकृत सत्ता टूटकर बहु–केंद्रित हो गई।
  • नदियों–मार्गों–व्यापार–केन्द्रों के इर्द–गिर्द प्रादेशिक राजवंश उभरने लगे।
  • कई क्षेत्रों में भूमि–दान, सामन्त–प्रथा, स्थानीय अभिजात वर्ग की शक्ति बढ़ी।
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Exam Lens: इस टॉपिक से अक्सर पूछा जाता है – (1) Guptottar राजनैतिक विघटन के कारण (2) Harsha ke baad power–vacuum (3) Maitraka, Maukharis, Vardhana, Pallava, Chalukya जैसे क्षेत्रीय राजवंशों की स्थिति।

🏛️ 2. गुप्त साम्राज्य का पतन: केन्द्रिय शक्ति का क्षय

⚔️ 2.1 पतन के मुख्य कारण (संक्षेप में)
  • विदेशी आक्रमण – विशेषकर हूणों के हमले से उत्तर–पश्चिम व मध्य भारत कमजोर हुआ।
  • प्रान्तीय शासकों का विद्रोह – feudatories ने स्वतन्त्रता ग्रहण की।
  • आर्थिक आधार का कमजोर होना – व्यापार–शहरों में गिरावट, भूमि–दान की अधिकता।
  • उत्तराधिकार–विवाद व आन्तरिक कलह।
📍 2.2 गुप्तोत्तर उत्तर भारत का नक्शा
  • Later Guptas – मगध व आसपास सीमित, पूर्व–महिमा खो चुके।
  • Maukharis of Kannauj – कन्नौज केन्द्रित एक सशक्त शक्ति।
  • Pushyabhuti (Vardhana) of Thanesar – हर्याणा–पंजाब क्षेत्र में उभरती शक्ति।
  • Maitrakas of Valabhi – गुजरात–सौराष्ट्र में एक महत्वपूर्ण शक्ति।
🌊 2.3 दक्षिण व पश्चिम भारत की स्थिति (लगभग 600–750 ई.)
  • Chalukyas of Badami – दक्षिण–पश्चिम दक्कन में।
  • Pallavas of Kanchi – उत्तरी तमिलनाडु–आंध्र सीमा क्षेत्र।
  • Pandya of Madurai – दक्षिण–तमिल क्षेत्र।
📌
MCQ के लिए याद रखिए – 600–750 ई. के बीच उत्तर भारत में Pushyabhuti + Maukharis, पश्चिम में Maitraka, और दक्षिण में Pallava–Chalukya–Pandya प्रमुख शक्तियाँ थीं।

👑 3. हर्षवर्धन (606–647 ई.) – क्षणिक पुन:एकीकरण

🏹 3.1 शक्ति–केन्द्र का स्थानांतरण – थानेसर से कन्नौज
  • वंश: Pushyabhuti / Vardhana, मूल केन्द्र – थानेसर (हरियाणा)।
  • हर्ष ने बाद में कन्नौज को राजधानी बनाया – गंगा–घाटी के मध्य में स्थित रणनीतिक केन्द्र।
  • कन्नौज आगे चलकर प्रारंभिक मध्यकालीन राजनीति का axis बन गया।
🗺️ 3.2 हर्ष का साम्राज्य – सीमा–रेखाएँ (संक्षेप)
  • उत्तर भारत का बड़ा हिस्सा – कश्मीर से बंगाल तक व्यापक प्रभाव।
  • पंजाब, गंगा–यमुना दोआब, मगध, कन्नौज आदि उसके अधीन।
  • दक्षिण में चालुक्यों (पुलकेशिन II) से संघर्ष – नर्मदा के दक्षिण में स्थायी नियंत्रण नहीं।
📜 3.3 हर्ष पश्चात की समस्या
  • हर्ष की मृत्यु लगभग 647 ई. के आसपास; कोई स्पष्ट उत्तराधिकारी नहीं।
  • केंद्रिय सत्ता का पुनः विघटन – “न उत्तर भारत में गुप्त जैसा, न हर्ष जैसा कोई सम्राट”।
  • कन्नौज व गंगा घाटी – कई राजवंशों के बीच संघर्ष का प्रमुख क्षेत्र।
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निष्कर्ष बिंदु: हर्ष का साम्राज्य गुप्तों के बाद उत्तर भारत की अंतिम एकीकृत सत्ता माना जाता है। हर्ष की मृत्यु के बाद फिर से वही “राज्यों का युग” शुरू होता है।

🧩 4. हर्ष के बाद उत्तर भारत – विखंडन व क्षेत्रीय शक्तियाँ

हर्ष की मृत्यु (c. 647 ई.) के बाद कन्नौज पर नियंत्रण को लेकर संघर्ष शुरू हुआ, और अलग–अलग क्षेत्रों में अनेक स्थानीय/प्रादेशिक राजवंश उभर कर सामने आए। यही स्थिति आगे चलकर त्रिपक्षीय संघर्ष (Gurjar–Pratihara, Pal, Rashtrakuta – 8वीं–9वीं सदी) के लिए भूमि तैयार करती है।
⬆️ 4.1 उत्तर–पूर्व (कन्नौज, बंगाल, कामरूप)
  • कन्नौज: हर्ष के बाद विभिन्न वंश – वर्मन, गाहड़वाल आदि; बाद में Gurjara–Pratihara बनते हैं बड़ी शक्ति (750 ई. के बाद)।
  • बंगाल (गौड़): पहले शशांक की सत्ता; बाद में छोटे राज्यों व पालों के उदय की तैयारी।
  • कामरूप (असम): स्थानीय वंश – भास्करवर्मन आदि की परंपरा; हर्ष के साथ राजनीतिक–संबंध।
⬅️ 4.2 पश्चिम व मध्य भारत
  • Maitraka of Valabhi: गुजरात–सौराष्ट्र में शक्तिशाली राज्य; गुप्तोत्तर युग में स्वतंत्रता ग्रहण, हर्ष के समय नाममात्र अधीनता, बाद में पुनः स्वतन्त्र।
  • राजस्थान–मध्य भारत में प्रारंभिक राजपूत–गण व स्थानीय शक्तियों का उभार।
⬇️ 4.3 दक्कन व दक्षिण – तीन महाशक्ति
  • चालुक्य (Badami): उत्तर कर्नाटक–दक्षिण महाराष्ट्र क्षेत्र; उत्तर में नर्मदा तक प्रभाव (Harsha से संघर्ष)।
  • पल्लव (Kanchi): कांचीपुरम केन्द्रित – सांस्कृतिक व मंदिर वास्तुकला का बड़ा केन्द्र।
  • पाण्ड्य (Madurai): दक्षिण तमिल क्षेत्र में एक प्राचीन व पुनर्जीवित शक्ति।
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सरल mapping:
– उत्तर: कन्नौज + बंगाल + कामरूप
– पश्चिम: Maitraka + प्रारंभिक राजपूत
– दक्कन/दक्षिण: Chalukya–Pallava–Pandya यही सब मिलकर 750 ई. के बाद पूर्ण–रूपेण “मध्यकालीन” राजनीतिक परिदृश्य बनाते हैं।

📜 5. सामन्त, भूमि–दान व “मध्यकालीन” सत्ता–संरचना की भूमिका

🌾 5.1 भूमि–दान व सामन्त
  • राजाओं द्वारा ब्राह्मणों, मठों, मंदिरों, सामन्तों को भूमि–दान की परंपरा तेज़ी से बढ़ी।
  • दान–पत्रों में कर–मुक्ति, पुलिस–न्याय–अधिकार, प्रशासनिक अधिकार तक दिये जाते हैं।
  • फलस्वरूप केन्द्र के स्थान पर स्थानीय महाजन, भू–स्वामी, सामन्त मजबूत हुए।
🏯 5.2 “Feudal” nature – इतिहासकारों की बहस (Exam Point)
  • कुछ इतिहासकार (जैसे R. S. Sharma) 600–1200 ई. को “भारतीय सामन्तवाद / Indian Feudalism” की वृद्धि–अवधि मानते हैं।
  • उनके अनुसार भूमि–दान व सामन्त–प्रथा के कारण – ग्रामीण–अर्थव्यवस्था पर बड़े भू–स्वामियों का कब्ज़ा, – केन्द्रिय सत्ता कमजोर, – “मध्यकालीन (feudal)” राजनीतिक ढांचा तैयार हुआ।
  • अन्य विद्वान इसे “feudal” शब्द से थोड़ा भिन्न मानते हैं, पर अधिकांश मानते हैं कि स्थानीय शक्ति–केन्द्र बहुत मजबूत हो गए।
🧩 5.3 क्यों कहा जाता है – “मध्यकाल की भूमिका तैयार होना”?
  • एक सम्राट–केंद्रित सत्ता की जगह अनेक क्षेत्रीय राजवंश – यह pattern Delhi Sultanate और Mughal age तक जारी।
  • कन्नौज, बंगाल, दक्कन, दक्षिण – चार मुख्य power–zones बनते हैं।
  • राजनीतिक संघर्ष सामन्त–राजा बनाम अन्य क्षेत्रीय राजा के रूप में दिखता है।
🧠
Mains में अक्सर पूछा जाता है – “गुप्तोत्तर भारत को ‘क्षेत्रीय राज्यों का युग’ क्यों कहा जाता है? Harsha व Maitraka–Chalukya–Pallava आदि के उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।” ऊपर के बिंदु सीधे answer–फ्रेम में बैठते हैं।
भाग – 2 : Quick Revision (सिर्फ 3–5 मिनट में – सम्पूर्ण हिंदी में)
Prelims + Mains के लिए संक्षिप्त सूत्र
सिर्फ रिविजन के लिए – परीक्षा–कक्ष जाने से पहले एक बार पढ़ लेने लायक मुख्य बिंदु
🧭 1. समय–सीमा व प्रकृति
  • गुप्त पतन (c. 550 ई.) से 750 ई. तक – संक्रमण–काल।
  • केंद्रीय सम्राट (गुप्त) → अनेक क्षेत्रीय राज्य।
  • उत्तर भारत: Later Guptas, Maukharis, Pushyabhuti, Maitraka आदि।
  • दक्षिण/दक्कन: Pallava, Chalukya, Pandya प्रमुख।
  • इसी काल की प्रक्रिया से “मध्यकालीन भारत” की राजनीतिक रूपरेखा बनती है।
संक्रमण–काल क्षेत्रीय राज्य
🏛️ 2. गुप्त–पतन के मुख्य कारण
  • हूणों के आक्रमण से उत्तर–पश्चिम की शक्ति–हीनता।
  • प्रान्तीय शासकों व feudatories की स्वतन्त्रता–लालसा।
  • व्यापार–नगरों की कमजोरी, भूमि–दान की प्रथा।
  • उत्तराधिकार–संकट व आन्तरिक कलह।
  • परिणाम: “सम्राट” की जगह “राज्य–समूह” की व्यवस्था।
हूण भूमि–दान
👑 3. हर्षवर्धन – क्या याद रखें?
  • वंश: Pushyabhuti (Vardhana), केन्द्र: थानेसर → कन्नौज।
  • काल: लगभग 606–647 ई., गुप्तोत्तर उत्तर भारत का अंतिम “सम्राट”।
  • उत्तर भारत का बड़ा भाग – कश्मीर से बंगाल तक प्रभाव।
  • दक्षिण में पुलकेशिन II (चालुक्य) से पराजय – नर्मदा सीमा।
  • मृत्यु के बाद कोई सक्षम उत्तराधिकारी नहीं – पुनः विघटन।
थानेसर–कन्नौज 606–647 ई.
🧩 4. हर्ष के बाद – कौन कहाँ?
  • कन्नौज – कई वंश; आगे चलकर Gurjara–Pratihara की भूमि।
  • बंगाल (गौड़) – शशांक व उत्तराधिकारी; आगे पालों का उद्भव।
  • कामरूप – क्षेत्रीय वंश; भास्करवर्मन परंपरा।
  • गुजरात–सौराष्ट्र – Maitraka of Valabhi।
  • दक्कन–दक्षिण – Chalukya, Pallava, Pandya त्रिकोण।
कन्नौज गौड़
📜 5. सामन्त–प्रथा व भूमि–दान
  • राजा – भूमि–दान → ब्राह्मण, मठ, मंदिर, सामन्त।
  • दान–पत्रों में कर, न्याय, पुलिस–अधिकार भी – स्थानीय स्वायत्तता।
  • Result: ग्राम–समाज पर स्थानीय भू–स्वामी/सामन्त का नियंत्रण।
  • केंद्र की राजस्व–पकड़ कमजोर – सेना व प्रशासन पर असर।
  • कई इतिहासकार इसे “भारतीय सामन्तवाद” के रूप में देखते हैं।
सामन्त Land Grants
🏰 6. “मध्यकाल की भूमिका” – 3 लाइन में
  • एक सम्राट की जगह अनेक शक्तिशाली क्षेत्रीय राजा।
  • कन्नौज, बंगाल, दक्कन, दक्षिण – चार प्रमुख शक्ति–केन्द्र।
  • आगे Delhi Sultanate व Mughal age भी इन्हीं क्षेत्रीय dynamics पर टिके।
Age of States Regional Powers
भाग – 3 : PYQs / One Liners – प्रारंभिक राजनीतिक पृष्ठभूमि (Show / Hide Answer)
40+ High Yield Qs
फोकस: Guptottar विघटन, Harsha, क्षेत्रीय राजवंश (Maitraka, Maukharis, Pushyabhuti), सामन्त–प्रथा, 650–750 ई. की राजनीतिक रूपरेखा – Prelims + Mains के लिए बेहद उपयोगी।
Q1. लगभग किस वर्ष के आसपास गुप्त साम्राज्य के पतन (Gupta decline) की मानक तिथि मानी जाती है – 550 ई. या 650 ई.? 👁️Show / Hide
उत्तर: लगभग 550 ई. (6वीं सदी के मध्य)।
यही से Guptottar/प्रारंभिक मध्यकाल की राजनीतिक रूपरेखा शुरू मानी जाती है।
Q2. Guptottar युग में “Later Guptas” मुख्यतः किस क्षेत्र तक सीमित रह गए थे – मगध क्षेत्र या पंजाब? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: मगध व उसके आसपास का क्षेत्र।
इनका प्रभाव अखिल भारतीय न रहकर सीमित–प्रादेशिक रहा।
Q3. Maukharis किस नगर/राजधानी के लिए प्रसिद्ध हैं – कन्नौज या वल्लभी? 👁️Show / Hide
उत्तर: कन्नौज।
Maukharis of Kannauj – गुप्तोत्तर उत्तर भारत की प्रमुख शक्ति।
Q4. Pushyabhuti या Vardhana वंश की प्रारंभिक राजधानी कहाँ थी – थानेसर या कांचीपुरम? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: थानेसर (Sthaneswar, अब हरियाणा)।
बाद में हर्ष ने कन्नौज को प्रमुख केन्द्र बनाया।
Q5. Maitraka वंश की राजधानी कौन–सी थी – वल्लभी या उज्जयिनी? 👁️Show / Hide
उत्तर: वल्लभी (Valabhi) – वर्तमान गुजरात–सौराष्ट्र क्षेत्र।
Maitraka – गुप्तोत्तर पश्चिम भारत की प्रमुख शक्ति।
Q6. Maitraka वंश के संस्थापक भटार्क (Bhatarka) मूलतः किस साम्राज्य के सेनापति थे – गुप्त या मौर्य? 👁️Show / Hide
सही उत्तर (परंपरा): गुप्त साम्राज्य के सौराष्ट्र–क्षेत्र के सेनापति।
गुप्त पतन के बाद स्वतन्त्र Maitraka राज्य की स्थापना की।
Q7. Harsha किस वंश से संबंधित थे – Pushyabhuti (Vardhana) या Maitraka? 👁️Show / Hide
उत्तर: Pushyabhuti / Vardhana वंश।
इनका उदय थानेसर से हुआ, फिर कन्नौज केन्द्र बना।
Q8. Harsha का शासनकाल broadly किस अवधि का माना जाता है – 606–647 ई. या 800–850 ई.? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: लगभग 606–647 ई.।
यही “Harsha age” कहलाता है।
Q9. किस दक्षिण भारतीय शक्ति से Harsha की भिड़ंत हुई और नर्मदा को सीमा–रेखा के रूप में स्वीकार करना पड़ा – Pallava या Chalukya (Pulakeshin II)? 👁️Show / Hide
उत्तर: चालुक्य (Pulakeshin II)।
नर्मदा उत्तर–दक्षिण के बीच एक महत्वपूर्ण राजनीतिक सीमा बनी।
Q10. Harsha की मृत्यु के बाद उत्तर भारत में कैसी स्थिति बनी – फिर से एक शक्तिशाली सम्राट या अनेक छोटे–बड़े राज्यों का विखंडन? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: अनेक छोटे–बड़े राज्यों का विखंडन; कोई सम्राट–स्तर की शक्ति नहीं।
इसी को “राज्यों का युग” कहा जाता है।
Q11. 600–750 ई. के बीच दक्षिण भारत की तीन प्रमुख शक्तियाँ कौन–सी थीं – Chola, Pallava, Chalukya या Pallava, Chalukya, Pandya? 👁️Show / Hide
अधिकतर स्रोतों के अनुसार: Pallava, Chalukya, Pandya।
चोलों का बड़ा उदय 9वीं–10वीं सदी में होता है।
Q12. निम्न में से कौन “Post–Gupta regional power” नहीं है?
(अ) Maitraka of Valabhi
(ब) Maukharis of Kannauj
(स) Vardhana of Thanesar/Kannauj
(द) Maurya of Pataliputra (Ashoka)
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गलत/पुराना काल: (द) Maurya of Pataliputra (Ashoka)।
Maurya तो Guptas से कई शताब्दी पहले का वंश है।
Q13. Guptottar पश्चिम भारत में कौन–सा वंश शिक्षा–केन्द्र वल्लभी (Valabhi University) के लिए भी जाना जाता है – Maitraka या Rashtrakuta? 👁️Show / Hide
उत्तर: Maitraka of Valabhi।
Valabhi University, Nalanda के समकक्ष माना गया है।
Q14. “Age of Regional Kingdoms” शब्द किस काल के लिए अधिक उपयुक्त है – 600–750 ई. या 300–500 ई.? 👁️Show / Hide
अधिकांश इतिहासकार: 600–750 ई. (और आगे 1200 तक)।
यानी Guptottar–Harsha–post–Harsha वाला काल।
Q15. कौन–सा जोड़ा सही है?
(अ) Harsha – Valabhi capital
(ब) Maitraka – Valabhi capital
(स) Maukharis – Pataliputra capital
(द) Later Guptas – Kanchi capital
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सही जोड़ा: (ब) Maitraka – Valabhi capital।
Kanchi = Pallava; Pataliputra = Maurya/ earlier Magadha centres।
Q16. “Samanta” शब्द का सामान्य अर्थ क्या है – दास या अधीन–राजा/भू–स्वामी? 👁️Show / Hide
उत्तर: अधीन–राजा/प्रादेशिक भू–स्वामी, जो राजा की अधीनता स्वीकार करता है।
बाद में यही सामन्त कई बार स्वतन्त्र राजा भी बन जाते हैं।
Q17. भूमि–दान शिलालेखों में अक्सर “कर–मुक्ति” के साथ कौन–सा अधिकार भी दिया जाता था – पुलिस/न्याय या केवल फसल–बिक्री? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: कई दान–पत्रों में पुलिस, न्याय, प्रशासनिक अधिकार भी शामिल।
यही local autonomy और सामन्त–शक्ति को बढ़ाता है।
Q18. R. S. Sharma आदि इतिहासकार 600–1200 ई. को किस रूप में देखते हैं – शुद्ध “classical age” या “Indian feudalism” के विकास–काल के रूप में? 👁️Show / Hide
उत्तर: “Indian feudalism” के विकास–काल के रूप में (विशेषकर राजनीतिक–आर्थिक दृष्टि से)।
हालाँकि इस पर मतभेद भी हैं; पर परीक्षा में यह दृष्टि महत्वपूर्ण है।
Q19. किस क्षेत्र की शक्ति Harsha के समय उसके साथ घनिष्ठ राजनीतिक–संबंध में थी – कामरूप (असम) या चोल राज्य? 👁️Show / Hide
अधिक प्रसिद्ध उदाहरण: कामरूप (असम) – भास्करवर्मन।
Harsha–Bhaskaravarman alliance उत्तर–पूर्व राजनीति में महत्वपूर्ण है।
Q20. “Tripartite Struggle” किसके लिए प्रसिद्ध है – कन्नौज पर अधिकार या कांची पर अधिकार? 👁️Show / Hide
उत्तर: कन्नौज पर अधिकार (8वीं–9वीं सदी)।
यह संघर्ष Gurjara–Pratihara, Pal, Rashtrakuta के बीच था; 650–750 ई. की राजनीति इसकी भूमिका तैयार करती है।
Q21. Guptottar काल में कौन–सा कथन सही है?
(अ) केवल एक विशाल अखिल भारतीय साम्राज्य
(ब) अनेक क्षेत्रीय राज्यों का सह–अस्तित्व और संघर्ष
(स) कोई भी राजवंश नहीं
(द) केवल नगर–राज्य
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सही विकल्प: (ब) अनेक क्षेत्रीय राज्यों का सह–अस्तित्व और संघर्ष।
यही “regional configuration” की मूल धारणा है।
Q22. “कन्नौज” नगर किस–किस युग में राजनीतिक–केंद्र रहा – Harsha, Tripartite Struggle या दोनों? 👁️Show / Hide
उत्तर: दोनों – Harsha age और Tripartite Struggle दोनों में।
इसीलिए कन्नौज को “उत्तर भारत की कुंजी” कहा जाता है।
Q23. 600–750 ई. की राजनीति में “नर्मदा” नदी का महत्व क्या था – सांस्कृतिक सीमा, प्रशासनिक सीमा, या दोनों? 👁️Show / Hide
संकेतात्मक उत्तर: मुख्यतः राजनीतिक/प्रशासनिक सीमा (Harsha–Chalukya के बीच), साथ ही उत्तर–दक्षिण क्षेत्रों की सांकेतिक भौगोलिक विभाजक रेखा।
कई प्रश्नों में “Narmada as boundary” पूछा जाता है।
Q24. किन तीन दक्षिण/दक्कन शक्तियों को 600–750 ई. के “त्रिकोण” के रूप में पढ़ा जाता है – Pallava, Chalukya, Pandya / Pallava, Chola, Rashtrakuta? 👁️Show / Hide
अधिक प्रचलित उत्तर: Pallava, Chalukya, Pandya।
Chola–Rashtrakuta बाद के मध्यकाल में प्रख्यात हैं।
Q25. कौन–सा जोड़ा गलत है?
(अ) Pallava – Kanchipuram
(ब) Chalukya – Badami
(स) Pandya – Madurai
(द) Maitraka – Kanchipuram
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गलत जोड़ा: (द) Maitraka – Kanchipuram।
Maitraka – Valabhi; Kanchi – Pallava की राजधानी।
Q26. Guptottar भूमि–दानों से कौन–सी प्रवृत्ति स्पष्ट होती है – केंद्रीकरण या विकेन्द्रीकरण? 👁️Show / Hide
उत्तर: विकेन्द्रीकरण – अधिकार गाँव/स्थानीय प्रभु के पास चलते हैं।
इसी से सामन्त–शक्ति बढ़ती है।
Q27. किस भू–भाग में Maitraka शक्ति केन्द्रित थी – उत्तर–पश्चिम (Punjab) या पश्चिम भारत (Gujarat–Saurashtra)? 👁️Show / Hide
सही उत्तर: पश्चिम भारत – Gujarat–Saurashtra (Valabhi)।
UPSC/PCS में region–matching प्रश्न बने हैं।
Q28. 600–750 ई. के संदर्भ में “regionalisation of polity” का क्या अर्थ है? 👁️Show / Hide
संकेतात्मक उत्तर: अखिल भारतीय सम्राट की जगह विभिन्न क्षेत्रों (कन्नौज, बंगाल, गुजरात, दक्कन, दक्षिण) में अपने–अपने स्वतंत्र/अर्ध–स्वतंत्र राजवंशों का उभार; सत्ता–केन्द्रों का क्षेत्र–विशेष में सिमटना।
यही concept कई theory–आधारित प्रश्नों में आता है।
Q29. Harsha के बाद उत्तर भारत में कौन–कौनसे क्षेत्रों में शक्ति–शून्यता (power vacuum) सबसे अधिक स्पष्ट दिखती है? 👁️Show / Hide
उत्तर (संक्षेप): कन्नौज–केंद्रित गंगा–घाटी, बंगाल (गौड़), मध्य भारत – जहाँ किसी एक सत्ता का स्थायी प्रभुत्व नहीं, बार–बार वंश–परिवर्तन।
यहीं से आगे tripartite struggle और राजपूत/पाल–इत्यादि का उभार होता है।
Q30. 650–750 ई. के समय उत्तर भारत में कौन–सा नगर “राजनीतिक पुरस्कार (political prize)” बन चुका था – कन्नौज या पाटलिपुत्र? 👁️Show / Hide
स्पष्ट उत्तर: कन्नौज।
इसी पर अधिकार हेतु आगे त्रिपक्षीय संघर्ष होता है।
Q31. कौन–सा pairing सही है?
(अ) Pallava – उत्तर भारत का सम्राट
(ब) Pushyabhuti – थानेसर/कन्नौज
(स) Maukharis – Valabhi
(द) Maitraka – Kashi
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सही pairing: (ब) Pushyabhuti – थानेसर/कन्नौज।
Pallava – Kanchi, Maukharis – Kannauj, Maitraka – Valabhi।
Q32. Guptottar युग की एक विशेषता यह भी है कि शिलालेखों में “सम्राट” की उपाधि की जगह कौन–सी उपाधियाँ अधिक दिखने लगती हैं? 👁️Show / Hide
संकेतात्मक उत्तर: महाराजाधिराज, परम–भट्टारक आदि उपाधियाँ, पर इन्हें कई क्षेत्रीय शासक भी ग्रहण करते हैं – यानी “सम्राट” शीर्षक की exclusivity घटती है।
यही political fragmentation को दिखाता है।
Q33. 650–750 ई. के संदर्भ में “Early Medieval” शब्द से परीक्षा में क्या–क्या जोड़ सकते हैं? (कम से कम 3 बिंदु लिखिए) 👁️Show / Hide
संकेतात्मक उत्तर:
(1) Guptottar राजनीतिक विघटन व क्षेत्रीय राज्यों का उभार।
(2) भूमि–दान, सामन्त–प्रथा, स्थानीय स्वायत्तता में वृद्धि।
(3) कन्नौज–केंद्रित power politics की शुरुआत, आगे tripartite struggle की भूमिका।
इन तीनों बिंदुओं से 10–15 अंक का उत्तर बनाया जा सकता है।
Q34. South India में इस काल के Pallava–Chalukya संघर्ष का मुख्य theatre कौन–सा क्षेत्र था – कांची–आंध्र क्षेत्र या पंजाब–सिंध? 👁️Show / Hide
उत्तर: कांची–आंध्र/कर्नाटक सीमा–क्षेत्र।
यह भी regional power–politics का हिस्सा है।
Q35. “मध्यकाल की भूमिका तैयार होना” वाक्यांश को 1–2 पंक्तियों में कैसे लिखेंगे (Mains के conclusion के लिए)? 👁️Show / Hide
संभावित पंक्तियाँ:
“गुप्तोत्तर से 750 ई. तक भारत की राजनीति एक सम्राट–केन्द्रित से क्षेत्रीय राज्यों के जाल में बदलती दिखती है; भूमि–दान व सामन्त–प्रथा के कारण शक्ति–संतुलन नीचे की ओर खिसकता है, जो आगे चलकर पूर्ण–रूपेण मध्यकालीन (feudal–regional) व्यवस्था का रूप लेता है।”
इसे सीधे answer के conclusion में use कर सकते हैं।

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